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Navash2411
वर्ष का अंत हो रहा था, नववर्ष का आगमन, तभी वुहान में नोवल कोरोना रूपी राक्षस का जन्म हुआ दुनियाँ नववर्ष की तैयारी में मदमस्त हो रही थी। उसी समय भारत में CAA नामक भूत आया, कुछ मुसलमानों को नागरिकता जाने का डर सताया। कुछ विपक्षी नेताओं ने भी फुलसाया, बहकाया, चतुरों ने कुछ दलितों और बुद्धिजीवियों को भी साथ लगाया। गो CAA गो NRC का नारा लगाया, CAA में गलत क्या है ये पूछने पर संविधान खतरे में बताया, साथ ही शहर-शहर शाहीन बाग बैठाया। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू होने लगे, बॉलीवुड वाले भी न जाने क्यों CAA पर रोने लगे। हिंदुस्तान में जब शाहीन बाग शाहीन बाग हो रहा था, दुनियाँ का अधिकांश हिस्सा कोरोना से रो रहा था। आफत के पैर कहाँ होते हैं, जैसे संस्कृति के विचरण के नहीं होते। दोनों को मानव ही यात्रा कराता है, जाने अनजाने सबको संकट में लाता है। कभी जिस देश की आलोचना कर रहा होता है, फिर वहीं लौट के आता है। यही तो बंधु नियतिवाद का तकाजा है, प्रकृति के आगे बेकार में जोर लगाता है। ◆जय माता दी◆ #कोरोना #कोरोना #शाहीनबाग #शाहीनबाग
DeveshPandey गँवार_लेखक
विनय ना मानति जलधि जड़ , गए तीन दिन बीति | बोले राम सकोप तब भय बिन होय ना प्रीति || #शाहीनबाग #भजनपुरा #इस्लामिक_आतंकवाद #दिल्ली DeveshPandeyगंवार_लेखक #Dwell_in_possibility
Abhijeet Dey
भाग-२ मैं चोटी के लाज लड़ा था; पर्वत कोठी छोड़ा था, भोली, मुनिया की शादी के सपनो को ख़ुद तोरा था। कहो नाम मैं झूठा हूँ तो, जो मन चाहें जोड़ो से, कितने घाव परे कानों में; आज़ादी के शोरो से। मेरे माथे तिलक मिटाने कितने जालिम आते थे, जिनकी ख़ुदकी गड़ी पड़ी थी, वो ईमान बताते थे। कितने नालें बंदूको के; पार ज़िगर से गुजरे थे, तब बड़े बड़े कॉलेज दिल्ली के, गूंगे, बेबस, उजड़े थे। कहाँ फॅसे थे इंक़लाबी, जब धरना सूखा जाता था, कहाँ कोई तब झंडा लेकर, संविधान बचाता था। बरसी कट गए तीस बरस, हर फ़र्ज था ग़ुम रंगरलियों में, ऐसी आँधी नहीं दिखी थी; तब शाहीनबाग की गलियों में। #शाहीनबाग, kavya Kumari Soumya Patwar Sanjeev Kumar A Boy Ravitanshumishra187
#शाहीनबाग, kavya Kumari Soumya Patwar Sanjeev Kumar A Boy Ravitanshumishra187
read moreAbhijeet Dey
भाग-१ कहाँ कोई निकला था घर से संबिधान बचाने को, जब बिंदी चूड़ी बिलख रही थी अपनी मान बचाने को। लख पण्डित की चोटी जल गई; फूल सिमट गए कलियों में, ऐसी आँधी नहीं दिखी थी; तब शाहीनबाग की गलियों में। क्यों चाँद तक सन्नाटा था, ख़ामोशी सितारों में, नहीं छप सका एक आना भी, दिल्ली के अखबारों में। कश्मीरी हर बाग उजर गया; क्यों चुप्पी थी डलियों में, ऐसी आँधी नहीं दिखी थी; तब शाहीनबाग की गलियों में। क्यों बरसों तक रोते रह गए; जल गया जिनका डेरा था, डर, पीड़ा, पानी ने आकर जिन आँखों को घेर था। जब बिखरे गेहूं के दाने; वो ढूंढ रहे थे खलियों में, ऐसी आँधी नहीं दिखी थी; तब शाहीनबाग की गलियों में। #शाहीनबाग kavya Kumari Khushbu Biru B Positive 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Lumbini Shejul
#शाहीनबाग kavya Kumari Khushbu Biru B Positive 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Lumbini Shejul
read moreMohammed Aneesh
जुल्म पर जब भी शबाब आयेगा । गैब से दुश्मनो को अजाब आयेगा।। हिम्मत ना हारना शाहीनो। जल्द ही इंकलाब आयेगा।। #शाहीनबाग Ritika suryavanshi pooja negi# deepshi bhadauria LoVe YoU # Fathima Ishna
#शाहीनबाग Ritika suryavanshi pooja negi# deepshi bhadauria LoVe YoU # Fathima Ishna
read moreKrishna B. Gautam
#एक-सवाल-अपनों-से मुसलमां गलत तो , कलाम जी कैसे ? हिन्दू गलत तो , विवेकानन्द जी कैसे ? सारा जमाना गलत तो , आपसब कैसे ? सब टुकड़ों में बँटें हो तो , ये हिंदुस्तान कैसे ? अनेकता में एकता , हिंदुस्तान की विशेषता सब का भारत , सबके लिए भारत #भारत #विरोध #इंडिया #शाहीनबाग #दिल्ली #राजनीति #देशप्रेम #राष्ट्रप्रेम Avni Goyal
Poonam Singh
बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस भी आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे, अगर कोई व्यक्ति बच्चों को नफरत भरी कड़वाहट के सांचे में ढा़ल रहा है, अर्थात वो एक गोला तैयार कर रहा है। #शाहीनबाग #जयहिंद #जय भारत #Desh_ke_liye बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस भी आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे, अगर कोई व्यक्ति बच्चों को नफरत भरी कड़वाहट के सांचे में ढा़ल रहा है,
#Desh_ke_liye बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस भी आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे, अगर कोई व्यक्ति बच्चों को नफरत भरी कड़वाहट के सांचे में ढा़ल रहा है,
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