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अज्ञात

#मर्ज

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White जाने कहाँ से आई उल्फ़त की ये हवा 
मिलती नहीं जहाँ में इस दर्द की दवा 
कोई गिला न होगा तुझसे कभी ख़ुदा 
हों मर्ज गैर कितने मोहब्बत के सिवा

©अज्ञात #मर्ज

Parul Sharma

White यादों की नमी है नदी क्या है 
तेरी तस्वीर है कमी क्या है 
मर्ज-ए-इश्क लाइलाज नहीं 
हिचकी से बढ़कर औषधि क्या है

©Parul Sharma #तस्वीर #हिचकियां   #लाइलाज  #मर्ज  #यादें  #औषधि

Rabindra Kumar Ram

" इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. " --- रबिन्द्र राम #इश्क़ #सलिके #इख्तियार

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" इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, 
सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , 
इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , 
जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. "

                        --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " इक दिन तुम्हे इश्क़ हो जायेगा, 
सलिके तुम कुछ भी इख्तियार करो , 
इश्क़ का मर्ज समझ ना आयेगा ऐसे में , 
जाहिर करना तुम किसकी हमनवाई हो तुम. "

                        --- रबिन्द्र राम

#इश्क़ #सलिके #इख्तियार

Poonam

Rabindra Kumar Ram

" इस सय में क्या बताते की फिर जताते हम, अपनी मर्ज कि दबा फिर कहा‌ से लाते हम, क्या बताये कि क्या ख्याल‌ रखा हैं मैंने, उसकी आखों में एक सवाल छोड़ रखा हैं मैनें, क्या बताये कि किस तर्ज पे फिर ये मुहब्बत हम निभा रहे हैं, कहीं कुछ सवालात अधूरी तो कहीं कोई जबाब अनसुना हैं. " --- रबिन्द्र राम

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" इस सय में क्या बताते की फिर जताते हम, 
अपनी मर्ज कि दबा फिर कहा‌ से लाते हम, 
क्या बताये कि क्या ख्याल‌ रखा हैं मैंने, 
उसकी आखों में एक सवाल छोड़ रखा हैं मैनें, 
क्या बताये कि किस तर्ज पे फिर ये मुहब्बत हम निभा रहे हैं, 
कहीं कुछ सवालात अधूरी तो कहीं कोई जबाब अनसुना हैं. " 

                --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " इस सय में क्या बताते की फिर जताते हम, 
अपनी मर्ज कि दबा फिर कहा‌ से लाते हम, 
क्या बताये कि क्या ख्याल‌ रखा हैं मैंने, 
उसकी आखों में एक सवाल छोड़ रखा हैं मैनें, 
क्या बताये कि किस तर्ज पे फिर ये मुहब्बत हम निभा रहे हैं, 
कहीं कुछ सवालात अधूरी तो कहीं कोई जबाब अनसुना हैं. " 

                --- रबिन्द्र राम

Shubham Bhardwaj

Saurabh Kumar

Manjul

Shubham Bhardwaj

Abhishek Trehan

किस्मत मुझसे नाराज़ है,ऐसा नहीं है बस आज है
पुरानी है ये दिल्लगी,नया नाकामी का बस अंदाज़ है

एक कोशिशों के सिवा,कुछ और नहीं मेरे पास है
कम मिला,ज्यादा फिसल गया,क्या यही मुकम्मल हिसाब है

कोई दाग़ दामन पे लगा,कोई निशां दिल पे रह गया
तूने नज़रे हमसे फेर लीं,अब मँज़िलों को भी मुझसे ऐतराज़ है

किस जुर्म में मुझसे छीन लिया,मेरी मुट्ठी का वो आसमाँ
क्या तू भी बहुत मजबूर था या तू भी जल्दबाज़ है

अभी मेरी तरफ नज़र ना कर,गहरी तेरी निगाह है
इल्जा़म मेरे सिर लगा,बेगुनाह तेरी शराब है

तेरी परछाई बन सकूँ अगर,उठती दिल से यही आवाज़ है
तूने ही मर्ज़ मुझे दिया,अब तू ही मेरा इलाज है...
© abhishek trehan

 #किस्मत_मुझसे_नाराज़_है #कोशिशें #मर्ज #इलाज #manawoawaratha #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqrestzone
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