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Vidhi
जिंदगी में एक तू ही जीने की वज़ह थी कलम मेरी प्यारी, तू ही तो मुझे घिसती थी चाहे लहू से लिखती थी, मग़र तू हँसी बन कर आती थी होंठो पे ये मेरा अज़ीब सा सुख था जो अपनी कोख़ से जन्म देता था कभी रचना छोटी,नन्ही,नाजुक,कोमल होती तो कभी सृजन निकलता, तीखा, कड़वा, कसैला, एक सच सा चुभता दर्द होता मग़र ममत्व भी रगों में बहता माँ का सा सुख मुझे मेरी कविताओं में मिलता पर दर बदर मिलती ठोकरें मुझसे कहती हैं तू छोड़ दे ख़्वाब देखना अपनी कृतियों को गोद दे दे कर दे बेदख़ल कल्पना को अपनी ज़ेहनी मिल्कियत से अपने अंदर पलती एक जान का गला घोंट दे तोड़ दे अपनी कलम को, अब एक नयी राह पे चल दे एक नाम बना, पैसा कमा, फ़िर जन्म दे रचना को कृति और सृजन को फिर से अपना लेना एक उम्र के बाद वो तोड़ी हुई कलम जोड़ लेना #रचना #सृजन #माँ #कोख #लेखनी #कलम #कृति #वास्तविकता #जिंदगी #Life #Reality #Pen #Creation #YQdidi
Vidhi
जिंदगी में एक तू ही जीने की वज़ह थी कलम मेरी प्यारी, तू ही तो मुझे घिसती थी चाहे लहू से लिखती थी, मग़र तू हँसी बन कर आती थी होंठो पे ये मेरा अज़ीब सा सुख था जो अपनी कोख़ से जन्म देता था कभी रचना छोटी,नन्ही,नाजुक,कोमल होती तो कभी सृजन निकलता, तीखा, कड़वा, कसैला, एक सच सा चुभता दर्द होता मग़र ममत्व भी रगों में बहता माँ का सा सुख मुझे मेरी कविताओं में मिलता पर दर बदर मिलती ठोकरें मुझसे कहती हैं तू छोड़ दे ख़्वाब देखना अपनी कृतियों को गोद दे दे कर दे बेदख़ल कल्पना को अपनी ज़ेहनी मिल्कियत से अपने अंदर पलती एक जान का गला घोंट दे तोड़ दे अपनी कलम को, अब एक नयी राह पे चल दे एक नाम बना, पैसा कमा, फ़िर जन्म दे रचना को कृति और सृजन को फिर से अपना लेना एक उम्र के बाद वो तोड़ी हुई कलम जोड़ लेना #रचना #सृजन #माँ #कोख #लेखनी #कलम #कृति #वास्तविकता #जिंदगी #Life #Reality #Pen #Creation #YQdidi
Mukesh Patel
( 4 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार मानवता की साक्षी हूँ मैं हे माँ मातृत्व का मैं ही आधार आज पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल पड़ी फिर क्यों कर रही तू मुझसे दूजा व्यवहार सफलता का मैं पर्याय बन चुकी देश की अर्थव्यवस्था का मैं एक मजबूत आधार न जाने कब तू कातिल बन बैठी अब न ढो इस पाप को तू अबकी बार अब न ढो इस पाप को तू अबकी बार कहीं बौखला न जाये कल का अखबार बेटी ही सही मुझसे ही पूरा होता तेरा अधूरा सा परिवार दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती आज मेरी पुकार #कोख अंजलि Anshu chaku writer Neha Kushwaha Dipti urf sama Karuna Yadav "Tanha" भूमिका
#कोख अंजलि Anshu chaku writer Neha Kushwaha Dipti urf sama Karuna Yadav "Tanha" भूमिका
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( 3 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार भाइयों की कलाई मुझ बिन सुनी सुना है करवा चौथ का त्योहार आंगन गालियां मुझ बिन सुना सुना है माँ तेरा द्वार आज नारी नारीत्व से पूजी जाती है तू यूँ न कर मेरा तिरस्कार कभी हिमालय की शिखरों पर चढ़कर मैने आया है तो कभी तेज हवाओं पर मैने अपना काबू पाया है कभी संसद की सीढ़ियां चढ़ती तो कहीं दूर आसमानों को भी अपने कदमों पर झुकाया है कहीं लौटाया उद्योग जगत की बुलंदी तो कहीं अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का पताका लहराया है फिर भी क्यों दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार (next to be continued........) #कोख Dr.ShrutiGarg PT Anjali Goswami aman6.1 $Mahi..🙂 अरुणशुक्ल अर्जुन vinodsaini
#कोख Dr.ShrutiGarg PT Anjali Goswami aman6.1 $Mahi..🙂 अरुणशुक्ल अर्जुन vinodsaini
read moreMukesh Patel
( 2 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार माँ तेरी ममता ने तो दो कुलों को तारा है फिर क्यों एक बेटी ने आज एक बेटी के जन्म पर प्रश्न चिन्ह लगा डाला है पुरूष प्रधान इस समाज में आज नारी ने ही नारी को मार है कहीं लूट रही किसी की देह तो कहीं एक माँ ने ही अपनी कोख को उजाड़ा है सतयुग की मैं लक्ष्मी तो त्रेता की सीता हूँ द्वापर में लिया मैन ही राधा का अवतार कलियुग में मैं स्वयं कल्कि न बन जाऊं ऐसा न कर तू मुझ पर अत्याचार दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार (next to be continued........) #कोख my heartbeat Jonny $Mahi..🙂 Azad ताहिर তাহীৰ अरुणशुक्ल अर्जुन Dr.ShrutiGarg PT
#कोख my heartbeat Jonny $Mahi..🙂 Azad ताहिर তাহীৰ अरुणशुक्ल अर्जुन Dr.ShrutiGarg PT
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( 1 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं अब सही ना जाये ये अत्याचार सिसक-सिसक कर ये कह रही माँ तुझसे इस बार ये नन्ही सी जान हत होकर अब ये धरा सिसकी ऐ माँ न ले तू अब मेरे प्राण देख अश्रु आज ये गगन बहाता सुनकर तेरी कोख की पुकार मानवता कहीं सचमुच न मर जाये यूँ न कर अपनी ममता को शर्मसार आने दे मुझे इस धरा पर न छीन मुझसे सांसों का अधिकार इतिहास उठाकर देख हर सभय्ता है बेटीयों का कर्जदार दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखती पुकार माँ तेरी कोख से चीखती पुकार (next to be continued......) #कोख Sajal Jonny aman6.1 अरुणशुक्ल अर्जुन Anjali Goswami $Mahi..🙂
#कोख Sajal Jonny aman6.1 अरुणशुक्ल अर्जुन Anjali Goswami $Mahi..🙂
read moreHaal e Dil {jav}
वक्त रहते सूधर जा ऐ मर्द कहीं ऐसा न हो की मैं तूझे अपनी कोख मे रखने से इन्कार कर दूं.! #वक्त रहते #सूधर जा ऐ #मर्द कहीं ऐसा न हो की मैं तूझे अपनी #कोख मे रखने से #इन्कार कर दूं...!!✍
Raahi
मुझे कोख में मत मारो, मेरी मां ने बेटी जन्मी तो क्या हुआ? मैं आपको शायद बेटा दे दूंगी... मत मारो मुझे कोख में आज, मैं ही एक बेटे की कमी भी पूरी कर दूंगी... #मत मारो मुझे कोख में। #Nojoto #hindi #love #MAA
शुभम जैन सिद्ध
माँ की डाट में भी प्यार छुपा होता है। माँ रूठ भी जाये तो यहशास होता है। स्वर्ग से कम नही है मेरी माँ की कोख। ईश्वर भी माँ की कोख में पला होता है। शुभम जैन"सिद्ध" yes kumar poetry by heart Rinku Singh pavanguru1850 Kailash kumawat
yes kumar poetry by heart Rinku Singh pavanguru1850 Kailash kumawat
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