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Prakhar Kushwaha 'Dear'

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ज़िंदगी का सफ़र, ज़िंदगी भर मुझे, इक नई ज़िंदगी से मिलाता रहा,
मैं जिधर भी गया रास्ता वो मुझे, मेरे मुँह पर ही मुझको चिढ़ाता रहा।

थे फ़रेबी जहाँ रास्ते में मिले, शख़्स ऐसा वहाँ एक मुझे मिल गया,
जब अँधेरा हुआ,रौशनी के लिए,साथ तारे सा वो टिमटिमाता रहा।

सर्दियाँ इश्क़ की कैसे भूले 'डिअर', उसने सीने से मुझको लगाया था जब,
सर पकड़ के मेरा वो दबाती रही, मैं भी लिपटा सा चौ कटकटाता रहा।

चाँद मेरा मुझे यूँ मुक़म्मल हुआ, रात पूनम में वो साथ बैठी रही,
वो मुझे देखकर और जवां हो गयी, रातभर चाँदनी मैं नहाता रहा।

हम ज़माने की ख़ातिर जुदा हो रहे, है जुदाई का अपना अलग ही मज़ा,
इस तरह हौसला वो बढ़ाती रही, पीठ उसकी भी मैं थपथपाता रहा।

हम मिले थे जहाँ, अब उसी मोड़ पर, कोई राधा भटकती रही उम्रभर,
क़िस्मतों में न थी आशिक़ी जब 'डिअर', दूर कान्हा भी बंसी बजाता रहा। #dearsdare #ग़ज़ल #gazal #ghazal #love #life #poetry #newgazal

Prakhar Kushwaha 'Dear'

मेरे दिल में बारहा फ़रियाद नहीं होती,
रतजगे में नींद जो बरबाद नहीं होती।

मैं कितना ही आसमाँ को तकता रहूँ,
बरसात फ़िर होने के बाद नहीं होती।

डरो न अभी तुमको देखा है बस,
इतनी भी आँखें सैय्याद नहीं होती।

झगड़ा अग़र तुझसे बिस्तर में हो,
मैं हारूं भी तो मात नहीं होती।

हिंदी का लेखक ग़ज़ल लिख रहा,
बेशक़ मोहब्बत की जात नहीं होती।

ग़ज़लें 'डिअर' की भी रूठी रहीं,
'एलिया' से जिसदिन बात नहीं होती। #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #newgazal  #love #life

Prakhar Kushwaha 'Dear'

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इस तरह वो शख़्स मेरे दिल से निकल गया,
रूठा हुआ मैं जैसे महफ़िल से निकल गया।

जान उसकी सागर के हवाले है फिर समझो,
इकबारगी जो मल्लाह साहिल से निकल गया।

मुझको बताएं, मुझको बेईमान कहने वाले,
लालच न क्यूँ अबतक क़ाबिल से निकल गया।

जाने किस गुमान में इतराती रही जवानी,
फ़िर किसी दिन दम उस माहिल से निकल गया।

जिस अक्स से मैं क़ामिल होता रहा 'डिअर',
कैसे कहूँ के मुझसे वो तिल-तिल निकल गया। #dearsdare #yqdidi #gazal #ghazal #poetry #poetrylovers #love #life

Prakhar Kushwaha 'Dear'

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हथेली पे इश्क़ रक्खा नहीं होता,
हुआ भी किसीका तो सबका नहीं होता।

लुत्फ़ इश्क़ का भी नहीं जबतक,
जोक सा ज़िसम में चिपका नहीं होता।

रंज  या  रब्त  में  चुनना  पड़ेगा,
शोले सा हर एक सिक्का नहीं होता।

मेहर है ग़ज़ल की, के जिंदा हूँ मैं,
मोहब्बत में होता तो कबका नहीं होता।

टूटे  हो ग़र  मेरी ग़ज़लें  उठाओ,
पढ़ो जबतलक दर्द हल्का नहीं होता।

म माँ से पढ़ता मैं व्यंजन 'डिअर',
जो शुरुआत में ये क का नहीं होता। #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #love #life #poetry #newgazal

Prakhar Kushwaha 'Dear'

कई सूरतें बदल गयीं, कई रास्ते बदल गए,
ऐ ज़िंदगी तेरे कदम, बचपन मेरा कुचल गए।

मिट्टी बने मकान में, बिखरी थीं जो भी रौनकें,
सपनें शहर के ज़लज़ले बनकर वो सब निगल गए।

यूँ आशिक़ी अता तेरी, मुट्ठी में जैसे रेत हो,
लम्हें की शय में छूटकर, अरमां-ओ-तुम फ़िसल गए।

कैसे यकीं करें मेरा, अब की नयी मोहब्बतें,
तू भी तो अब न साथ है, ख़त भी तो तेरे जल गए।

आकर ज़मीं पे ढूंढते, जीना है क्या है ज़िंदगी,
कल के लिए हयात के, कितने ही आज, कल गए।

जिसको भी जैसी आरज़ू, पा लो 'डिअर' को हूबहू,
हम आईने से एक थे, लो  टूट  सौ  में  ढल गए। #dearsdare #gazal #gazal #yqdidi #yqgazal #love #life

Prakhar Kushwaha 'Dear'

पिन्हा - आंतरिक, रूहानी #dearsdare #gazal #yqdidi #ghazal #yqghazal #yqgazal love life

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न  किरदार कोई  न किस्सा  रहेंगे,
गुमनाम महफ़िल का हिस्सा रहेंगे।

हम दीवाने हैं मर कर गुज़रते नहीं,
धड़कते  हुए  दिल में  ज़िंदा रहेंगे।

जो चलता ज़िसम साथ दे न सका,
तो बनकर सदा  तेरे  पिन्हा  रहेंगे।

चेहरे  पे  मेरे   मायूसी  दिखेगी,
वादा है तुझ बिन के तन्हा रहेंगे।

लोग शादी-लगन में हमें गाएंगे,
बनकर यूँ  बन्नी औ बन्ना रहेंगे।

हर निशा मैं तुझी में उतर आऊंगा,
झील हम  तुम्हारे ही  चन्दा रहेंगे।

कहते मोहब्बत है धब्बा 'डिअर',
फ़िर हम ख़ुशी से ही गन्दा रहेंगे। पिन्हा - आंतरिक, रूहानी
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Prakhar Kushwaha 'Dear'

#dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi poetry love life #gaon

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महज़ इतना कहके गुज़र जाइयेगा,
के आओगे बेशक़ मुकर जाइयेगा।

साथी   सफ़र  का   भले  न  चुनो,
मिलूं ग़र  ज़रा सा  ठहर जाइयेगा।

कहीं भी रहो  संग किसी के हंसो,
रोने  पे  अपने  ही  घर जाइयेगा।

बच्चे को थोड़ी  तसल्ली मिलेगी,
अचानक डराए  तो डर जाइयेगा।

अब तक उसे ही  बुलाता है गाँव,
कहना उसे जब  शहर जाइयेगा।

परिंदे  का  केवल  शज़र  ले  गए,
परों को भी साहब कुतर जाइयेगा।

तवज्जो के बदले में दे क्या 'डिअर',
सलामत रहो तुम जिधर जाइयेगा। #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #poetry #love #life  #gaon

Prakhar Kushwaha 'Dear'

शिगूफ़ा - मज़ाक की बात, अजायब - आश्चर्य, ज़ीस्त - जिंदगी नश्तर - छुरी, बाअदब - तमीज़दार, सभ्य #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #yqgazal love life

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कभी शिगूफ़ा कभी अजायब रहा,
यूँ ज़ीस्त का मेरा ग़म साहब रहा।

तूने नफ़रत से नश्तर चुभोगा मुझे,
सो लुत्फ़-ए-चुभन भी गायब रहा।

ख़ुदा से ज़ियादा था चाहा जिसे,
वो मोहब्बत रही न मेरा रब रहा।

पारो  की  हर  शय  घुँघरू  तले,
देवा  कोई  फ़िर  नया  दब  रहा।

जानी गली जब दीवाने की उसने,
बेअदबी भरा फ़िर  बाअदब रहा।

ख़ुदाया  'डिअर'  तेरे रहते  मिटा,
हमदम  मेरा  तू  बता  कब  रहा। शिगूफ़ा - मज़ाक की बात, अजायब - आश्चर्य, ज़ीस्त - जिंदगी
नश्तर - छुरी, बाअदब - तमीज़दार, सभ्य

#dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #yqgazal #love #life

Prakhar Kushwaha 'Dear'

अलविदा यूँ कहा लब हिले तक नहीं,
जो जुदा ही न थे अब मिले तक नहीं।

इक उमर  कर गयी हीर-राँझा जिन्हें,
दरमियाँ रह गए सिलसिले तक नहीं।

और   भूला  मुझे   ऐसे  मेरा  सनम,
मोहब्बत तो  छोड़ो  गिले  तक नहीं।

थे  राजा  कभी,  दूर  तक  राज  था,
आज पुश्तें नहीं और किले तक नहीं।

उन गुलों का  चढ़ावा  बलि है भगत,
जो बागों में  रहकर  खिले तक नहीं।

राम नाम है सफ़र में हाफ़िज़ 'डिअर',
के  रगड़े बहुत  पर  छिले  तक नहीं। #dearsdare #yqdidi #gazal #ghazal #yqgazal #love #life

Prakhar Kushwaha 'Dear'

छू लो मुझे लबों से किसी जाम की तरह,
लिपटा रहूँ बदन से मैं गुलाम की तरह।

रातों में अग़र आस के जुगनू सा जो मिलो,
मिल जाऊं मैं तुम्हें तुम्हारी शाम की तरह।

हांथो में तेरे नाम की लक़ीर खींच दी,
माना तुम्हें ख़ुदा के फ़िर पयाम की तरह।

गीतों में, ग़ज़ल में तुम्हें हबीब सा लिखा,
पढ़ता रहा तुम्हें ही मैं क़लाम की तरह।

सोंचा था ज़माना तो ज़माने की तरह है,
तुम भी तो दिल दुखा गयी तमाम की तरह।

जबतक 'डिअर' जहाँ में जहां भी रहे तेरा,
लग जा मेरे गले से तू लगाम की तरह।  #cinemagraph #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #yqbaba #love #life
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