Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best क्रीम Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best क्रीम Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutडेरोबिन क्रीम के फायदे hindi, इंसान कैसा क्रीम है, फेयरनेस क्रीम के बारे में, कालापन दूर करने की क्रीम, साफ चेहरा करने की क्रीम,

  • 10 Followers
  • 87 Stories

ओम नमः शिवाय

#नॅचरल #घरगुती #क्रीम #चेहरा #उजळून जाईल #डाग जातील #सुरकुत्या जातील #गोरा गोरा होईल ! #chehra gora karane #Upay

read more

💞Seema Yadav💞

#रंग_गोरा_होने_से #क्रीम #लड़की_बहुत_सुंदर_है # #YourQuoteAndMine Collaborating with ❣️हम हैं राही प्यार के❣️

read more
.............🙄🙄🙄— % & #रंग_गोरा_होने_से #क्रीम 
#लड़की_बहुत_सुंदर_है 
# #YourQuoteAndMine
Collaborating with ❣️हम हैं राही प्यार के❣️

jyoti Kushwaha

चेहरा खुबसूरत जरूरी है या कब्लियत #क्रीम #Unfair #saawla_rang #Beautiful nojoto #story #storyunfair Praveen Storyteller Prachu Modi Neha Tiwari Nojoto lalanrajrock12 Bantu Kardam #Rewind2021

read more

MR VIVEK KUMAR PANDEY

#क्रीम और पाउडर #SpeakOutLoud

read more

Sarvesh Bharti

खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना तनावमुक्त जीवन देता है। हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है, उसका आनंद लीजिये। बाल रंगने हैं तो रंगिये, वज़न कम रखना है तो रखिये, मनचाहे कपड़े पहनने हैं, तो पहनिये। बच्चों की तरह खिलखिलाइये, अच्छा सोचिये,

read more
Read caption 😊💓 खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना तनावमुक्त जीवन देता है। 
हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है, उसका आनंद लीजिये।

बाल रंगने हैं तो रंगिये, 
वज़न कम रखना है तो रखिये, 
मनचाहे कपड़े पहनने हैं, तो पहनिये।
बच्चों की तरह खिलखिलाइये, 
अच्छा सोचिये,

Apurva Tiwari Raghuvansh

read more
आज भी मैं सूरज निकलने के बाद उठा और पिता जी की डांट पढ़ने  का डर मन में लेकर उठा लेकिन वह दिन कोई त्योहार से कम नहीं लग रहा था l लेकिन मन में इतना उत्साह और उमंग पहले नहीं था, कारण क्या है पता नहीं l रोज की तरह उठा और मंजन करने के बाद पेपर पढ़ने की तलब लग गई लेकिन पेपर पिताजी के हाथ में था और इतनी भी शक्ति नहीं थी कि पिताजी से पेपर मांग सकूं और सुबह मुझे एक बार फिर आज इंतजार कितना कठिन होता है यह मालूम पड़ गया इधर-उधर घूमने के बाद अंततः  मेरे हाथों में पेपर आ गया लेकिन उस दिन पेपर में कुछ खास नहीं था l जितना उल्लास के साथ पेपर की प्रतीक्षा कर रहा था, उसका फल तो मिला लेकिन फल में मिठास नहीं थी l पेपर छोड़ जिंदगी के बारे में सोचने लगा कि क्या किया जाए कि जिंदगी आगे बढ़े तभी पीछे से एक आवाज आई "हैप्पी बर्थडे भैया"
 मैं चौक पड़ा तब मुझे मालूम हुआ कि आज मेरा जन्मदिन है फिर खुशी और उत्साह के साथ एक दूसरे से गले मिला गया और पैर वगैरा छूने की परंपरा के साथ सुबह की शुरुआत हुई और उस दिन मुझे एक बात समझ आई जो दिन मुझे सुबह से खास लग रहा था और एक अजीब उत्साह और उमंग का अनुभव कर आ रहा था उसका क्या कारण है , अब समझ में आने लगा कि प्रकृति किस तरह संकेत देता है कि आज आपके लिए क्या खास है क्या आम है प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है और हमने प्रकृति को क्या दिया है इन सब विचारों को सोचते हुए सुबह कब बीत गई मालूम ही नहीं चला जल्दी जल्दी उठा और स्कूल जाने के लिए तैयार हो गया हमेशा की तरह मुझे स्कूल जाना पसंद नहीं था फिर भी स्कूली शिक्षा बहुत आवश्यक है इस उद्देश्य से स्कूल निकल गए और वहां पहुंचा तो हमेशा की तरह वही बैठने की समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि उस समय बच्चे सिर्फ अपनी नियमित बैठने के स्थान पर ही बैठते थे और उनके बैठने के स्थान को टीचर 1 दिन तय करते थे मेरा दुर्भाग्य ऐसा था कि मैं उस दिन कभी स्कूल पहुंच ही नहीं पाया जिस दिन बच्चों को क्रमबद्ध तरीके से अपने स्थान पर बैठने के लिए नियत स्थान दिया जाता था l
 मैं समय से थोड़ा पीछे था और मेरी किस्मत भी खराब थी खैर पहली समस्या का निदान किसी प्रकार करके मैं किसी तरह से पीछे वाली बेंच पर बैठ गया ,  फिर भी मेरे पास एक अन्य समस्या थी कि मैं स्कूली शिक्षा में बहुत ही कमजोर था और मध्यम से भी कम पढ़ने वाला छात्र था और मेरा कुछ खास पढ़ने में मन भी नहीं लगता था
मध्यम प्रकार के छात्रों की 1 विशेषताएं होती हैं ना वह स्वयं पढ़ते हैं ना किसी दूसरे को पढ़ने देते हैं
 मैं कुछ इसी तरह का छात्र था l शिक्षक महोदय आते ही पहली नजर में मुझसे पूछते कि क्यों इतने दिन से विद्यालय नहीं आते हो और मैं हमेशा की तरह बचने के लिए बहाने को मन में ढूंढता और इधर उधर की बातें कह कर बच निकलता था और मेरा हमेशा की तरह यही लक्ष्य रहता कि किसी तरह पहले ही पीरियड में क्लास से बाहर निकल जाओ और अंतिम पीरियड के आधे घंटे से कम समय बचा हो तो कक्षा में आ जाऊं 
फिर भी अगर मैं कभी आधे घंटे से अधिक समय पहले आ जाता तो आधा घंटा मुझे एक सदी के बराबर लगता और लगता कि कितनी देर से मैं यहां बैठा हूं और घंटी बज ही नहीं रही है , जैसे ही कक्षा समाप्त होने की घंटी बजती और घर जाने का समय आता तो एक आजादी वाली फीलिंग मन में आती l
अक्सर में विद्यालय ना जाने के बहाने ढूंढा ही करता था 
लेकिन मैं किसी तरह से स्कूल भेज दिया ही जाता था इसी तरह से मेरा हाई स्कूल पूरा हो गया और मैं 60 परसेंट अंकों के साथ पास हो गया 
 असली जंग मेरे लिए अब यह थी कि इंटर उसी विद्यालय से करूं कि किसी अन्य विद्यालय से करूं सभी फैसले पिताजी के अधीन थे, तो इस बार भी यही तय हुआ कि उसी विद्यालय में पढ़ा जाए और मेरा मन उस विद्यालय में पढ़ने को थोड़ा भी नहीं था लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन मेरे पास भी एक ऐसा हथियार था जिससे पिता जी के बातों को काटा जा सकता था मैंने मायूस से चेहरे को उठाया और मां की तरफ भोली सूरत बना कर देखा और    मां ने पिता जी से तुरंत कहने लगी कि जब बच्चे का वहां पढ़ने में मन नहीं लगता तो किसी अन्य विद्यालय में नाम लिखवा दीजिए 
रोज की तरह माताजी पिताजी में फिर झगड़ा स्टार्ट हो गया पिताजी बताने लगे कि पढ़ाई स्वयं से होती है किसी विद्यालय से नहीं तो माता जी कहने लगी कि विद्यालय अगर महत्वपूर्ण है तो बच्चों को विद्यालय क्यों भेजा जाता है हर विद्यालय का अलग अलग महत्व है इसीलिए वह वहां पढ़ना चाहता है उसका नाम वहीं पर लिखवाई 
ये तमाम बहस के बाद पिताजी मान गए और उन्होंने कहा कि ठीक है तुम्हारा जहां मन है तो मुझे बताओ मैं तुम्हारा नाम वही लिख देता हूं अब मेरा मन सरकारी विद्यालय में पढ़ने का कर रहा था इसलिए मैंने अपना नाम सरकारी विद्यालय में लिखवा लिया जो कि शहर का काफी ख्यात प्राप्त विद्यालय था
 नाम लिखवाने के बाद में छुट्टियां बिताने के लिए अपने गांव चला गया और फिर से छुट्टियां समाप्त हुई और विद्यालय जाने का समय आ गया#रवि (कहानी के प्रमुख पात्र का नाम) जब पहले दिन कॉलेज जाने को तैयार होता है तो उसके मन में बहुत ही ज्यादा घबराहट होती है भले उसके मन के स्कूल में उसका नाम लिखा उठता है पर वही पहले वाली समस्या मन में रहती है वह सोचता है कि नए लोग कैसे होंगे और नए क्लास को मैं कैसे ढूंढ लूंगा और टीचर किस तरह के होंगे आदि समस्याओं को सोचते हुए रवि अपने मां और पिता जी का आशीर्वाद लेकर स्कूल की ओर रवाना हुआ
 स्कूल घर से आधा किलोमीटर के आसपास था ,bपहला दिन था मां ने 50 का नोट दिया था ₹5 किराया हुआ बाकी पैसे में लेकर स्कूल के सामने उतरा और उतरते ही मैंने पहले अपना शर्ट को पैंट के अंदर अच्छे से अंदर किया और बगल खड़ी सब्जी के दुकान के पास एक मोटरसाइकिल के शीशे में अपना बाल सही किया और  बैग में एक क्रीम का डिब्बा निकालना और थोड़ी सी क्रीम मुंह में लगाई और हाथों  मे मलते हुए हुए विद्यालय के अंदर घुस गया दिल की धड़कन बिल्कुल तेज हो गई थी, लेकिन घुसते ही मेरे एक पुराना और थोड़ा परिचित मित्र मिल गया उन्हें देखते ही मेरे दिल की धड़कन नॉर्मल हो गई खास बात यह था कि जो मुझे मिला था मैं उससे किसी जमाने में बात करना ही पसंद नहीं करता था लेकिन आज उसके मिलने से जो खुशी मिली है और मन को जो  हल्का पन महसूस हुआ उसे  मैं बता नहीं सकता हूं 
खास बात यह है कि अब धीमे धीमे थोड़े ही समय में दो चार लोग मेरे परिचित हो गए अब एक तरह से एक ग्रुप जैसा माहौल बन गया है मन पूरी तरह से अब शांत हो गया हम भारतीय खास रूप रूप से उत्तर प्रदेश क्षेत्र से आने वाले कुछ अलग ही तरीके के होते हैं 
उनमें एक लड़का जयंत (कहानी का दूसरा पात्र) था जो बहुत छोटा था और बहुत काला था लेकिन उसकी बातें बहुत रोचक थी वह थोड़े ही समय में इतनी बात कर डाला कि कोई विश्वास ही नहीं कर सकता कि हमें मिले हुए थोड़ा समय हुआ है क्लास शुरू हुई और कक्षा में शिक्षक महोदय बड़ी सी मुस्कान के साथ कक्षा में प्रवेश किया और सभी का परिचय देते हुए अपना तथा अपने कोचिंग दोनों का प्रचार किया और यह सब करने के बाद अटेंडेंस लिया जाना शुरू किया गया और हमेशा की तरह यहां भी मेरे नाम बुलाने में वही गलती किया जो उसके पहले के शिक्षक किया करते थे मेरे नाम को पूर्वलिंग से स्त्रीलिंग बनाकर पूरे कक्षा का मनोरंजन किया तथा मेरा छीछालेदर पहले ही दिन कर डाला
 स्कूल खत्म होने में 15 से 20 मिनट बचा था हम चारों मित्र एक दूसरे का नंबर लेकर शाम को मार्केट में मिलने का वादा किया
 अब चारों लोगों ने अपने टिफिन को बैग रख लिया अब चारों लोग एक साथ स्कूल के गेट से निकले और चार दिशाओं में निकल गए अपने अपने घर पहुंचा और पहुंचते ही बड़े भैया जो कोलकाता से सिविल इंजीनियर और संत की तरह शांत रहने वाले व्यक्ति थे देखा कि वह आए हैं उन्हें देखकर बहुत खुशी मिली तभी पिताजी आए और फौज में होने के कारण आवाज में कड़ापन के साथ पूछा कि स्कूल का पहला दिन कैसा था मैंने भी तुरंत जवाब दिया बहुत बढ़िया इतना पूछा और कार में बैठकर वह निकल गए
 भैया को देखकर मन में बहुत खुशी हुई थी क्योंकि भैया हम सब में बड़े होने के कारण हम सबका ध्यान बहुत अच्छे से रखते थे पिताजी के जाते ही मैंने तुरंत ही कपड़े उतार कर दरवाजे पर फेंका जूता उतारकर के नीचे फेंका तथा मोजा को पंखे पर लटकाने के चक्कर में वह अटारी में जा गिरा जल्दी से खाना खा कर तैयार हो गया भैया से बात करने तथा उनसे एक सौ की नोट लेने के उद्देश्य से उनके पास बैठा और कोलकाता के विषय में कुछ जानना चाहता था तो भैया हमें कोलकाता के हावड़ा ब्रिज,रामकृष्ण परमहंस , स्वामी विवेकानंद , अरविंद घोष और वहां की मिस्टी (रसगुल्ला) के विषय में बता कर मुंह में पानी ला दीया 
एक घंटा तक कोलकाता के विषय में जानने के बाद मैं उनसे पूछ कर अपने दोस्तों से मिलने के लिए चल देता और उन्हें दादा कहते हुए घर से निकल पड़ता हूं तभी भैया के मोबाइल पर फोन आ जाता है और मैं कुछ चिल्लर बैग से निकाल कर जेब में रखकर जैसे ही बाहर की तरफ निकलता हूं तभी पीछे से आवाज आती है कि तेरे को तेरा भाई बुला रहा है 
 पूरा निराश होकर लौटते हुए मैं घर में घुसता हूं और दादा को पर्स लिए देखता हूं वह मुझे बुलाते हैं और उनके हाथों में 100 साल की कई नोट थी मैं सोचता कुछ नोट मुझे भी मिल जाए
 100 की 5  नोट उन्होंने दिया और कहा ठीक तू दोस्तों से मिलने जा रहा है मैं समझ नहीं पाया और पूछा दादा क्या सामान लाना है तो उन्होंने कहा (फोन का स्पीकर हाथ से दबाते हुए ) रख ले खर्च करना मैंने खुशी झूमता हुआ घर के बाहर निकल गया मैं तुरंत बस पकड़कर चौराहे पर पहुंचे तो देखा टोली पहले ही चाय की दुकान पर बैठी थी मेरे अंदर पूरी तरह से  एब गया था मैंने कहा भाई पार्टी मेरी तरफ से आज है मेरे दादा आए हैं और उन्होंने 100 की पांच हरे पत्ते दिए हैं सभी ने दादा की जय कार लगाते हुए दुकान के पीछे चलने को कहा हम तो दुकान के पीछे गए तभी रमेश (कहानी का दूसरा पात्र)  जेब से एक लंबी सी काली रंग की सिगरेट निकाली और रूप तीसरे मित्र ने लाइटर से जलाया और पहले जयंत ने एक कस लिया और हवा में गोला बना या उसके बाद रमेश ने लिया और एक असली कर कर क्या वह रॉकेट की तरह सर सर से नाक से निकाला लेकिन रूप (कहानी का तीसरा पात्र) ने  ऐसा कुछ नहीं किया वह एक कश लेकर लेकर लेकर मेरी तरफ बढ़ाया मैंने कहा कि नहीं मैं पीता तो जयंत ने बताया बहुत मजा आएगा पी कर देखो
 काफी प्रेशर के बाद दूसरी सिगरेट आई और मैंने जैसे उसे जलाया और  ओठो से लगाया एकदम मजा आ गया बिल्कुल मीठा सा स्वाद आ रहा था तो उन्होंने कहा या फ्लेवर वाली है पहले तो इसे चीज भी अंदर ले और फिर निकाल बहुत मजा आएगा
 मैंने कहा चलो ठीक है , आज के लिए इतना ही चलो कुछ खाते हैं हम सब एक बढ़िया से रेस्टोरेंट में गए और वहां पर बैठे तभी वेटर आया और कहा कि सर क्या लाऊं  मेनू सामने रख दिया मैंने कहा मित्रों क्या खाया जाए और हम सब ने तय किया कि डोसा खाया जाए हम ने चार डोसा के लिए कह दिया और वह आर्डर लेकर चला गया लेकर चला गया हम सब आपस में बात कर रहे थे तभी बगल वाली टेबल पर एक फैमिली आई वह भी भी मेरे बगल बैठ गई हम सब लोग उल्लूर जलूल बात कर रहे थे 
शायद मेरे बगल बैठी फैमिली परेशान हो रही थी लेकिन हम लोग अपनी धुन में थे अब लोग डोसा खाने लगे ठीक मेरे विपरीत एक लड़का और एक लड़की भी रेस्टोरेंट में आए थे और आपस में बात कर रही थी तभी मेरे मित्र जयंत ने उस लड़की को देखकर कहा बहुत खुशमिजाज और सुंदर लड़की है तभी रमेश और रूप जो दोनों मेरे अगल-बगल बैठे थे जो दोनों मेरे अगल-बगल बैठे थे वह भी अपने काले चश्मे के पीछे से देखा और तारीफ किया
‌अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था जैसे मैं मुड़ा तो मेरी ठीक विपरीत तो वह व्यक्ति की पीठ दिखी और मैं पीठ देखकर समझ गया कि यह तो भैया है अभी अगर मुझे यहां देखेंगे तो कुछ कहेंगे नहीं पर उनको अच्छा नहीं लगेगा यह सारी घटना वहां बैठी लड़की भी चोरी से देख रही थी उसने शायद भैया से कुछ कहा और भैया मुड़कर देखे तो उन्होंने टेबल पर तीन ही लोग दिखाई दिए क्योंकि ठीक उसी वक्त मेरा चम्मच जमीन पर गिर गया था वही उठाने के लिए मैं झुका था  भैया पहले उठे और वह चले गए हम लोग का भी नाश्ता हो गया था अब हमने वेटर को बुलाया और कहा बिल लेकर लेकर आइए तो उसने कहा कि आपके पीछे बैठे सर ने आप का बिल भर दिया है हम सब खुश हो गए कि किसी ने अनजाने में बिल भर दिया लेकिन उनकी खुशी ज्यादा देर नहीं रह सकी मैंने उसे कहा वह मेरे बड़े भैया थे
 सभी शांत हो गए हम सब बाहर निकले और गले मिलने के बाद कल स्कूल मिलने का वादा किया घर पहुंचते ही मैंने मां से पूछा कि पिताजी तो घर नहीं आए हैं ? लेकिन वह नहीं आए हैं
 और दादा ......... हां वह आ गया है 
ऊपर है किसी से बात कर रहा है मैं ऊपर गया और बिना कुछ उनके कहे ही बताने लगा कि नए दोस्त बने हैं इसलिए उनके साथ पहली बार बाहर गया था वह कुछ बोले नहीं कहा चलो ठीक है कोई बात नहीं पढ़ाई में भी ध्यान दिया करो 
फिर रात का खाना सब साथ में किया और मैं सुबह जल्दी स्कूल के लिए निकल गया 
हम लोग क्लास में बैठे थे तभी मैंने खिड़की से देखा एक सुंदर लड़की मुंह में नकाब बांधकर गुजरी लेकिन मैंने भी उसे देखा फिर अनदेखा कर दिया लेकिन जब वह मेरे ही कक्षा में आई और मैंने उसे दोबारा देखा मेरे दिल की धड़कन अपने आप तेज हो गई अब क्यों तेज हो गई इसका जवाब उस समय तक तो नहीं था लेकिन वक्त ने कुछ वक्त लेकर समझा दिया मुझे 
मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था पर उसकी आंखों को देखकर इतनी खुशी मिल रही थी कि देखते जाओ देखते जाओ 
पर वह 30 सेकंड तक उसको देखना मेरे लिए 30 जन्मों की खुशी के बराबर ऐसा मुझे लगा था 
कक्षा स्टार्ट होने वाली थी जब उसने अपना नकाब उतारा वह हल्का सांवली रंग की अद्भुत गरहन से युक्त लड़की थी उसका चेहरा देख कर मुझे उस से मोहब्बत हो गई ऐसा पहले मैंने सिर्फ सुना था लेकिन आज मेरे साथ जो हो रहा था
 उससे मैं बहुत खुश था स्कूल कब समाप्त हो गया पता ही नहीं चला अक्सर में सोचता जल्दी छुट्टी हो जाए लेकिन अब सोचता दो 4 घंटे और पढ़ना चाहिए इसी तरह से कई महीने बीत गए मैं उसे सिर्फ देखा ही करता था
 ना कभी उससे बात करने का प्रयास किया ना उससे कभी रोकने का 
मेरे दोस्त मुझसे कहते थे कि तेरा प्यार किसी को कभी भी समझ में नहीं आ सकता है और इसी तरह उसे देखते ही देखते वक्त इतनी तेजी से बढ़ गया कि हमें लोगों की परीक्षा आ गई और मैंने सोचा परीक्षा के अंतिम दिन उसे मैं एक पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात को बताऊंगा परीक्षा प्रारंभ हो गई और परीक्षा के अंतिम दिन का इंतजार कर रहा था 
अब आखरी परीक्षा होने से पहले 4 दिनों की छुट्टी थी  द्वितीय अंतिम परीक्षा समाप्त होने की शाम को ही मैं बाजार गया था और वहीं पर मैं खड़ा होकर सब्जी के दुकान पर सब्जी ले रहा है तभी एक लड़की नकाब में आए और वह भी मोलभाव करने लगी मैंने उस ओर देखा नहीं मगर वह मेरे कंधे पर अपनी दो उंगलियों से हल्का सा डरते हुए पूछा कि तुम मेरी क्लास में पढ़ते हो
 मैंने तुरंत उसकी आंखें देखी और मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा एक समय ऐसा आ गया कि मेरे दिल की धड़कन बहुत ज्यादा हो गई और मेरे हाथ पैर भी कांपने लगे मैंने जल्द ही एक लंबी और गहरी सांस ली और उससे बात की हम दोनों सड़क पर खड़े होकर 10 मिनट तक बात किया और बातों ही बातों में मैंने उसका नाम पूछा तो उसने कहा कि हम दोनों एक ही क्लास में 1 साल से पढ़ रहे हैं लेकिन तुम्हें मेरा नाम मालूम नहीं है
 मैंने कहा क्या तुम्हें मेरा नाम मालूम है जैसे ही उसने मेरा नाम रवि लिया ऐसा लगा कि मुझे प्रधानमंत्री जानता हो
 उसके  होठों पर मेरा नाम सुनकर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं दुनिया का सबसे बड़ा इंसान हूं लेकिन मैंने उससे फिर पूछा तुम्हारा नाम क्या है तो उसने बताया कि मेरा नाम समीरा खान है उसके नाम पहली बार सुन कर कर बहुत अच्छा लगा मैंने उससे पूछा की और बताओ सब कैसे हैं इन सब बात को करते हुए हम लोग काफी देर तक बात करते रहे लेकिन वह कहने लगे कि मुझे देर हो रही है कभी और बात करते हैं वह चली गई मैं उसको निहारता रहा जब वह गली में जाने वाली थी तो एक बार पीछे मुड़ी हाथ हिला कर धत  का इशारा कर कर मुस्कुराकर चली गई
 मैं रात भर भर उसके बारे में सोचता रहा और उसके लिए  मैंने सोचा कि मैं उसे एक प्रेम पत्र के माध्यम से अपनी भावना को बताऊंगा अगले दिन उठकर एक रंगीन पत्र खरीद कर कर लाया मुझे रंगीन पत्र खरीदने में लगभग 10 लोगों की मदद लेनी पड़ी पहले तो मैं सादे कागज में लिखना चाहता था फिर रंगीन पेज में फिर यह नहीं समझ पा रहा था कि किस रंग के कागज में लिखो इसके लिए मैंने दादा का सहारा लिया और उन्होंने मुझे गुलाबी पीला और लाल तीनों में एक रंग के कागज को खरीदने को कहा मैंने पीले रंग के कागज को ज्यादा बेहतर समझा क्योंकि जब वह मुझसे पहली बार  मिली थी तब वह पीले रंग की ड्रेस पहना हुआ था मुझे लगा कि शायद पीला रंग उसे पसंद होगा और रात भर जागकर तथा अपनी सच्ची भावना को कागज पर उतार कर अपनी जेब में रख लिया चार दिनों तक दिनों तक उसे जेब में लेकर घूमते घूमते इतना अच्छा लग रहा था कि मानो वही मेरे साथ हो अब वह दिन आ गया जब उसे पत्र देने का समय आ गया था मैंने बहुत ही पहले तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गया मेरे सारे दोस्त मुझसे पहले पहुंचकर उसका इंतजार कर रहे थे मैं पहुंचा और पूछा आई सभी ने कहा अभी तो नहीं आई है लेकिन अभी थोड़ी देर में आ जाएगी
 घंटी बज गई पेपर स्टार्ट हो गया और पेपर खत्म भी हो गया लेकिन वह नहीं आई उसके बारे में मैं बहुत पता करने की कोशिश किया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला 
शायद मेरी और उसकी वह सब्जी की दुकान की दुकान पर ही आखिरी मुलाकात थी 
ऐसा मुझे लग रहा था शायद यह कुदरत का भी खेल था जिसे मैं बहुत देर में समझा लेकिन कुदरत के सामने कोई भी टिक नहीं सकता है 
उसके बनाए बनाए नियम को कभी कोई तोड़ नहीं सकता है 
यह बात मुझे उस दिन बहुत ही अच्छे तरीके से समझ में आ गई में आ गई
आज 5 साल बीत गए और मैं अब पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए कोलकाता विश्वविद्यालय चला गया हूं लेकिन आज भी जब मैं घर आता हूं तो उस सड़क पर घंटे खड़े होकर उसका इंतजार करता हूं उसको देने के लिए लिखा प्रेम पत्र पुराना हो गया है लेकिन उसमें लिखिए शब्द आज भी उतने ही अपने लगते हैं जितना कि देने को सोच कर कर लिखा था मैं आज भी अपने को बहुत कोसता हूं और सोचता हूं काश कि उस दिन सब्जी वाली दुकान पर ही मैं उसे अपने मन की बात बता देता तो आज वह मेरे पास होती l
                   खुदा की रहमत भी
                         गजब की है, 
                  अक्सर थोड़ी खुशी देकर! 
                 जिंदगी भर के लिए गम दे जाते हैं l

Apurva Tiwari Raghuvansh

read more
आज भी मैं सूरज निकलने के बाद उठा और पिता जी की डांट पढ़ने  का डर मन में लेकर उठा लेकिन वह दिन कोई त्योहार से कम नहीं लग रहा था l लेकिन मन में इतना उत्साह और उमंग पहले नहीं था, कारण क्या है पता नहीं l रोज की तरह उठा और मंजन करने के बाद पेपर पढ़ने की तलब लग गई लेकिन पेपर पिताजी के हाथ में था और इतनी भी शक्ति नहीं थी कि पिताजी से पेपर मांग सकूं और सुबह मुझे एक बार फिर आज इंतजार कितना कठिन होता है यह मालूम पड़ गया 

इधर-उधर घूमने के बाद अंततः  मेरे हाथों में पेपर आ गया लेकिन उस दिन पेपर में कुछ खास नहीं था l जितना उल्लास के साथ पेपर की प्रतीक्षा कर रहा था, उसका फल तो मिला लेकिन फल में मिठास नहीं थी l पेपर छोड़ जिंदगी के बारे में सोचने लगा कि क्या किया जाए कि जिंदगी आगे बढ़े तभी पीछे से एक आवाज आई "हैप्पी बर्थडे भैया"

 मैं चौक पड़ा तब मुझे मालूम हुआ कि आज मेरा जन्मदिन है फिर खुशी और उत्साह के साथ एक दूसरे से गले मिला गया और पैर वगैरा छूने की परंपरा के साथ सुबह की शुरुआत हुई और उस दिन मुझे एक बात समझ आई जो दिन मुझे सुबह से खास लग रहा था और एक अजीब उत्साह और उमंग का अनुभव कर आ रहा था उसका क्या कारण है , अब समझ में आने लगा कि प्रकृति किस तरह संकेत देता है कि आज आपके लिए क्या खास है क्या आम है प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है और हमने प्रकृति को क्या दिया है इन सब विचारों को सोचते हुए सुबह कब बीत गई मालूम ही नहीं चला जल्दी जल्दी उठा और स्कूल जाने के लिए तैयार हो गया हमेशा की तरह मुझे स्कूल जाना पसंद नहीं था फिर भी स्कूली शिक्षा बहुत आवश्यक है इस उद्देश्य से स्कूल निकल गए और वहां पहुंचा तो हमेशा की तरह वही बैठने की समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि उस समय बच्चे सिर्फ अपनी नियमित बैठने के स्थान पर ही बैठते थे और उनके बैठने के स्थान को टीचर 1 दिन तय करते थे मेरा दुर्भाग्य ऐसा था कि मैं उस दिन कभी स्कूल पहुंच ही नहीं पाया जिस दिन बच्चों को क्रमबद्ध तरीके से अपने स्थान पर बैठने के लिए नियत स्थान दिया जाता था l

 मैं समय से थोड़ा पीछे था और मेरी किस्मत भी खराब थी खैर पहली समस्या का निदान किसी प्रकार करके मैं किसी तरह से पीछे वाली बेंच पर बैठ गया ,  फिर भी मेरे पास एक अन्य समस्या थी कि मैं स्कूली शिक्षा में बहुत ही कमजोर था और मध्यम से भी कम पढ़ने वाला छात्र था और मेरा कुछ खास पढ़ने में मन भी नहीं लगता था

मध्यम प्रकार के छात्रों की 1 विशेषताएं होती हैं ना वह स्वयं पढ़ते हैं ना किसी दूसरे को पढ़ने देते हैं

 मैं कुछ इसी तरह का छात्र था l शिक्षक महोदय आते ही पहली नजर में मुझसे पूछते कि क्यों इतने दिन से विद्यालय नहीं आते हो और मैं हमेशा की तरह बचने के लिए बहाने को मन में ढूंढता और इधर उधर की बातें कह कर बच निकलता था और मेरा हमेशा की तरह यही लक्ष्य रहता कि किसी तरह पहले ही पीरियड में क्लास से बाहर निकल जाओ और अंतिम पीरियड के आधे घंटे से कम समय बचा हो तो कक्षा में आ जाऊं 

फिर भी अगर मैं कभी आधे घंटे से अधिक समय पहले आ जाता तो आधा घंटा मुझे एक सदी के बराबर लगता और लगता कि कितनी देर से मैं यहां बैठा हूं और घंटी बज ही नहीं रही है , जैसे ही कक्षा समाप्त होने की घंटी बजती और घर जाने का समय आता तो एक आजादी वाली फीलिंग मन में आती l

अक्सर में विद्यालय ना जाने के बहाने ढूंढा ही करता था 

लेकिन मैं किसी तरह से स्कूल भेज दिया ही जाता था इसी तरह से मेरा हाई स्कूल पूरा हो गया और मैं 60 परसेंट अंकों के साथ पास हो गया 

 असली जंग मेरे लिए अब यह थी कि इंटर उसी विद्यालय से करूं कि किसी अन्य विद्यालय से करूं सभी फैसले पिताजी के अधीन थे, तो इस बार भी यही तय हुआ कि उसी विद्यालय में पढ़ा जाए और मेरा मन उस विद्यालय में पढ़ने को थोड़ा भी नहीं था लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन मेरे पास भी एक ऐसा हथियार था जिससे पिता जी के बातों को काटा जा सकता था मैंने मायूस से चेहरे को उठाया और मां की तरफ भोली सूरत बना कर देखा और    मां ने पिता जी से तुरंत कहने लगी कि जब बच्चे का वहां पढ़ने में मन नहीं लगता तो किसी अन्य विद्यालय में नाम लिखवा दीजिए 

रोज की तरह माताजी पिताजी में फिर झगड़ा स्टार्ट हो गया पिताजी बताने लगे कि पढ़ाई स्वयं से होती है किसी विद्यालय से नहीं तो माता जी कहने लगी कि विद्यालय अगर महत्वपूर्ण है तो बच्चों को विद्यालय क्यों भेजा जाता है हर विद्यालय का अलग अलग महत्व है इसीलिए वह वहां पढ़ना चाहता है उसका नाम वहीं पर लिखवाई 

ये तमाम बहस के बाद पिताजी मान गए और उन्होंने कहा कि ठीक है तुम्हारा जहां मन है तो मुझे बताओ मैं तुम्हारा नाम वही लिख देता हूं अब मेरा मन सरकारी विद्यालय में पढ़ने का कर रहा था इसलिए मैंने अपना नाम सरकारी विद्यालय में लिखवा लिया जो कि शहर का काफी ख्यात प्राप्त विद्यालय था

 नाम लिखवाने के बाद में छुट्टियां बिताने के लिए अपने गांव चला गया और फिर से छुट्टियां समाप्त हुई और विद्यालय जाने का समय आ गया

#रवि (कहानी के प्रमुख पात्र का नाम) जब पहले दिन कॉलेज जाने को तैयार होता है तो उसके मन में बहुत ही ज्यादा घबराहट होती है भले उसके मन के स्कूल में उसका नाम लिखा उठता है पर वही पहले वाली समस्या मन में रहती है वह सोचता है कि नए लोग कैसे होंगे और नए क्लास को मैं कैसे ढूंढ लूंगा और टीचर किस तरह के होंगे आदि समस्याओं को सोचते हुए रवि अपने मां और पिता जी का आशीर्वाद लेकर स्कूल की ओर रवाना हुआ

 स्कूल घर से आधा किलोमीटर के आसपास था ,bपहला दिन था मां ने 50 का नोट दिया था ₹5 किराया हुआ बाकी पैसे में लेकर स्कूल के सामने उतरा और उतरते ही मैंने पहले अपना शर्ट को पैंट के अंदर अच्छे से अंदर किया और बगल खड़ी सब्जी के दुकान के पास एक मोटरसाइकिल के शीशे में अपना बाल सही किया और  बैग में एक क्रीम का डिब्बा निकालना और थोड़ी सी क्रीम मुंह में लगाई और हाथों  मे मलते हुए हुए विद्यालय के अंदर घुस गया दिल की धड़कन बिल्कुल तेज हो गई थी, लेकिन घुसते ही मेरे एक पुराना और थोड़ा परिचित मित्र मिल गया उन्हें देखते ही मेरे दिल की धड़कन नॉर्मल हो गई खास बात यह था कि जो मुझे मिला था मैं उससे किसी जमाने में बात करना ही पसंद नहीं करता था लेकिन आज उसके मिलने से जो खुशी मिली है और मन को जो  हल्का पन महसूस हुआ उसे  मैं बता नहीं सकता हूं 

खास बात यह है कि अब धीमे धीमे थोड़े ही समय में दो चार लोग मेरे परिचित हो गए अब एक तरह से एक ग्रुप जैसा माहौल बन गया है मन पूरी तरह से अब शांत हो गया हम भारतीय खास रूप रूप से उत्तर प्रदेश क्षेत्र से आने वाले कुछ अलग ही तरीके के होते हैं 

उनमें एक लड़का जयंत (कहानी का दूसरा पात्र) था जो बहुत छोटा था और बहुत काला था लेकिन उसकी बातें बहुत रोचक थी वह थोड़े ही समय में इतनी बात कर डाला कि कोई विश्वास ही नहीं कर सकता कि हमें मिले हुए थोड़ा समय हुआ है क्लास शुरू हुई और कक्षा में शिक्षक महोदय बड़ी सी मुस्कान के साथ कक्षा में प्रवेश किया और सभी का परिचय देते हुए अपना तथा अपने कोचिंग दोनों का प्रचार किया और यह सब करने के बाद अटेंडेंस लिया जाना शुरू किया गया और हमेशा की तरह यहां भी मेरे नाम बुलाने में वही गलती किया जो उसके पहले के शिक्षक किया करते थे मेरे नाम को पूर्वलिंग से स्त्रीलिंग बनाकर पूरे कक्षा का मनोरंजन किया तथा मेरा छीछालेदर पहले ही दिन कर डाला

 स्कूल खत्म होने में 15 से 20 मिनट बचा था हम चारों मित्र एक दूसरे का नंबर लेकर शाम को मार्केट में मिलने का वादा किया

 अब चारों लोगों ने अपने टिफिन को बैग रख लिया अब चारों लोग एक साथ स्कूल के गेट से निकले और चार दिशाओं में निकल गए अपने अपने घर पहुंचा और पहुंचते ही बड़े भैया जो कोलकाता से सिविल इंजीनियर और संत की तरह शांत रहने वाले व्यक्ति थे देखा कि वह आए हैं उन्हें देखकर बहुत खुशी मिली तभी पिताजी आए और फौज में होने के कारण आवाज में कड़ापन के साथ पूछा कि स्कूल का पहला दिन कैसा था मैंने भी तुरंत जवाब दिया बहुत बढ़िया इतना पूछा और कार में बैठकर वह निकल गए

 भैया को देखकर मन में बहुत खुशी हुई थी क्योंकि भैया हम सब में बड़े होने के कारण हम सबका ध्यान बहुत अच्छे से रखते थे पिताजी के जाते ही मैंने तुरंत ही कपड़े उतार कर दरवाजे पर फेंका जूता उतारकर के नीचे फेंका तथा मोजा को पंखे पर लटकाने के चक्कर में वह अटारी में जा गिरा जल्दी से खाना खा कर तैयार हो गया भैया से बात करने तथा उनसे एक सौ की नोट लेने के उद्देश्य से उनके पास बैठा और कोलकाता के विषय में कुछ जानना चाहता था तो भैया हमें कोलकाता के हावड़ा ब्रिज,रामकृष्ण परमहंस , स्वामी विवेकानंद , अरविंद घोष और वहां की मिस्टी (रसगुल्ला) के विषय में बता कर मुंह में पानी ला दीया 

एक घंटा तक कोलकाता के विषय में जानने के बाद मैं उनसे पूछ कर अपने दोस्तों से मिलने के लिए चल देता और उन्हें दादा कहते हुए घर से निकल पड़ता हूं तभी भैया के मोबाइल पर फोन आ जाता है और मैं कुछ चिल्लर बैग से निकाल कर जेब में रखकर जैसे ही बाहर की तरफ निकलता हूं तभी पीछे से आवाज आती है कि तेरे को तेरा भाई बुला रहा है 

 पूरा निराश होकर लौटते हुए मैं घर में घुसता हूं और दादा को पर्स लिए देखता हूं वह मुझे बुलाते हैं और उनके हाथों में 100 साल की कई नोट थी मैं सोचता कुछ नोट मुझे भी मिल जाए

 100 की 5  नोट उन्होंने दिया और कहा ठीक तू दोस्तों से मिलने जा रहा है मैं समझ नहीं पाया और पूछा दादा क्या सामान लाना है तो उन्होंने कहा (फोन का स्पीकर हाथ से दबाते हुए ) रख ले खर्च करना मैंने खुशी झूमता हुआ घर के बाहर निकल गया मैं तुरंत बस पकड़कर चौराहे पर पहुंचे तो देखा टोली पहले ही चाय की दुकान पर बैठी थी मेरे अंदर पूरी तरह से  एब गया था मैंने कहा भाई पार्टी मेरी तरफ से आज है मेरे दादा आए हैं और उन्होंने 100 की पांच हरे पत्ते दिए हैं सभी ने दादा की जय कार लगाते हुए दुकान के पीछे चलने को कहा हम तो दुकान के पीछे गए तभी रमेश (कहानी का दूसरा पात्र)  जेब से एक लंबी सी काली रंग की सिगरेट निकाली और रूप तीसरे मित्र ने लाइटर से जलाया और पहले जयंत ने एक कस लिया और हवा में गोला बना या उसके बाद रमेश ने लिया और एक असली कर कर क्या वह रॉकेट की तरह सर सर से नाक से निकाला लेकिन रूप (कहानी का तीसरा पात्र) ने  ऐसा कुछ नहीं किया वह एक कश लेकर लेकर लेकर मेरी तरफ बढ़ाया मैंने कहा कि नहीं मैं पीता तो जयंत ने बताया बहुत मजा आएगा पी कर देखो

 काफी प्रेशर के बाद दूसरी सिगरेट आई और मैंने जैसे उसे जलाया और  ओठो से लगाया एकदम मजा आ गया बिल्कुल मीठा सा स्वाद आ रहा था तो उन्होंने कहा या फ्लेवर वाली है पहले तो इसे चीज भी अंदर ले और फिर निकाल बहुत मजा आएगा

 मैंने कहा चलो ठीक है , आज के लिए इतना ही चलो कुछ खाते हैं हम सब एक बढ़िया से रेस्टोरेंट में गए और वहां पर बैठे तभी वेटर आया और कहा कि सर क्या लाऊं  मेनू सामने रख दिया मैंने कहा मित्रों क्या खाया जाए और हम सब ने तय किया कि डोसा खाया जाए हम ने चार डोसा के लिए कह दिया और वह आर्डर लेकर चला गया लेकर चला गया हम सब आपस में बात कर रहे थे तभी बगल वाली टेबल पर एक फैमिली आई वह भी भी मेरे बगल बैठ गई हम सब लोग उल्लूर जलूल बात कर रहे थे 

शायद मेरे बगल बैठी फैमिली परेशान हो रही थी लेकिन हम लोग अपनी धुन में थे अब लोग डोसा खाने लगे ठीक मेरे विपरीत एक लड़का और एक लड़की भी रेस्टोरेंट में आए थे और आपस में बात कर रही थी तभी मेरे मित्र जयंत ने उस लड़की को देखकर कहा बहुत खुशमिजाज और सुंदर लड़की है तभी रमेश और रूप जो दोनों मेरे अगल-बगल बैठे थे जो दोनों मेरे अगल-बगल बैठे थे वह भी अपने काले चश्मे के पीछे से देखा और तारीफ किया

‌अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था जैसे मैं मुड़ा तो मेरी ठीक विपरीत तो वह व्यक्ति की पीठ दिखी और मैं पीठ देखकर समझ गया कि यह तो भैया है अभी अगर मुझे यहां देखेंगे तो कुछ कहेंगे नहीं पर उनको अच्छा नहीं लगेगा यह सारी घटना वहां बैठी लड़की भी चोरी से देख रही थी उसने शायद भैया से कुछ कहा और भैया मुड़कर देखे तो उन्होंने टेबल पर तीन ही लोग दिखाई दिए क्योंकि ठीक उसी वक्त मेरा चम्मच जमीन पर गिर गया था वही उठाने के लिए मैं झुका था  भैया पहले उठे और वह चले गए हम लोग का भी नाश्ता हो गया था अब हमने वेटर को बुलाया और कहा बिल लेकर लेकर आइए तो उसने कहा कि आपके पीछे बैठे सर ने आप का बिल भर दिया है हम सब खुश हो गए कि किसी ने अनजाने में बिल भर दिया लेकिन उनकी खुशी ज्यादा देर नहीं रह सकी मैंने उसे कहा वह मेरे बड़े भैया थे

 सभी शांत हो गए हम सब बाहर निकले और गले मिलने के बाद कल स्कूल मिलने का वादा किया घर पहुंचते ही मैंने मां से पूछा कि पिताजी तो घर नहीं आए हैं ? लेकिन वह नहीं आए हैं

 और दादा ......... हां वह आ गया है 

ऊपर है किसी से बात कर रहा है मैं ऊपर गया और बिना कुछ उनके कहे ही बताने लगा कि नए दोस्त बने हैं इसलिए उनके साथ पहली बार बाहर गया था वह कुछ बोले नहीं कहा चलो ठीक है कोई बात नहीं पढ़ाई में भी ध्यान दिया करो 

फिर रात का खाना सब साथ में किया और मैं सुबह जल्दी स्कूल के लिए निकल गया 

हम लोग क्लास में बैठे थे तभी मैंने खिड़की से देखा एक सुंदर लड़की मुंह में नकाब बांधकर गुजरी लेकिन मैंने भी उसे देखा फिर अनदेखा कर दिया लेकिन जब वह मेरे ही कक्षा में आई और मैंने उसे दोबारा देखा मेरे दिल की धड़कन अपने आप तेज हो गई अब क्यों तेज हो गई इसका जवाब उस समय तक तो नहीं था लेकिन वक्त ने कुछ वक्त लेकर समझा दिया मुझे 

मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था पर उसकी आंखों को देखकर इतनी खुशी मिल रही थी कि देखते जाओ देखते जाओ 

पर वह 30 सेकंड तक उसको देखना मेरे लिए 30 जन्मों की खुशी के बराबर ऐसा मुझे लगा था 

कक्षा स्टार्ट होने वाली थी जब उसने अपना नकाब उतारा वह हल्का सांवली रंग की अद्भुत गरहन से युक्त लड़की थी उसका चेहरा देख कर मुझे उस से मोहब्बत हो गई ऐसा पहले मैंने सिर्फ सुना था लेकिन आज मेरे साथ जो हो रहा था

 उससे मैं बहुत खुश था स्कूल कब समाप्त हो गया पता ही नहीं चला अक्सर में सोचता जल्दी छुट्टी हो जाए लेकिन अब सोचता दो 4 घंटे और पढ़ना चाहिए इसी तरह से कई महीने बीत गए मैं उसे सिर्फ देखा ही करता था

 ना कभी उससे बात करने का प्रयास किया ना उससे कभी रोकने का 

मेरे दोस्त मुझसे कहते थे कि तेरा प्यार किसी को कभी भी समझ में नहीं आ सकता है और इसी तरह उसे देखते ही देखते वक्त इतनी तेजी से बढ़ गया कि हमें लोगों की परीक्षा आ गई और मैंने सोचा परीक्षा के अंतिम दिन उसे मैं एक पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात को बताऊंगा परीक्षा प्रारंभ हो गई और परीक्षा के अंतिम दिन का इंतजार कर रहा था 

अब आखरी परीक्षा होने से पहले 4 दिनों की छुट्टी थी  द्वितीय अंतिम परीक्षा समाप्त होने की शाम को ही मैं बाजार गया था और वहीं पर मैं खड़ा होकर सब्जी के दुकान पर सब्जी ले रहा है तभी एक लड़की नकाब में आए और वह भी मोलभाव करने लगी मैंने उस ओर देखा नहीं मगर वह मेरे कंधे पर अपनी दो उंगलियों से हल्का सा डरते हुए पूछा कि तुम मेरी क्लास में पढ़ते हो

 मैंने तुरंत उसकी आंखें देखी और मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा एक समय ऐसा आ गया कि मेरे दिल की धड़कन बहुत ज्यादा हो गई और मेरे हाथ पैर भी कांपने लगे मैंने जल्द ही एक लंबी और गहरी सांस ली और उससे बात की हम दोनों सड़क पर खड़े होकर 10 मिनट तक बात किया और बातों ही बातों में मैंने उसका नाम पूछा तो उसने कहा कि हम दोनों एक ही क्लास में 1 साल से पढ़ रहे हैं लेकिन तुम्हें मेरा नाम मालूम नहीं है

 मैंने कहा क्या तुम्हें मेरा नाम मालूम है जैसे ही उसने मेरा नाम रवि लिया ऐसा लगा कि मुझे प्रधानमंत्री जानता हो

 उसके  होठों पर मेरा नाम सुनकर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं दुनिया का सबसे बड़ा इंसान हूं लेकिन मैंने उससे फिर पूछा तुम्हारा नाम क्या है तो उसने बताया कि मेरा नाम समीरा खान है उसके नाम पहली बार सुन कर कर बहुत अच्छा लगा मैंने उससे पूछा की और बताओ सब कैसे हैं इन सब बात को करते हुए हम लोग काफी देर तक बात करते रहे लेकिन वह कहने लगे कि मुझे देर हो रही है कभी और बात करते हैं वह चली गई मैं उसको निहारता रहा जब वह गली में जाने वाली थी तो एक बार पीछे मुड़ी हाथ हिला कर धत  का इशारा कर कर मुस्कुराकर चली गई

 मैं रात भर भर उसके बारे में सोचता रहा और उसके लिए  मैंने सोचा कि मैं उसे एक प्रेम पत्र के माध्यम से अपनी भावना को बताऊंगा अगले दिन उठकर एक रंगीन पत्र खरीद कर कर लाया मुझे रंगीन पत्र खरीदने में लगभग 10 लोगों की मदद लेनी पड़ी पहले तो मैं सादे कागज में लिखना चाहता था फिर रंगीन पेज में फिर यह नहीं समझ पा रहा था कि किस रंग के कागज में लिखो इसके लिए मैंने दादा का सहारा लिया और उन्होंने मुझे गुलाबी पीला और लाल तीनों में एक रंग के कागज को खरीदने को कहा मैंने पीले रंग के कागज को ज्यादा बेहतर समझा क्योंकि जब वह मुझसे पहली बार  मिली थी तब वह पीले रंग की ड्रेस पहना हुआ था मुझे लगा कि शायद पीला रंग उसे पसंद होगा और रात भर जागकर तथा अपनी सच्ची भावना को कागज पर उतार कर अपनी जेब में रख लिया चार दिनों तक दिनों तक उसे जेब में लेकर घूमते घूमते इतना अच्छा लग रहा था कि मानो वही मेरे साथ हो अब वह दिन आ गया जब उसे पत्र देने का समय आ गया था मैंने बहुत ही पहले तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल गया मेरे सारे दोस्त मुझसे पहले पहुंचकर उसका इंतजार कर रहे थे मैं पहुंचा और पूछा आई सभी ने कहा अभी तो नहीं आई है लेकिन अभी थोड़ी देर में आ जाएगी

 घंटी बज गई पेपर स्टार्ट हो गया और पेपर खत्म भी हो गया लेकिन वह नहीं आई उसके बारे में मैं बहुत पता करने की कोशिश किया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला 

शायद मेरी और उसकी वह सब्जी की दुकान की दुकान पर ही आखिरी मुलाकात थी 

ऐसा मुझे लग रहा था शायद यह कुदरत का भी खेल था जिसे मैं बहुत देर में समझा लेकिन कुदरत के सामने कोई भी टिक नहीं सकता है 

उसके बनाए बनाए नियम को कभी कोई तोड़ नहीं सकता है 

यह बात मुझे उस दिन बहुत ही अच्छे तरीके से समझ में आ गई में आ गई

आज 5 साल बीत गए और मैं अब पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए कोलकाता विश्वविद्यालय चला गया हूं लेकिन आज भी जब मैं घर आता हूं तो उस सड़क पर घंटे खड़े होकर उसका इंतजार करता हूं उसको देने के लिए लिखा प्रेम पत्र पुराना हो गया है लेकिन उसमें लिखिए शब्द आज भी उतने ही अपने लगते हैं जितना कि देने को सोच कर कर लिखा था मैं आज भी अपने को बहुत कोसता हूं और सोचता हूं काश कि उस दिन सब्जी वाली दुकान पर ही मैं उसे अपने मन की बात बता देता तो आज वह मेरे पास होती l

                   खुदा की रहमत भी

                         गजब की है, 

                  अक्सर थोड़ी खुशी देकर! 

                 जिंदगी भर के लिए गम दे जाते हैं l

Sumeet Kumar

Choco bar

read more
एक काला अधनंगा बच्चा हाथ में वनिला 
आइस-क्रीम लिए खड़ा था।
आइस-क्रीम टपकने लगी।
उसका शरीर दूध से लिसड़ गया और वो चोकोबर हो गया।                                                                  सुमीत कुमार #NojotoQuote Choco bar

Er.Shivampandit

read more
#बेचैन_कलम ........ ✒✒

"तुम्हारा चेहरा तो बहुत चमक रहा है,
कौन सी क्रीम लगाई है?"

"अरे ये नई क्रीम है, इसमें दूध, मलाई, 
बादाम और केसर है।"

इतना सुनकर बगल में खड़ी बच्ची
मासूमियत से बोली, "दीदी मुझे भी अपनी
क्रीम दो ना, कल से कुछ नहीं खाया है।"

Idadat-e-lafz.com

A short story- insaan "अरे ओ अली, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ" "अरे ओ शिवा, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ" "लो भाई, फिर शुरू हो गए ये दोनों" अली और शिवा दोनों मुस्कराए। "चलो रे भाई लोगों, कल मिलते है फिर स्कूल में" कहकर सब बच्चों ने एक दूसरे से विदा ली आइस क्रीम वाला रोज़ ये तमाशा देखता और मुस्कराकर ऊपर की ओर हाथ उठाकर कहता," हे भगवान, तूने तो इंसान बनाये, पर ये जैसे जैसे बड़े होते जाते है हिन्दू मुस्लिम में बंट जाते है।" कहकर वो भी अपने रास्ते चला गया और रह गए बस हिन्दू और मुसलमान। एक द

read more
 A short story- insaan 
 "अरे ओ अली, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ"
"अरे ओ शिवा, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ"
"लो भाई, फिर शुरू हो गए ये दोनों" अली और शिवा दोनों मुस्कराए।
"चलो रे भाई लोगों, कल मिलते है फिर स्कूल में" कहकर सब बच्चों ने एक दूसरे से विदा ली
आइस क्रीम वाला रोज़ ये तमाशा देखता और मुस्कराकर ऊपर की ओर हाथ उठाकर कहता," हे भगवान, तूने तो इंसान बनाये, पर ये जैसे जैसे बड़े होते जाते है हिन्दू मुस्लिम में बंट जाते है।"
कहकर वो भी अपने रास्ते चला गया और रह गए बस हिन्दू और मुसलमान। एक द
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile