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Bharat Bhushan pathak
संग संग रहना मेरे यारा। तुमसे ही सब न्यारा-न्यारा।। करूं ईश से यही प्रार्थना। तेरे संग की अभ्यर्थना।। नहीं कभी भी दुख हो तुझको। हुई अगर तो होवे मुझको।। समान शून्य ही मैं यहाँ था। प्रीत-रीत भी जी कहाँ था।। ©Bharat Bhushan pathak #forbiddenlove #चौपाईछंद#छंदज्ञान
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आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है। निश दिन इनका जब,क्यों दिन बाँटा है।। ©Bharat Bhushan pathak #FathersDay #छंदज्ञान#chhandgyaan#योगीछंद#newchhand#nojotohindi आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है।
#FathersDay #छंदज्ञान#chhandgyaan#योगीछंद#newchhand#nojotohindi आधार छंद :-योगी(मापनी युक्त मात्रिक छंद) दो-दो चरण तुकांत ,त्रिकल वर्जित १०-१० मात्रा पर यति पापा-मम्मी के,कल्चर में हमसब। भूले रिश्ते की,मर्यादा हैं अब।। सम्मान विलोपित,अब सबका जी है।
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हलमुखी छंद(वर्णिक) विधान-प्रति पंक्ति 9 वर्ण।3,6 पर यति गणावली-राजभा नसल सलगा मापनी-212 111 1 12 चार चरण,दो-दो समतुकांत। व्यर्थ ना, अब पल करो। सीख लो फिर पग धरो। कर्म ये, अतिशय बड़ा। न कोई, क्षणभर लड़ा। ©Bharat Bhushan pathak #आत्मशुद्धि #nojotohindi#nojotohindipoetry #छंदज्ञान #chhandgyaan #nojotoapp #letslearnchhand
Bharat Bhushan pathak
#शिखरिणीछंद#छंदज्ञान#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetrynojotohindi2020s#nisheetpandey#Anshuwriter#MJhindushtani# * शिखरिणी छंद* *विधान -- * लक्षण- रसैः रुद्रैश्छिना, यमनसभला गः शिखरिणी अर्थात इस छंद में रस यानी ६वें वर्ण पर प्रथम यति और फिर रुद्र यानी ११ वें वर्ण पर
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मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१ मिले जब कष्ट भी इनको,कहे ये भाग्य में लिखा। अमीरी चाकरी करना ,गरीबी ने, यही सिखा।। नयनजल बेचके हरदम,गरीबी पेट भरती है- हमें आराम देते क्या,उन्हें हमने,कभी देखा।२ ©Bharat Bhushan pathak मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१
मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१
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ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। ©Bharat Bhushan pathak ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। #मत्तगयंदसवैयाछंद#छंदज्ञान#सनातनीछंद#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020
ताप बढ़े अरु पाप बढ़े जब जीव चराचर शोक मनावे। रोग बढ़े अरु भोग बढ़े जब काल तभी हि कलियुग जनावे। #मत्तगयंदसवैयाछंद#छंदज्ञान#सनातनीछंद#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020
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मलयज छंद:- शिल्प-८ लघु प्रति चरण चार चरण समतुकांत। युवक भटक मत। कर मत छटपट।। मनुज प्रखर बन। विकल कर न मन।। ©Bharat Bhushan pathak #छंदज्ञान #मलयज मलयज छंद:- शिल्प-८ लघु प्रति चरण चार चरण समतुकांत। युवक भटक मत। कर मत छटपट।। मनुज प्रखर बन। विकल कर न मन।।
Bharat Bhushan pathak
इशारों में,हुआ करती,यहाँ जब भी, मुलाकातें। मुहब्बत में ,सुनो यारों,लगे लंबी,बड़ी रातें।। दिलों में चैन ना होता,नहीं कुछ है, लगे अच्छा, नहीं करना,कभी भूले,किसी से प्यार की बातें।।१ बला है ये ,बचो इससे,कहीं तुम ये ,नहीं,कहना। चले आओ,यहाँ दौड़े,नहीं अब दूर है रहना।। करो भूले,नहीं वादा,रहोगे साथ में हरदम करेगा जख्म ये गहरा,मुसीबत है, इसे सहना।।२ ©Bharat Bhushan pathak विधाता छंद के प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती है ; 14,14 मात्रा पर यति होती है ; 1, 8, 15, 22 वीं मात्राएँ लघु 1 होती हैं। विधाता छंद विधान* १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ =२८ मात्रा मापनी - 1222 1222 1222 1222 #मुक्तक #विधाता #छंदज्ञान #मुहब्बत बला है#nojoto#nisheetpandeyji
Bharat Bhushan pathak
#विषय-वीर/ आल्हा छंद #विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #छंदज्ञान #छंद#काव्य