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Prakash Dwivedi
रोज़ सोचता हूं तुम्हें सोचे बिना सो जाऊं पर सोचे बिना सो जाऊं ये भी सोचता हूं तुम्हें सोचने के बाद ।। ©Prakash Dwivedi #prakashdwivedipoetry #prakashdwivedi #Soch #prakashdwivedibhopal #prakashdwivediquote #prakashdwivediias #writing
Prakash Dwivedi
तुम ये न कहना कि तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि तुम आना नही चाहती थी । तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई । क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रास्ता नहीं दिया ।। तुम कह देना कि छाता भूल गई थी । तुम कह देना नाव में जगह कम थी।। तुम बस कहते जाना मैं सब मान लूंगा की फूल कांटे बन गए, घटा शोले बरसाने लगी तितली ने रास्ता भटका दिया या फिर नदियों ने उफान ले लिया सरहदे बदल गई और तुम्हें आने नहीं दिया पर तुम ये न कहना कि तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि तुम आना नही चाहती थी ।। ©Prakash Dwivedi तुम ये न कहना कि तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि तुम आना नही चाहती थी । तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई । क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रास्ता नहीं दिया ।। तुम कह देना कि छाता भूल गई थी ।
तुम ये न कहना कि तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि तुम आना नही चाहती थी । तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई । क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रास्ता नहीं दिया ।। तुम कह देना कि छाता भूल गई थी ।
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।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।। वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से । वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।। वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही। वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।। शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।। ।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।।
।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।।
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।।नारी~ भाग -1 ।। नारी तू गंगा की निर्मल धारा है। नारी तुमसे ही तो अस्तित्व हमारा है।। नारी तू हर जीव की जीवनधारी है। हर रूप में नारी तू सबसे न्यारी है ।। तेरी ममता से जीवन हर्षित है। और हर नव जीवन निर्मित है।। तुम प्रेम की वर्षा-धारा हो । और बचपन की अमृतधारा हो।। गिरा गर्त में जिसने तुम्हें नकारा है। नारी स्वीकार करो सम्मान ये तुम्हारा है।। ।।नारी~ भाग -1 ।। नारी तू गंगा की निर्मल धारा है। नारी तुमसे ही तो अस्तित्व हमारा है।। नारी तू हर जीव की जीवनधारी है। हर रूप में नारी तू सबसे न्यारी है ।।
।।नारी~ भाग -1 ।। नारी तू गंगा की निर्मल धारा है। नारी तुमसे ही तो अस्तित्व हमारा है।। नारी तू हर जीव की जीवनधारी है। हर रूप में नारी तू सबसे न्यारी है ।।
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