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Best चिपक Shayari, Status, Quotes, Stories

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Saxena Harshit Saxena

तकिया

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आज फिर मैं तकिये से लिपट के रो लिया
आज फिर तकिये से चिपक के मैं सो लिया
जब भी अकेला खुद को पाता हूँ
तकिये से लिपट कर तुझको को पास पाता हूँ

तकिये से लिपट के रोलेता हूँ
कुछ पल उसके पास बैठ हस लेता हूँ
जब भी याद तेरी आती है 
तकिये से चिपक के एक रात और कट जाती है

जब भी अकेला खुद को पता हूँ 
तकिये को अपने संग पता हूँ
नींद नही आती तो
उसी से चिपक के सो जाता हूँ

बहुत साथ निभाता है 
मेरे साथ ही जगता है
मेरे साथ ही सो जाता है
नींद न आये तो
 मेरा साथी बन जाता है
रोता भी  साथ है
मेरे आंसू पोछते पोछते खुद भीग जाता है

गर्दन तो अकड़ गयी है तकिये के बिन 
पर दिल सम्भाल गया है तकिये के संग
लगता है कोई दोस्त सा मिल गया है
शायद साथ निभाने वाला साथी मिल गया है

Harshit saxena{vasu}
 #NojotoQuote तकिया

Ajay Keshari

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#अब_के_बरस_सावन_में
साजन के संग संग,
अंग अंग चिपक चिपक,
भींगे हम संग संग,
गाएं सावन की मल्हार,
ओ साजन भींगे,
सावन की बरसात में,
टकराए बदरा,
चमके बिजुलिया,
डर से चिपक जाऊं,
तुझसे संवरिया,
अब के सावन में,
आओ संवरिया.!
#अजय57

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

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।।श्री हरिः।।
18 - वर्षा में

श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है।

प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

₹inkU

कल रात मेरी बात अपने दिल से हुई बड़ा उदास सा वो मुझसे चिपक गया आकर बाहों में सिमट गया फूट फूट कर रोने लगा अपने राज़ एक एक कर खोलने लगा कहा ,किसीसे जो ना कहा आज तुमसे कहता हूँ मैं अकेला हो गया हूँ ,सुकून को तरसता हूँ पता नहीं कुछ हो रहा मुझे

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कल रात मेरी बात अपने दिल से हुई 
बड़ा उदास सा वो मुझसे चिपक गया 
आकर बाहों में सिमट गया 
फूट फूट कर रोने लगा 
अपने राज़ एक एक कर खोलने लगा 
कहा ,किसीसे जो ना कहा आज तुमसे कहता हूँ 
मैं अकेला हो गया हूँ ,सुकून को तरसता हूँ 
पता नहीं कुछ हो रहा मुझे


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