Find the Best जी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutजल ही जीवन है पर कविता, जीवन संघर्षमय है पर कविता, रामायण जी देखना है, हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता, आज जी भर के हमें प्यार करो,
Surjeet kumar
White जिंदगी कुछ तो बता। ©Surjeet kumar #Aap #जी #काम बादल सिंह 'कलमगार'
USM Initiative
शराब हराम है फिर भी पी रहे है लोग ईमान मर रहा फिर भी जी रहे है लोग ©USM Initiative #शराब #जी motivational shayari hindi shayari
Rakesh frnds4ever
White स:- क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ बेरोजगार हूं ((( दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता हूं, चेहरे को नोचता हूं, बालों को खींचता हुं,, पैर पटकता हूं, (( जी निकलता नहीं जीवन को कोसता हूं , घृणा करता हूं खुद से और संसार के रचियता से,, दिन रात सुबह शाम दोपहर भोर संध्या हर समय हर पल मरने की कोशिशें चाहतें इच्छाएं दुवाएं करता हूं,,....))) ©Rakesh frnds4ever स:- #क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ #बेरोजगार हूं ((( #दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता हूं, चेहरे को नोचता हूं, बालों को खींचता हुं,, पैर पटकता हूं,(( #जी निकलता नहीं #जीवन को #कोसता हूं , #घृणा करता हूं खुद से और संसार के रचियता से,, दिन रात सुबह शाम दोपहर भोर संध्या हर समय हर पल #मरने की कोशिशें चाहतें इच्छाएं दुवाएं करता हूं,,....))) #rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625@नोजोटोलाइफ @nojotohindi #lifetragedy लाइफ कोट्स
स:- #क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ #बेरोजगार हूं ((( #दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता हूं, चेहरे को नोचता हूं, बालों को खींचता हुं,, पैर पटकता हूं,(( #जी निकलता नहीं #जीवन को #कोसता हूं , #घृणा करता हूं खुद से और संसार के रचियता से,, दिन रात सुबह शाम दोपहर भोर संध्या हर समय हर पल #मरने की कोशिशें चाहतें इच्छाएं दुवाएं करता हूं,,....))) #rakeshyadav @rkysky @rkyskyfrnds4ever @rkysky1625@नोजोटोलाइफ @nojotohindi #lifetragedy लाइफ कोट्स
read morePahadi Shayar Jd
ये कलयुग है यहां शब्दों का मोल नहीं मुस्कराहट का तोल नहीं कहा मिलता है सच्चा दिल अब यहां बेवफाई सरे-आम है ©Pahadi Shayar Jd #जी #सत्य #लव #प्यार
SKgujjarchauhan
#शिव #जी #से #हीं #जीवन #में #सब कुछ #पाए है #एसकेहरियाणा #शायरीदिलसेनिकलीहुई हर हर महादेव भक्ति संगीत भक्ति वीडियो भक्ति सागर Hinduism
read moreRajni
White ये कैसी #ख़्वाहिश है,,, **कि #मिटती ही नहीं..... __ #जी भर के 👉#तुझे_देख लिया___ फिर भी #नज़र_हटती👀 नहीं.. ❤️ ©Rajni #sad_shayari
ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ
बाँध ले हाथ पे सीने पे सजा ले तुमको जी में आता है कि ताबीज़ बना ले तुमको, फिर तुम्हे रोज़ संवारे तुम्हे बढ़ता देखे क्यूँ न आँगन में चमेली सा लगा ले तुमको, जैसे बालो में कोई फूल चुना करता है घर के गुलदान में फूलो सा सजा ले तुमको, क्या अज़ब ख्वाहिश उठती है हमारे दिल में कर के मुन्ना सा हवाओं में उछाले तुमको, इस क़दर टूट के तुम पे हमें प्यार आता है अपनी बाहों में भरे मार ही डाले तुमको, कभी ख़्वाबो की तरह आँख के परदे में रहो कभी ख्वाहिश की तरह दिल में बुला ले तुमको, है तुम्हारे लिए कुछ ऐसी अक़ीदत दिल में अपने हाथो में दुआओं सा उठा ले तुमको, जान देने की इज़ाजत भी नहीं देते हो वरना मर जाएँ अभी मर के मना ले तुमको, जिस तरह रात के सीने में है माहताब का नूर अपने तारिक मकानों में सजा ले तुमको, अब तो बस एक ही ख्वाहिश है किसी मोड़ पर तुम हमको बिखरे हुए मिल जाओ संभाले तुमको.!! ~वसी शाह ©Khan Sahab #जी में आता है कि सीने से लगा लें तुमको deep poetry in urdu poetry on love poetry lovers
#जी में आता है कि सीने से लगा लें तुमको deep poetry in urdu poetry on love poetry lovers
read moreShashi Bhushan Mishra
जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जी-हुजूरी कब तलक#
#जी-हुजूरी कब तलक#
read moreShashi Bhushan Mishra
जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जी हुज़ूरी कब तलक#
#जी हुज़ूरी कब तलक#
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