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Saurabh Girach

अपना अपना सफ़र सबका अपनी अपनी अपनी मंज़िलें। #जगसार #jagsar #राहें #नौका #अपनीमंज़िलें #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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अपनी अपनी राहें
रखों नहीं पाँव दो नौकाओं पर
धरी रह जायेगी सारी मंजिलें।। अपना अपना सफ़र सबका 
अपनी अपनी अपनी मंज़िलें।
#जगसार #jagsar #राहें #नौका
#अपनीमंज़िलें #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

rohit kumar

Death_Lover

Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

#MessageOfTheDay तैयार हूं मैं चल !  हिलोरे दे दूं तुझे भी जिंदगी के,
जानता हूं थक गया तू,चलाने में ये नौका जिंदगी की,

मगर मत हार हिम्मत तू अभी तो खेल बाकी है,
जला ले दीप सपनों का, सफर के मील काफी हैं।

बहुत अवरोध आयेंगे, बहुत अनुरोध आयेंगे,
चला चल मुस्कुराकर तू, समंदर रोज आयेंगे।

©Anand Prakash Nautiyal #नौका#जिंदगी#सफर
#Messageoftheday

Deepak Dhindoli

#5LinePoetry #कश्ती #लहरों #नौका #Shayari #शायरी #deepak #SAD pratham yadav The Raju Srivastva Show. Poet Aakriti Official Bunny Varsha Yadav

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#5LinePoetry  इन शांत से समुंद्रों ने ही डूबोया है मेरी कश्ती को
मासूम से दिखने वालों ने ही मिटाया है मेरी हस्ती को
पर ऐसा नहीं है कि मैंने चलना छोड़ दिया है
मैं हर रोज ले जाता हूं लहरों में अपनी कश्ती को

©Deepak #5LinePoetry #कश्ती #लहरों  #नौका #Shayari #शायरी #Nojoto #Deepak #SAD  pratham yadav The Raju Srivastva Show. Poet Aakriti Official Bunny  Varsha Yadav

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 19 - हारे को हरिनाम नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घासों से, जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं और वन में हाथी, शेर, तेंदुए, चीते। वृक्षों पर भी निरापद शरण लेना सम्भव नहीं था। वहाँ भी सर्प और तेंदुए स्वच्छन्द छलांग ले सकते थे। उसने सोचा भी नहीं था कि बर्मा के इस प्रदेश में उसे रात्रि व्यतीत करनी पड़ेगी। सूर्यास्त के पूर्व ही वे लौट जायेंगे, ऐसा उनका विचार था। लेकिन सूर्य पश्चिम में पहुँच चुके और अब भी पता नहीं

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
19 - हारे को हरिनाम

नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घासों से, जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं और वन में हाथी, शेर, तेंदुए, चीते। वृक्षों पर भी निरापद शरण लेना सम्भव नहीं था। वहाँ भी सर्प और तेंदुए स्वच्छन्द छलांग ले सकते थे।

उसने सोचा भी नहीं था कि बर्मा के इस प्रदेश में उसे रात्रि व्यतीत करनी पड़ेगी। सूर्यास्त के पूर्व ही वे लौट जायेंगे, ऐसा उनका विचार था। लेकिन सूर्य पश्चिम में पहुँच चुके और अब भी पता नहीं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
12 - प्रार्थना का प्रभाव

'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।'

इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

✍ अमितेश निषाद

___भोजपुरी संग्रह ई कइसन मोहबत कर गईलू तू जियते जवनिये में मार गईलू तू ।। नही रोवल बने नही हँसल बनेला ई कइसन बेमारी धरा गईलू तू ।।

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___भोजपुरी संग्रह 

ई कइसन मोहबत कर गईलू तू
जियते जवनिये में मार गईलू तू ।।

नही रोवल बने नही हँसल बनेला
ई कइसन बेमारी धरा गईलू तू ।।

सपना देखवलू एतना कवने दिनरात के
अभिये ले सोचत बानी ओह दिन के बात के ।।

की कइसे भुलाई हम अपना प्यार के
तू छोड़ चल गइलू पास नौका यार के ।।

एक बात सुन ल हमार बहुत पछतइबू
जौने दिने याद आईब पास नाही पइबू ।। ___भोजपुरी संग्रह 

ई कइसन मोहबत कर गईलू तू
जियते जवनिये में मार गईलू तू ।।

नही रोवल बने नही हँसल बनेला
ई कइसन बेमारी धरा गईलू तू ।।

Anil Siwach

||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों

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||श्री हरिः||
6 - भगवत्प्राप्ति

'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' 

प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों
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