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srikant singh
White लोगों को खोने के डर से डरते डरते... अब खुद को खोने के कगार पर पहुंच चुका हूं!! ©srikant singh #खोने_का_डर
Parul Sharma
अंजान डगर में है सब को खो जाने का डर है सबको आस आसरे की कौन बनाये घर ©Parul Sharma #सफर_ए_ज़िन्दगी #डर #घर #अंजान #डगर #खोने_का_डर #beingoriginal
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read moreSona Barnwal
ज़िन्दगी मेरी ऐसी मझदार में फंस गई है😥 की यूँ दोस्ती निभाते निभाते मोहब्बत हो गई हैं😍 समझ न आ रहा यूँ दोस्ती निभाऊं? या महोब्बत का इज़हार कर दूं ?🤔 लेकिन डर सा लग रहा कि महोब्बत के साथ दोस्ती भी न खो दूँ😓 #महोब्बत_आैर_तुम , #दोस्ती_मोहब्बत , #दोनो_एक_से_ही , #खोने_का_डर ,#इज़हार_करना
#महोब्बत_आैर_तुम , #दोस्ती_मोहब्बत , #दोनो_एक_से_ही , #खोने_का_डर ,#इज़हार_करना
read moreRitesh Ranjan
हम दुर हो रहे हैं हरेक में अब मगरूरी है कोई इश्क में मशगूल हुआ किसी पर आजीविका गहराई है दो दफा हो चुके अलहदा हम अब तीसरी बारी है ज़र के खोने से ज्यादा ज़रर नफ्स के नाबुद होने का है कुछ अपने कुछ साथियों के दुर होने का है धीरे-धीरे सब खो रहे हैं हम दुर हो रहे हैं - #हम दुर हो रहे हैं #जुदाई #खोने_का_डर #yqdidi #yqhindi #yqlove #yqbaba
Neha Pathak
जो तुमसे मिल तो लिए हम, अब दूर जाने का ना है मन,जो तुमने मुझमे छोड़ा है कुछ अपना मन, भूल ना पाएंगे अब हम, तुमने मुझे सहारा दिया दो पल प्यार का नज़ारा जो दिया उसे अब कैसे भूल जाए हम, अब ये इश्क़ दोबारा तो नहीं होगा, मग़र तुम्हीं से कई बार किया है मेरा ये पागलपन, चलो अब जुदा तो होना ही है हमे, सताता जो रहता खोने से, निकाल दे अपना मन से डर!! 🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
read moreDivyanshu Pathak
यह दिल जाने अनजाने में ख़्वाब सजाने लगा। कभी उनका तो कभी अपना हाल बताने लगा। मुद्दतों से जिसके इंतज़ार में ग़म हुए थे पैदा ! वह मुझसे मिलते ही अपना दर्द बताने लगा। ये कैसी रहमत करते हो तुम ए ख़ुदा मुझ पर ! जिसे पाया नहीं उसे खोने का डर सताने लगा। 🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
read moreDR. SANJU TRIPATHI
अहबाब हो मेरे तुम जीवन के, मेहर-ओ-माह बनाने से डर लगता है। इख्तिलात चाहता है जिंदगी भर की दिल,इसीलिए मोहब्बत छुपाता है। चाहते हैं तुम्हें दिल-ओ-जान से, अपना बनाने से डर लगता है। इजहार- ए- मोहब्बत करके तुमसे, तुम्हें खोने का डर लगता है। 🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
read moreWriter1
तुम्हें पाया है मैंने ख्वाबों में, चाहत का दरिया हूं मैं, और तू अताह सागर, समा ले मुझे अपने अंदर, मैं कब से प्यासा। 🌝प्रतियोगिता-36 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
🌝प्रतियोगिता-36 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
read moreVarsha Sharma
सुनो... तुम न मुझे अब ख्वाबों में भी डराने लगे हो.. सोचती हूं की कभी मिलोगे मुझे तो बहुत लडूंगी तुमसे, ढेर सारी शिकायतें करूंगी, ढेर सारा सुनाऊंगी तुम्हें, मारूंगी और फ़िर पूछूंगी... की तुम मुझे इतना परेशान क्यूं करने लगे हो... मुझे खुदके छोड़ जाने के डर से बार बार क्यूं डराते हो, और काश... काश मेरी इस डरी हुई हालत में ऐसा होता की तुम कभी मुझे संभालते हुए मेरे आसूं पौंछते... ! और... फ़िर ढेर सारी शिकायतों के बाद तुम्हें गले लगाकर भूल जाती में अपने सारे गिले शिकवे...! एक गहरी सांस लेकर टिका लेती
सुनो... तुम न मुझे अब ख्वाबों में भी डराने लगे हो.. सोचती हूं की कभी मिलोगे मुझे तो बहुत लडूंगी तुमसे, ढेर सारी शिकायतें करूंगी, ढेर सारा सुनाऊंगी तुम्हें, मारूंगी और फ़िर पूछूंगी... की तुम मुझे इतना परेशान क्यूं करने लगे हो... मुझे खुदके छोड़ जाने के डर से बार बार क्यूं डराते हो, और काश... काश मेरी इस डरी हुई हालत में ऐसा होता की तुम कभी मुझे संभालते हुए मेरे आसूं पौंछते... ! और... फ़िर ढेर सारी शिकायतों के बाद तुम्हें गले लगाकर भूल जाती में अपने सारे गिले शिकवे...! एक गहरी सांस लेकर टिका लेती
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