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somnath gawade
स्मित हास्य तुझ्या गालावरचे असेच वृद्धिंगत होत राहो. जे जे हवे तुजला ते ते ईश्वर देत राहो. #स्मिता
Smita Jain
कान्हा की बांसुरिया जब-जब बजी कृष्ण की बसुरिया झूम उठी हृदय की लहरिया झूम उठी सारी गोपियां वृंदावन में छा गई रंगरेलियां रचने लगी सुर और तारों की लहरिया बिखरने लगे मधुर से स्वर हवाओं में खोने लगी चितवन सारी गोपियां मुरली की अद्भुत तान सुन छा गई मदहोशी फिजाओं में अपने प्रिय कान्हा के संग दरस पाकर हरषाने लगे नर - नारी , गाय -गोपाला ,पशु- पक्षी कण कण मानो तृप्त होने लगा कृष्ण राग में कृष्ण की राधा और राधा का कृष्ण बनकर बजने लगे हृदय के तार में हर सांस में बस राधा का ही प्यार कान्हा के होठों पर बस राधा का ही नाम तृप्ति और अतृप्ति का संवाद चल पड़ा सुरों में आत्मा का आलिंगन होने लगा जब भी बजी कृष्ण की मधुर मुरलिया। #स्मिता जैन छतरपुर मध्य प्रदेश ©Smita Jain कृष्ण की बसुरिया #DearKanha
कृष्ण की बसुरिया #DearKanha
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🌦️🌦️🌦️ आया सावन झूम के🌦️🌦️ जब-जब पड़ी बूंदे पानी की जमीं पर यूं लगा सावन की बूंदों ने दस्तक दी हो मुरझाई सी, अलसाई सी बेलो को, लताओं को हरितमा के आंचल से ढक दिया बरस कर ⛈️⛈️⛈️⛈️🌿🌿🌿🌿🌳🌳🌳☘️⛈️⛈️ गूंजने लगा बारिश की टिमटिमाहट का गुंजन मेंढकों की टर्र -टर्र और झीगुरों के आहटों से प्रकृति का मद्धिम कर्णप्रिय संगीत का जादू झरनों का कलरव देने लगा आमंत्रण पर्यटकों को 🐸🐸⛈️⛈️💫💫🐊🐊🐲🐲🦎🦎🐍🐍 भीगने लगे तन बदन ,मन की पीड़ाओं से परे होकर डोलने लगे छाते, रेनकोट, गली-गली, चौराहों पर मिट्टी से दूषित हो सनने लगे हाथ पैर चलने लगी नावें नवनिहालों की कागज की घरों के बाहर ☔☔☔🌾🌾🌾🌌🌌🌙🌌🌦️🌦️🌥️🌃 करने लगे लुकाछिपी सूरज -चंदा बादलों की ओट में ढलने लगी सुरमई शामें सुनहरी धूप से बेचैनी से करने लगा मन इंद्रधनुष का इंतजार घरों की मुंडेरों और छतों पर जाकर 🌤️🌤️🌤️🌙🌙🌌🌌🌌🌈🌈🌈🌓🌔🌗 बजने लगे मंदिरों में घंटे ज़ोर ज़ोर से उठने लगी मंत्रों के जाप गली- गली मोहल्लों में स्थापित होने लगे चतुर्मास देवताओं और गुरुओं के होने लगी शुद्धि यज्ञ कुंडों के घी -हवन सामग्री से 🌠🌠🔥🔥💮💮🌋🎠🎪🎪🛕🛕🛕🗿 घरों की चौखटों पर टकटकी लगाकर बाट जोहति बिरहनो की खातिर होने लगी वापसी परदेसियों की मेहंदी,महावर की लालिमा से सजने लगे हाथ-पैर भाइयों की कलाई करने लगी बहनों की राखी का इंतजार 💕💕💞💞💘💘♥️♥️❤️❤️💞💕💌💖 यूं लगने लगा सावन की बूंदों ने प्रकृति संग जैसे हर जीव को अपने संपूर्ण वरदान से आर्शीवादित कर दिया गर्मी के अभिशाप से मुक्त कर दिया हो जीवन की संपूर्णता का एहसास कराता आया सावन झूम के 💖💖💕💕🌈🌈🌦️🌦️🌾🌾🛕🛕💖💖 #स्मिता जैन छतरपुर मध्य प्रदेश ©Smita Jain आया सावन झूम के
आया सावन झूम के
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" पिता एक उम्मीद " पिता एक आश है एक उम्मीद है हर बच्चे की आशाओं की पूर्ति है पिता एक वटवृक्ष है जिसकी छाया तले पोषित होती हैं कई जिंदगियां चढ़ती हैं कई बेले -लताएं उसके विशालता काआलिंगन करने के लिए । पिता एक आच्छादित उपवन है जहां पर मंडराती हैं कई तितलियां -भवरे बसाता है कई सारे बाग बगीचों को । पिता एक बागवान हैं जो सींचता है अपने खून पसीने से अपने नवांकुरों को प्रस्फुटित करता है जिंदगी का राग। पिता संगीत की सरगम है जो झंकृत करता है शब्दों से खुशियों की तरंगों को । पिता सूरज है जिसके ताप से रोशन होता है परिवार और चलता है नाम जमाने में प्रतिष्ठा का । पिता एक अंगूठा है हाथ की हथेली का जिससे कर्मठता का पाठ पढ़ाया जाता है । जीवन सफर की हर मुश्किलों को पर्वत की भांति तनकर आसान बनाता है राह सभी की । परिवार के ज्ञान और संस्कारों की अमिट धरोहर लेकर जीता है अपने अस्तित्व में पर खामोश सा रहता है अपने जवाबदारीयों केनिर्वाहन के खातिर सागर की गहराइयों को अपने वजूद में समाए हुए। #स्मिता जैन ©Smita Jain पिता एक उम्मीद #FathersDay2021
पिता एक उम्मीद #FathersDay2021
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बांट दिए है हमने सिक्कों की खनक पर सोने की चमक पर बांट दिए हैं हमने अपनी खुशियों और गमों के तराने। जमीन को ना जाने कितने कदमों में नापकर उसको भी कई नामदार से टुकड़ों में बांट दिया है हमने। अभिव्यक्ति और संवेदनाओं को अवसरवादिता का मुखौटा पहना दिया है हमारे विकसित होते से समाज में । हर चीज का वर्गीकरण करके खंड खंड कर दिया है और खुद ही बेगाना सा हो गया है। खुद ही खुद में सिमट कर ढूंढता सा जा रहा है उन सोने के सिक्कों में । सामाजिक सुरक्षा सच्चा प्यार निश्चल रिश्ते मासूम मुस्कुराहटों को। खोया हुआ सा समाज अभी नहीं बांट सका है वह आकाश की असीमितता सूरज का अनंत ताप हवा की तरंगों को पानी की समरसता को चांद की ठंडी बयार को और अनुभूतियों के अनछुए से स्पंदन को। #स्मिता जैन ©Smita Jain बांट दिए हैं हमने #Flower
बांट दिए हैं हमने #Flower
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मेरी रचना :-संभाल कर रखना भारत माता की जय बोलते बोलते माॅं को ही सरे बाजार में बेचने चले हैं संभाल कर रखना अपनी बहन- बेटियों की आबरू को अपने हिस्सों की जमीनों के टुकड़ों को वतन परस्ती का ढोल पीटने वाले निरंकुश होकर अब सड़कों पर आतातायी बनकर मातृभूमि का चोला उतारने चले हैं शिखंडीओं की नाजायज पौरूष विहीन होकर सत्ता अब अपनी ही जल, जंगल और जमीन का सौदा करके सोना, चांदी और हीरों से अपना पेट पालने चले हैं। #स्मिता जैन ©Smita Jain #संभाल कर रखना
#संभाल कर रखना
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सुनो कान्हा,🙏🏻 मथुरा,वृंदावन,बरसाने में खेली होली गोपी, राधा कभी न डरी ना सहमी। फिर आज की हर राधा क्यों सिसकी है पराए क्या अपनों से तक डरती है। किस रंग भेष में कोई आएगा और किसको शिकार बनाएगा? कान्हा तुम द्रौपदी को बचाने गए वैसे वहां आना, वरना बरसाने जैसा हमको लट्ठ मारकर कैसे इज्ज़त बचाना है इतना तो सीखला जाना। #स्मिता सप्रे✍️ ©Smita Sapre #बातहरबालाकी
स्वप्नील जोशी
काळ तर मन असत शरीर नाही... @स्वप्नील.. #स्मिता@प्रेम...💓💓💓 #RaysOfHope
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