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Best हुंकार Shayari, Status, Quotes, Stories

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vinay vishwasi

हुंकार भरें  छात्र सकल,पीर  अभी है।

सरकार करे काम अगर,ठीक तभी है।

अब झूठ नहीं बोल यहाँ, और चलेगा।

ये मूर्ख न जनता कि सदा,दौर चलेगा।
 #बिहारी_छंद #हुंकार #विश्वासी

अविनाश पाल 'शून्य'

जो मुर्दों में जान फूँक दे, 
वो प्राण कहाँ से लाओगे ?
हुंकारो से पर्वत को डिगा दे,
ऐसा 'सिंह' कहाँ अब पाओगे ?
सूखी रक्तवाहनियों में भर दे,
वो जोश कहाँ से लाओगे ?
ख़ुद को कर दे कुर्बान देश पर,
वो बोस कहाँ से लाओगे ? #स्वरचित © #शून्य #सुभाषचंद्रबोस  #रक्त #जोश #मुर्दों #हुंकार #सिंह 


सत सत नमन🙇‍♀️🙇‍♀️🙇‍♀️

Shankar Kamble

हुंकार विझले ओठांमधले वार किती झेलले होते
उध्वस्त घरटे एक झुळूक ’ती’ कैक वादळे पेलले होते..

झुंडीत येते बळ साऱ्यांना मिळून लचके तोडले होते
वाटा घालून आपापला घायाळ सावजा सोडले होते..

तळहाताचा फोड असां ’त्या’ जिवापाड मी जपले होते
जखमां देण्या मलाच काटे फुलांमध्ये का लपले होते?

शुभ्र वसने धारण करतो मन जरी मळलेले होते
ध्यान लावून कित्येक बगळे घात घालण्या जुळले होते..

पोखरले वासे घराचे भुंग्याना का कळले नव्हते?
किती मशाली आता पेटवू? तेल माझेच जळले होते..

दर्पणी मी पाहत नाही ’वय’ जरी टळलेले होते 
ताक फुंकुनी आज पितो दूध मला पोळले होते..

©Shankar Kamble #WritersSpecial #हुंकार #वेदना #झुळूक #उध्वस्त #जखमा #फुलं #काटे

POET PRATAP CHAUHAN

#हुंकार भरे रण डोले #no #Ma

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Chandan Ki kalam

आज़ का सुविचार
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🙏🏾
🙏🏾
कर दे तू हुंकार
हिम्मत से हैं प्यार
तोड़ दे पैरो की बेरियां
चलने को हो तैयार  !!
🌹
🌹
@ चंदन की कलम

©Chandan Ki kalam आज़ का सुविचार 

#हुंकार
#हिम्मत
#प्यार
#बेरियां

Deepak Dubey

हरिसिंह राठौड़

घर-घर #सतिया मिले, घर-घर जुंझाता मिले #जुंझार ! गढ़ गढ़ #जौहर री ज्वाला, गढ़ गढ़ शाखा की #हुंकार !! आज ही के दिन 4 सितंबर 1987 को सती हुवे क्षत्राणी #रूप_कंवर_दिवराला को बारंबार नमन 🙏 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=702504800344080&id=204352153492683

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 घर-घर #सतिया  मिले, घर-घर जुंझाता मिले #जुंझार ! 

गढ़ गढ़ #जौहर री ज्वाला, गढ़ गढ़ शाखा की #हुंकार !!

आज ही के दिन 4 सितंबर 1987 को सती हुवे क्षत्राणी  #रूप_कंवर_दिवराला को बारंबार नमन 🙏

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=702504800344080&id=204352153492683

busy boy purvendra

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तराजू तौल कर देख लो पलड़ा किसका भारी है,
तुम्हें #हुंकार प्यारी है तो हमें #ललकार…!
#लोधी ठाकुर…

Ak.vaibhav

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धरती चीख पुकार रही है, अंदर से हुंकार रही है 
अपनी ज्वाला में जल जलकर 
खुद को पल पल मार रही है 
अंदर से हुंकार रही है!

कैसा बेटा है तू, क्या फ़र्ज़ निभाया है तूने
धरती माँ की क़ुरबानी का, क्या क़र्ज़ चुकाया है तूने
इन सब ज़ुल्मो क बाद भी तुझको बेटे सा मान रही है
अंदर से हुंकार रही है! 

अब मान मेरी दे मुक्ति इसे, क्यों पल पल यूँ तड़पाता है
क्यों उसको उसकी मृत्यु के इतना करीब ले जाता है 
आंसू बिन आंखें भीगी कर 
अब खुद से माफ़ी मांग रही 
अंदर से हुंकार रही है!

रजनीश "स्वच्छंद"

कलम भी बिकती है।। इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है, बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है। इतिहास के पन्ने पलट के देखो, सरेआम गवाही देते हैं। कर इतिहास वस्त्र विहीन,

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कलम भी बिकती है।।

इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है,
बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है।

इतिहास के पन्ने पलट के देखो,
सरेआम गवाही देते हैं।
कर इतिहास वस्त्र विहीन,
सत्त्ता से वाह वाही लेते हैं।
कौन रहा निर्भीक यहां,
किसने सच का दामन थामा था।
एक पृष्ठ की उसकी कहानी,
बना याचक वो सुदामा था।
थे मुट्ठी भर दिनकर यहां,
सत्ता को ललकारा था।
संख्या थी अनगिन उनकी,
सच से किया किनारा था।
सरस्वती धूल फांक रही,
लक्ष्मी का राज्याभिषेक हुआ।
ज्ञान बना दरबारी बैठा,
चापलूस सृजक प्रत्येक हुआ।
हठी रहे कुछ लोग यहां,
जो अलख जगाने निकले थे।
सुन उनकी आवाज़ आर्द्र,
कब सत्ता के मन पिघले थे।
जब तक हवा में वेग न हो,
कब दवानल धधकता है।
जब हुंकार हुआ शब्दों में,
ये बन तलवार चमकता है।
क्यूँ आज रहे मूक बधिर,
आओ मिल हम हुंकार करें।
सुप्त रही जो शिथिल आत्मा,
आ मिल उनका पुकार करें।
कानों में गिरे ये वज्र बन,
आ मिल शब्दों का भार बढ़ाते हैं।
दीये की लौ है टिम टिम करती,
एक मशाल हम यार जलाते हैं।
बुझ जाए वो चूल्हा, सत्ता की रोटी जहां सिंकतीं है।
इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है,

©रजनीश "स्वछंद" कलम भी बिकती है।।

इतिहास गवाही देता है, यहां कलम भी बिकती है,
बन दरबारी राजाओं के, सत्ता पर जा टिकती है।

इतिहास के पन्ने पलट के देखो,
सरेआम गवाही देते हैं।
कर इतिहास वस्त्र विहीन,
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