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Anil Kumar Jaswal
ढल गया सुरज, आ गई शाम, निकलने लगा चांद। बिल्कुल मेरे महबूब से, मिलता-जुलता, था उसका चेहरा। चारों तरफ था, उसके रुप का उजियारा। हर आंख, उसकी ओर उठ रही थी, उसके नशे में झूम रही थी। ©Anil Kumar Jaswal #ढलतीशाम Praveen Storyteller Sudha Tripathi heartlessrj1297 kanchan Yadav संजय सिंह भदौरिया
#ढलतीशाम Praveen Storyteller Sudha Tripathi heartlessrj1297 kanchan Yadav संजय सिंह भदौरिया
read morepoonam atrey
ढलती शाम ढलती शाम की तरह है जिंदगी । जाने कब फरमान आ जाये। सुबह से चलना शुरू किया था। जाने कब जिंदगी की आखिरी शाम आ जाये। ये दुनिया तो मुसाफिर खाना है। जाने कब तेरा और कब मेरा नाम आ जाये। इसी कशमकश में बीत गई उम्र सारी । कब एक ख्वाहिश पूरी हो , कब हसरतें तमाम आ जाये । चले जा रहें हैं जिंदगी की तलाश में । ढल रही शाम है ,कब आखिरी मुकाम आ जाये।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey #ढलतीशाम
DR. SANJU TRIPATHI
ढलती शाम का मंजर देख तनहाइयां भी गीत सुरीले गुनगुनाने लगती हैं। शाम को गर मिल जाए चाय के साथ पकोड़े भी तो मज़ा आने लगता है। घर लौटते परिंदों को देख हमें अपने प्यार की याद बहुत सताने लगती है। ढलती शाम को बन परिंदे जब घर लौट आया करते हैं। छटा फिर चाँद की हम देख ग़ज़ल गुनगुनाया करते हैं।। Shobhit Mishra 👉आइए आज लिखते हैं अपने दिल की बातें कि आप अपने चाँद को देख कर क्या गुनगुनाते हैं .... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
ढलती शाम को बन परिंदे जब घर लौट आया करते हैं। छटा फिर चाँद की हम देख ग़ज़ल गुनगुनाया करते हैं।। Shobhit Mishra 👉आइए आज लिखते हैं अपने दिल की बातें कि आप अपने चाँद को देख कर क्या गुनगुनाते हैं .... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
read moreyogesh atmaram ambawale
गुजर गया दिन शाम भी गुजर रहीं, ढलती शाम में चाँद की छबी नज़र आई| देख आसमानी चाँद एक और चाँद की याद आई| दूर हैं जो अभी नजरों से मेरे,मुझे मेरे उस चाँद की याद आई| ढलती शाम को बन परिंदे जब घर लौट आया करते हैं। छटा फिर चाँद की हम देख ग़ज़ल गुनगुनाया करते हैं।। Shobhit Mishra 👉आइए आज लिखते हैं अपने दिल की बातें कि आप अपने चाँद को देख कर क्या गुनगुनाते हैं .... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
ढलती शाम को बन परिंदे जब घर लौट आया करते हैं। छटा फिर चाँद की हम देख ग़ज़ल गुनगुनाया करते हैं।। Shobhit Mishra 👉आइए आज लिखते हैं अपने दिल की बातें कि आप अपने चाँद को देख कर क्या गुनगुनाते हैं .... कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
read moresandy nai
#FourLinePoetry जब सुबह की लाली में सूर्य चमकता है, सुंदरता का रूप जीवन मे निखरता है...! कभी ढलती शाम की गरमाहट महसूस करना, वो ठण्डी होती आँच बहुत कुछ बोलती है...!! ©sandy nai #sandynai #ढलतीशाम #fourlinepoetry Divya Joshi Consciously Unconscious Sanjay Tiwari "Shaagil" Saurav life Dr Priyanka Priyam
#sandynai #ढलतीशाम #fourlinepoetry Divya Joshi Consciously Unconscious Sanjay Tiwari "Shaagil" Saurav life Dr Priyanka Priyam
read moreतरुण सूर्यवँशी "साहिल"
अल्फ़ाज़ सूर्या - अल्फाज़ मेरे अब लबों पर आकर थम जाते है.. किस्से कहानियां बचपन के बहुत याद आते है.. ढलती शाम तक लौट आते थे घर को कभी.. अब तो आधी रात तक भी नही पहुँच पाते है... तरुण सूर्यवँशी "साहिल' #alfaaz #nojotohindi #poet #shayari #love #life #child #thought #Nojoto #अल्फ़ाज़ #लब #किस्से #कहानियां #बचपन #ढलतीशाम #घर #आधीरात Wo Akhiri Shabd...✍🏻 LoVe YoU # आखरी_सफर _writes कथायति Inner Voice
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