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Rupesh Singh
अधिक क्रोध और अधिक प्रसंता में कभी भी कोई निर्णय न लें ।🙏🏻 ©Rupesh Kumar Singh #relaxation #अधिक #क्रोध
Jyoti Sharma
जवानी अपनी इतना खर्च करो, की बुढ़ापे को किसी छड़ी की जरूर ना हो. इतना कमाओ कि खाने को मांगने की जरूरत ना हो, और इतना बचाओ की कभी ज्यादा की जरूरत ना हो। ©Rj #अधिक
@MK Pejval Mpbs
Shubham Bhardwaj
अपने से अधिक शक्तिशाली से मित्रता और शत्रुता दोनों ही हानिकारक हैं । ©Shubham Bhardwaj #Save #अपना #से #अधिक #शक्तिशाली #मित्रता #शत्रुता
Amit Singhal "Aseemit"
अधिक समय तक फबती नहीं है उत्कोच, इसको लेते हुए और देते हुए करना संकोच। मेहनत से कमाया हुआ धन ही बरकत लाए, उसी में चैन की दो रोटी खाकर सुकून आए। ©Amit Singhal "Aseemit" #अधिक #समय #तक
Amit Singhal "Aseemit"
मुझे श्रृंगार से अधिक तुम्हारी सादगी भाए, परंतु जब तुम करती हो सोलह श्रृंगार। मेरा हृदय प्रफ्फुलित तथा आनंदित हो जाए, जैसे कोई अप्सरा अवतरित हुई मेरे द्वार। ©Amit Singhal "Aseemit" #मुझे #श्रृंगार #से #अधिक
Ram babu Ray
मन जिसे इन्कार करता हैं दिल उसी की चाह करता हैं बाहर से वक्ति अधिक गुनाह करता हैं रास्ते तो ला देता हैं सही रास्ते पर मगर आदमी राही को गुमराह करता हैं सही रास्ते से..!! ©Ram babu Ray मन जिसे #इन्कार करता हैं दिल उसी की #चाह करता हैं बाहर से #वक्ति #अधिक #गुनाह करता हैं #रास्ते तो ला देता हैं सही रास्ते पर मगर #आदमी राही को #गुमराह करता हैं सही #रास्ते से..!! #togetherforever
Mr_Aditya Bhardwaj
रोता नही अब वो बात-बात पर । अपने आँसू को आंखों में ही सूखाता है।। बर्गर और पिज़्जा का शौक रखने वाला। अब अक्सर भूखा ही सो जाता है।। कितना बोझ लेकर चलता कंधे पर। घर वालों को भी कह नही पता है।। बिना सही मार्गदर्शन के ज्ञान पाने में। अपेक्षा से अधिक समय लग जाता है।। #समय #अधिक #लग #जाता #है #Dr.Imran Hassan Barbhuiya Sarika Srivastava #Chandan Kumar #writer #रोहित तिवारी
PREM HANS KUMAR
प्रेम हंस कुमार जिला 🙏🙏2 मिनिट निकाल कर ज़रूर पढ़े 🙏🙏 ससुर के आखिरी शब्द थे," मेरी बहु नहीं ,तुम मेरा बेटा हो"! भारतीय समाज में नारी की स्थिति अधिक संतोषजनक नहीं है, शादी के बाद यदि स्त्री को किसी कारणवश पति द्वारा त्याग दिया जाता है तो, या तो ससुराल वाले भी उसे त्याग देते हैं, या वह स्त्री ही ससुराल छोड़ कर चली जाती है। ऐसे में यह किस्सा बहुत ही प्रेरणादायक और अपनेआप में अनोखा है।यह कहानी है, करनाल के न्यू चार चमन निवासी नीतू अरोड़ा जी की, जिन्होंने पुत्रवधू होते हुए भी पुत्र से अधिक कर्तव्य निभा कर साबित कर दिया कि रिश्ते केवल नाम और खून के नही अपितु प्यार और अपनेपन के भी होते हैं।मंगतराम जी के पुत्र एवं नीतू जी के पति हर्षदीप ने अपने पिता, पत्नी और दो बेटियों को छोड़कर दूसरी स्त्री के चक्कर में परिवार से किनारा कर लिया, लेकिन पुत्रवधू ने ससुर की बेटे की तरह सेवा कर रिश्तों की दिल छू लेने वाली कहानी लिख दी। नीतू ने तय किया वह बुजुर्ग को अकेला और निराश्रित छोड़कर नहीं जाएगी। वहीं रहेगी। उनके साथ। बेटा बन कर। वह अपनी दो बेटियों के साथ बुजुर्ग ससुर के साथ ही रहीं।नीतू जी अपने ससुर मंगतराम जी की पिछले दस वर्ष से सेवा सुश्रूषा कर रही थीं। मंगतराम जी का बेटा हर्षदीप जब दूसरी महिला के लिए घर छोड़ गया तो मंगतराम ने भी उससे अपने पुत्र होने का हक छीन लिया। उन्होंने बेटे को घर से बेदखल कर दिया और अपनी सारी संपत्ति अपनी पुत्रवधू व अपनी दो पोतियों के नाम कर दी। इतना ही नहीं उन्होंने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपने निधन के बाद मुखाग्नि का अधिकार भी अपनी पुत्रवधू को ही दिया, जिसे नीतू ने पूरा किया। 80 वर्षीय बुजुर्ग ससुर मंगतराम का गत दिवस लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अर्थी उठाते समय नीतू खुद आगे आई और ससुर की अर्थी को कंधा दिया। पिता तुल्य ससुर के चले जाने से वह गमजदा थीं। आंखों में आंसू थे, लेकिन वह पूरी मजबूती से अर्थी को लेकर श्मशान घाट पहुंची। उन्हें मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार की हर परंपरा निभाई।करनाल की यह घटना देश की पहली घटना होगी कि पुत्रवधू ने ससुर की अर्थी को कंधा दिया, मुखाग्नि दी। अब अस्थियों के विर्सजन और रस्म पगड़ी की तैयारी कर रही है।ऐसे प्रेरणादायक किस्से हमें बताते हैं कि रिश्ते किसी नाम या खून के मोहताज नही होते बस दिलों में अपनेपन का भाव होना चाहिए। मरौना