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ऋषि 'फ़क़त'
अब छोड़ भी दे यूँ हमें हर दम तलाशना, ऐ ज़िन्दगी हमें तू ज़रा कम तलाशना। वो आ गए यहाँ पे ख़ुशी को तलाश कर, मेरे हुनर को उसमें था अब ग़म तलाशना। ये आप और मैं का तकल्लुफ़ है किस लिए, है आप और मैं में मुझे हम तलाशना। तुमने भुला दिया हो मगर आज भी मुझे, मुश्किल नहीं है याद का अल्बम तलाशना। ऐ दर्द देने वाले दवा तो तलाश पर, आराम ना मिले वही मरहम तलाशना। उसने कहा कि जाओ भी हमदम तलाश लो, जैसे वो कह रही हो जहन्नम तलाशना। भाते नहीं है महफ़िलों के ज़ेवरात भी, हमको तो ख़ल्वतों का है नीलम तलाशना। -ऋषि 'फ़क़त' ©ऋषि 'फ़क़त' #ग़ज़ल #शायरी #तलाशना #nojohindi #nojato #nojatoquotes #nojatohindi #nojatolove
@mehfil.e.gulzar
जिनके पास सिर्फ सिक्के थे, वो मज़े से भीगते रहे बारिश में। जिनके जेब में नोट थे, वो छत तलाशते रह गए। #सिक्के #मजे #भीगना #बारिश #जेब #नोट #छत #तलाशना #tanishka #mehfil_e_gulzar
Monika Hada
ज़िंदा हूँ मैं या नहीं आज मुझे खुद ये जानना है, ज़िन्दगी की कशमकश में खो गई हूँ उसमे आज मुझे खुद को ही ख़ुद मे तलाशना है। देखे थे जो सपने वो आज भी इन्ही छोटी सी आंखों में जिंदा हैं, जाग कर यूँ रात भर आज वो सपने इन अंधेरो में तलाशना हैं। क्यों दब गई मेरी वो मासूम हंसी, जो अनजाने ही लबों पर आ जाया करती थी, ना कुछ खोने का डर था, ना ज्यादा कुछ पाने की ख्वाहिश थी, थी अगर कोई ख्वाहिश तो बस पंख लगा कर अपने सपनो की छोटी सी दुनिया में खो जाने की.... बस वही सपने देखने वाली वो मासूम सी आंखे आज कहाँ खो गई मुझे ख़ुद मे ही तलाशना है।। तलाश..
तलाश..
read moreParul Sharma
मैं बादलों का जबसे घर बन गया हूँ आसमांनों का नया शहर बन गया हूँ। वो अब क्यों ढूँढता है किनारा मुझमें उसी की बदौलत तो में समंदर बन गया हूँ। मुझसे न तो,खुदा से हर इबादत में पूँछ मैं कितनी ही बार तेरा हमदर्द बन गया हूँ। तू तोड़ेगा दिल हर बार ही,मुझे है गुमां और मैं खुद को काटने वाला खंजर बन गया हूँ। दरख्तओं को छोड़ आ जाते है परिंदे सांझ से, मैं खामोशियों का ऐसा मंजर बन गया हूँ। न शब्द पनपते हैं,न ख्वाइशें खिलती हैं, न नमी की कोई बूँद ही मिलती है, मैं खाक- ए -दिल का बंजर बन गया हूँ। अब दर्द तलाशते हैं तुझे ऐ " पारुल " मैं गमों का ऐसा शायर बन गया हूँ।। पारुल शर्मा मैं बादलों का जबसे घर बन गया हूँ आसमांनों का नया शहर बन गया हूँ। वो अब क्यों ढूँढता है किनारा मुझमें उसी की बदौलत तो में समंदर बन गया हूँ। मुझसे न तो,खुदा से हर इबादत में पूँछ मैं कितनी ही बार तेरा हमदर्द बन गया हूँ। तू तोड़ेगा दिल हर बार ही,मुझे है गुमां और मैं खुद को काटने वाला खंजर बन गया हूँ।
मैं बादलों का जबसे घर बन गया हूँ आसमांनों का नया शहर बन गया हूँ। वो अब क्यों ढूँढता है किनारा मुझमें उसी की बदौलत तो में समंदर बन गया हूँ। मुझसे न तो,खुदा से हर इबादत में पूँछ मैं कितनी ही बार तेरा हमदर्द बन गया हूँ। तू तोड़ेगा दिल हर बार ही,मुझे है गुमां और मैं खुद को काटने वाला खंजर बन गया हूँ।
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