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निर्भय चौहान
मैं जो महसूस करता हूँ, वही कहता हूँ। बात अच्छी बुरी नही करता। जो सुन रहे हो धड़कन है हमारी। मैं शायरी नही करता।। #AAWAAZ #imsgzb #Shayari
निर्भय चौहान
राह ए सुखन में इंतज़ार हाय तौबा। एक बेवफा से प्यार, हाय तौबा। वो मुड़ मुड़ के देखना उनको। उनसे मीठी तकरार ,हाय तौबा। वो बेवजह ही उनका रूठ जाना, वो मेरी मनुहार ,हाय तौबा। वो मेरा अंदाज़े इज़हार, वो उनका इनकार, हाय तौबा।। यूं तो जन्मों भी जी लू मैं। उनके संग एक बार, हाय तौबा।। वो मेरा चाहना ,मशहूर हो जाऊं। वो उनका दुष्प्रचार,हाय तौबा। वो मासूमियत से भरा चेहरा, उस पे अँखियों के वॉर,हाय तौबा।। #AAWAAZ #imsgzb #Kavyapankh #Shayari
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वो जहाँ जाता है,तुम्हारी बात कहता है। तुम्हारे नाम को वो अपनी जात कहता है। सोंचो कितना पागल था वो तेरे प्यार में। अभी तलक वो दिन को रात कहता है।। #AAWAAZ #imsgzb #Kavypankh5 #Shayari
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Koi to dard h palko me fansa pra... Kabhi moti kabhi sitara hain aanshu.. Lakh chaho nhi rukte aankho me... Bare awara hai aanshu. #AAWAAZ #Imsgzb #Shayari #Nojoto_Originala #NojotoHindi
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यूं ही नही उतर आता है,गम,खुशी, मौत जिंदगी और तेरा चेहरा कागज़ पर। गुजरे वक़्त से खुद को गुजारना पड़ता है। हर एक नज़्म में नया ही जन्म लेता हूँ। हर एक शेर के बाद खुद को मारना पड़ता है।। #Shayari #AAWAAZ #imsgzb #nojotohindi
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तुमसे अलग हो के मैं ओर भी मशहूर हो गया। लोग जानते है अब मुझे तेरे आशिक के नाम से। सच कहना दिल मे अब भी मैं ही हूँ न। तुम छत पे घंटो बैठती हो अब भी शाम से।। #Shayari #AAWAAZ #imsgzb #nojotohindi
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read moreनितिन कुमार 'हरित'
नितिन कुमार 'हरित'
वेदना है भरी वेदना इस तन में, हे वेणु! तुम कैसे जानो? मै विरह कलित हूँ सावन में, तुम राग अमंद मानस तानो। तुम पवन मिले, धरती-अम्बर, तुम पूर्ण हुए, अब जल-जलधर, तुम मधुर शब्द गुंजाते हो, व्यंगित होते हैं हृदय पर । पर करके तुमको अवहेलित, मैं भी तो सार मिटाता हूं, मैं विरहाकुल हूँ इस कारण, हे युगल! झुलसता जाता हूँ। तुम पवन मिलो और शब्द बने, शब्दों की निर्मल धारा हो, तुम सावन के मीत बनो, ये सावन तुमको प्यारा हो। मैं भी एक स्वप्निल जगत बना, एक भीना राग बनाऊंगा, तब जाकर विरह - वेदना से निज का संबध मिटाऊंगा।। - Nitin Kr Harit वेदना है भरी वेदना इस तन में, हे वेणु! तुम कैसे जानो? मै विरह कलित हूँ सावन में, तुम राग अमंद मानस तानो। तुम पवन मिले, धरती-अम्बर, तुम पूर्ण हुए, अब जल-जलधर, तुम मधुर शब्द गुंजाते हो, व्यंगित होते हैं हृदय पर । पर करके तुमको अवहेलित, मैं भी तो सार मिटाता हूं, मैं विरहाकुल हूँ इस कारण, हे युगल! झुलसता जाता हूँ। तुम पवन मिलो और शब्द बने, शब्दों की निर्मल धारा हो,
वेदना है भरी वेदना इस तन में, हे वेणु! तुम कैसे जानो? मै विरह कलित हूँ सावन में, तुम राग अमंद मानस तानो। तुम पवन मिले, धरती-अम्बर, तुम पूर्ण हुए, अब जल-जलधर, तुम मधुर शब्द गुंजाते हो, व्यंगित होते हैं हृदय पर । पर करके तुमको अवहेलित, मैं भी तो सार मिटाता हूं, मैं विरहाकुल हूँ इस कारण, हे युगल! झुलसता जाता हूँ। तुम पवन मिलो और शब्द बने, शब्दों की निर्मल धारा हो,
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