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Godambari Negi
White कर्म की कतार चल, धर्म राह सार चल, जीवन सुधार चल, नाव को उतार चल। तंद्रा को बिसार चल, निष्क्रियता मार चल, संकट की धार चल, ले विजय हार चल। शक्ति को संवार चल, प्रेम की किनार चल, साथ सुविचार चल, कमान टंकार चल। झूठ को धिक्कार चल, सत्य शस्त्र धार चल, सागर के पार चल, शृंग बार-बार चल। ©Godambari Negi #घनाक्षरी
Bharat Bhushan pathak
देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य मापनी-८,८,८,९ जगदम्बे जय तेरी लो हर विपदा मेरी, बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन। राह कोई नहीं दिखे आऊँगा बाहर कैसे, हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन। रोग-दोष घेर रहे मन ये अशान्त हुआ, अरि दल चहुँओर, आज माता करो दमन। हार-जीत देते सीख तैयार भी लेने शिक्षा, आत्मबल बना हुआ, करो भय बस शमन।। भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏 ©Bharat Bhushan pathak #घनाक्षरी#देव_घनाक्षरी#कविता#छंद देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य मापनी-८,८,८,७ जगदम्बे जय तेरी लो हर विपदा मेरी, बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन। राह कोई नहीं दिखे आऊँगा बाहर कैसे, हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन।
#घनाक्षरी#देव_घनाक्षरी#कविता#छंद देव घनाक्षरी विधान-१६-१७ वर्णों पर यति तथा पद के अंत में तीन लघु आना अनिवार्य मापनी-८,८,८,७ जगदम्बे जय तेरी लो हर विपदा मेरी, बालक अबोध माँ,स्वीकार ले मेरा नमन। राह कोई नहीं दिखे आऊँगा बाहर कैसे, हर ओर अँधेरा है ,प्रकाश माँ करो गहन।
read moreदिनेश कुशभुवनपुरी
#घनाक्षरी #मदिरा_सवैया #जय_सियाराम #जय_जय_हनुमान गुरु देव Rank Nameless Anshu writer Anupriya सुरमई साहित्य gungun gusain एक अजनबी SURAJ PAL SINGH मनोज मानव kanta kumawat RD bishnoi Suhana parvin. please Humko support aur gift Kijiye - repost kijiye-Boss Anjali Srivastav RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Priya Rajpurohit सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) -"Richa_Shahu" .Indian Sing Language Dheeraj Srivastava Karan सुनील 'विचित्र' Choudhary Nk kumar
read moreAmit Pandey
घनाक्षरी छंद की कविता फोनवा पे बतियाए,रही रही खिसियाए, दांते ओढ़नी दबाए,गाल छुए केशिया। रही देखे गुजरिया, बुढ़ओ मारे नजारा, जब चलेलू रहिया,लोग मारे सिटिया। ©Amit Pandey #घनाक्षरी छंद की कविता
#घनाक्षरी छंद की कविता
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
"चीन तू अब नहीं...." मन की ओजमय अभिव्यक्ति आप सभी के समक्ष घनाक्षरी(कवित्त) छंद में अभिव्यक्त है! इसमें प्रत्येक छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं! पहली पंक्ति में 8 वर्ण दूसरी पंक्ति में 8 वर्ण तीसरी पंक्ति में 8 वर्ण चौथी पंक्ति मे 7 वर्ण होते है! 8+8+8+7=31 (कुल 31 वर्ण होते हैं!संयुक्त वर्ण को अलग से नहीं गिना जाता!) प्रत्येक छंद लय के साथ जुड़ा होता है! प्रत्येक पंक्ति के अंत में दीर्घ वर्ण होता है! वीर और ओज भावों की अभिव्यक्ति के लिए यह छंद सर्वथा उपयुक्त है! 🌹 अब बहुत हो चुका क्षमा भाव अब नहीं शत्रु पर दया नहीं अब 'तू' शेष नहीं..! सहन बहुत किया नासमझ मान तुझे अनदेखा यूँ ही किया अब 'तू' शेष नहीं..! राह अपनी मोड़ ले क़दम पीछे खींच ले माफ़ी अब भी माँग ले अब 'तू' शेष नहीं...!
अब बहुत हो चुका क्षमा भाव अब नहीं शत्रु पर दया नहीं अब 'तू' शेष नहीं..! सहन बहुत किया नासमझ मान तुझे अनदेखा यूँ ही किया अब 'तू' शेष नहीं..! राह अपनी मोड़ ले क़दम पीछे खींच ले माफ़ी अब भी माँग ले अब 'तू' शेष नहीं...!
read moreVivek Dixit swatantra
घनाक्षरी छंद सिया राम मिलन पुष्प वाटिका में सिया राम को निहार रही, मनोहर रूप राम जी का उन्हे भा गया। श्यामल बदन मुख तेज देख जानकी के, धीरे-धीरे प्रेम भाव मन में समा गया। राम जी की शौर्य गाथा सिया ने बहुत सुनी, नजरें मिली तो मन को करार आ गया। प्रेम में विभोर सिया सुध- बुध भूल गई, राम राम नाम से ह्रदय जगमगा गया। -विवेक दीक्षित "स्वतंत्र" ©Vivek Dixit swatantra #घनाक्षरी छंद#ram-sita
#घनाक्षरी छंदram-sita
read morevinay vishwasi
जल में भी हो रहा जो,थल में भी हो रहा जो, उस प्रदूषण से ही, सबको बचाना है। करें ज्यादा शोर नहीं, दूसरों से होड़ नहीं, सबसे ही हमें इसी, बात को बताना है। कूड़ा कूड़ेदान में ही, उसे सही स्थान में ही, डालने को सबको ही, काम ये सिखाना है। आज से ही ले लें प्रण, करें नहीं व्यर्थ क्षण, हमें प्रदूषण को तो, जड़ से मिटाना है। #घनाक्षरी #प्रदूषण #विश्वासी
vinay vishwasi
देश भी आजाद हुआ,नया शंखनाद हुआ, फिर भी गरीबी रही,नेता आते-जाते हैं। वे दिन भर ढूँढते, हैं गली-गली घूमते, ढंग का कहीं भी कोई,काम नहीं पाते हैं। धनी का ही धन बढ़े,उनका ही मन बढ़े, हैं गरीब डरे हुए, और भी डराते हैं। करके प्रहार अब, देना है सुधार अब, गरीबी अभिशाप को ,आइए मिटाते हैं। #घनाक्षरी #गरीबीएकअभिशाप #विश्वासी
#घनाक्षरी #गरीबीएकअभिशाप #विश्वासी
read moreबासुदेव अग्रवाल नमन
मनहरण घनाक्षरी "गीत ऐसे गाइए" माटी की महक लिए, रीत की चहक लिए, प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए। छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें, बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए। दिलों में निवास करें, तम का उजास करें, देश का विकास करें, मन में ये धारिए। भारती की आन बान, का हो हरदम भान, विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।। ©बासुदेव अग्रवाल नमन #मनहरण_घनाक्षरी #घनाक्षरी #घनाक्षरी_छंद
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