Find the Best शंकरदास Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos about
DR. SANJU TRIPATHI
जन्मभूमि हमारी हमको है, जान से भी ज्यादा प्यारी। वीर सपूतों ने अपना लहू देकर, बनाई इसको हमारी। पावन है कण-कण इसका, हुए राम कृष्ण अवतारी। जन्मभूमि है अस्तित्व हमारा, यही पहचान है हमारी। गंगा यमुना सी नदियां यहां पर, संगम की नगरी प्यारी। ऋषि-मुनियों ने ज्ञान दिया, वेद पुराणों की भाषा न्यारी। वसुदेव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाती, सभ्यता हमको हमारी स्वर्णिम है इसका इतिहास, अतिथियों के लिए सत्कारी। भारत को माता गर्व से कहते, जननी जन्मभूमि है हमारी। गौरव दुनियां में सबसे ऊंचा है, हरदम जाऊं मैं बलिहारी 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
हृदय हर्षमय हो रहा, करुँ मैं प्रदक्षिणा बारंबार, नमन जन्मभूमि को, जहाँ अराध्य लिए अवतार। ऐसी पावन पवित्र धरा को, अपना शीश नवाऊँ, कर तिलक रज मस्तक, शुद्ध होता निज विचार। भारत भूमि है जन्मभूमि, देवगणों का घर-द्वार, इस धरा का स्पर्श मात्र से, हो शक्ति का संचार। देव, गुरु, महापुरुष, वीर, वीरांगना, सुक्तकार, वेद पुराण की जन्मभूमि, जाने समस्त संसार। हृदय गौरवान्वित हो रहा, मैं व्यक्त करुँ आभार, निज जन्मभूमि को प्रणिपात, वंदन करुँ अपार। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०४ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
दिल की किताब.. आज खोली दिल की किताब तो, कुछ पन्ने अतीत के पलटे मैंने, खिलते अरमानों के मुर्झाये ख्वाब, घुट-घुट कर दम तोड़ते देखे मैंने, धुंधली-धुंधली सी हो गयी थी जो यादें, जाकर उन लम्हों में, धुंध हटायी मैनें, सिकुड़ से गये थे कुछ पन्ने जो जिंदगी के, करके समतल उनको नयी जिंदगी की, नयी उम्मीद, जगाई मैंने..।। शंकरदास ©Motivational writter #दिल #किताब दिल की किताब.. आज खोली दिल की किताब तो, कुछ पन्ने अतीत के पलटे मैंने, खिलते अरमानों के मुर्झाये ख्वाब,
Motivational_writer79 (शंकरदास)
ये चाँद, ये तारे, ये टिमटिमाते जुगनुओं की सरगोशी, ये घटा, ये बारिश, ये लहराती हवाओं की खामोशी, ये जुल्फें, ये आँखे, ये सूरख होठों की मदहोशी, ये भीगा तन, ये बदन, ये कमर में बाहों की डोरी, ये अदा, ये शर्म, ये हया की अनोखी हमजोली, ये प्यार, ये इकरार, ये इश़्क के अरमानों की ड़ोली, ये रेत, ये साहिल, ये सन्नाटा पसर रहा लहर में भी, ये सादगी, ये ताजगी, ये दिल्लगी है अब समझो भी..।। ©Motivational writter #दिल्लगी ये चाँद, ये तारे, ये टिमटिमाते जुगनुओं की सरगोशी, ये घटा, ये बारिश, ये लहराती हवाओं की खामोशी, ये जुल्फें, ये आँखे, ये सूरख होठों की मदहोशी, ये भीगा तन, ये बदन, ये कमर में बाहों की डोरी, ये अदा, ये शर्म, ये हया की अनोखी हमजोली,
#दिल्लगी ये चाँद, ये तारे, ये टिमटिमाते जुगनुओं की सरगोशी, ये घटा, ये बारिश, ये लहराती हवाओं की खामोशी, ये जुल्फें, ये आँखे, ये सूरख होठों की मदहोशी, ये भीगा तन, ये बदन, ये कमर में बाहों की डोरी, ये अदा, ये शर्म, ये हया की अनोखी हमजोली,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की, कुचलकर आगे वाले को, चढ़कर उसमें आगे बड़ने की, धकेल कर सबको आगे जाना है, आखिरी ऐसा क्या पाना है, हर चेहरा नया नया सा है यहां, क्या? कोई जाना-पहचाना है, समझाऊं तो किस-किस को, कहीं! मैं नासमझ ना हो जाऊं, अरे! कुचलना-धकेलना आता है मुझको भी, ड़र है मैं इंसान हूँ, कहीं! जानवर ना हो जाऊं..।। ©Motivational writter #भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की,
#भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं, होड़ लगी है यहाँ, अपनो से अपनों को जुदा करने की, कुचलकर आगे वाले को, चढ़कर उसमें आगे बड़ने की, धकेल कर सबको आगे जाना है, आखिरी ऐसा क्या पाना है, हर चेहरा नया नया सा है यहां, क्या? कोई जाना-पहचाना है, समझाऊं तो किस-किस को, कहीं! मैं नासमझ ना हो जाऊं, अरे! कुचलना-धकेलना आता है मुझको भी, ड़र है मैं इंसान हूँ, कहीं! जानवर ना हो जाऊं..।। ©Motivational writter #भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं,
#भीड़ भीड़ बहुत है दुनिया में, कहीं! आँखो से ओझल ना हो जाऊं, पकड़ कर चलना हाथ मेरा, कहीं! भीड़ में जुदा ना हो जाऊं, भरोसा-यकिन-बनाए रखना, कहीं! अजनबी ना हो जाऊं, पसंद हूँ मैं अपनों की, कहीं! भीड़ में नापसंद ना हो जाऊं,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
अकेला आया हूँ, अकेला सफ़र करूंगा, चलती राहों में भी, सबकी कदर करूंगा..।। अगर हो भी गया मायुस, तो सब्र करूंगा, थोड़ा रूकूंगा, फिर चलना शुरू करूंगा..।। मुश्किलें हजार होंगी, सबको हसकर पार करूंगा, ठोकरें लगेंगी जमाने की, गिरकर भी उठता रहूंगा..।। हाँ अमावस की रात को, मैं पूनम हरबार करूंगा, जीवन के पतझड़ को, मैं बसंत बहार करूंगा..।। लाख करें कोई धोखा भले, मैं न फरेब करूंगा, इंसान हूँ, इंसानियत निभा, इंसान बना रहूंगा..।। ©शंकर दास #Life_experience #शंकरदास अकेला आया हूँ, अकेला सफ़र करूंगा, चलती राहों में भी, सबकी कदर करूंगा..।। अगर हो भी गया मायुस, तो सब्र करूंगा, थोड़ा रूकूंगा, फिर चलना शुरू करूंगा..।। मुश्किलें हजार होंगी, सबको हसकर पार करूंगा,
#Life_experience #शंकरदास अकेला आया हूँ, अकेला सफ़र करूंगा, चलती राहों में भी, सबकी कदर करूंगा..।। अगर हो भी गया मायुस, तो सब्र करूंगा, थोड़ा रूकूंगा, फिर चलना शुरू करूंगा..।। मुश्किलें हजार होंगी, सबको हसकर पार करूंगा,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
ये शाम, ये नजारा, ये ढ़लती आफताब की मदहोशी, उथल-पुथल है मन में अजीब सी चेहरे में खामोशी..।। तेरे प्यार के नगमें गाता रहूं, तू लगे स्वर्ग से आयी उर्वशी सी, तान छेड़ी है मैने , जुल्फ़ लहरा रहीं तेरी, बनकर काली घटा सी..।। खिलते गुलाब सा है जो ये तेरा चेहरा, चहूँ ओर फैला रही हो, इ्श़्क की महक सी..।। ये तेरे होठों की सूरख लाली, लगे कश्मीर के केसर सी, ये अदा तेरी देख, मन बावंरा कहे, डोर बाँध लूं तुझसे सातो जन्मों की..।। ©शंकर दास #Love #motivate #शंकरदास #shankar_dass79 ये शाम, ये नजारा, ये ढ़लती आफताब की मदहोशी, उथल-पुथल है मन में अजीब सी चेहरे में खामोशी..।। तेरे प्यार के नगमें गाता रहूं, तू लगे स्वर्ग से आयी उर्वशी सी, तान छेड़ी है मैने ,
Love #motivate #शंकरदास #shankar_dass79 ये शाम, ये नजारा, ये ढ़लती आफताब की मदहोशी, उथल-पुथल है मन में अजीब सी चेहरे में खामोशी..।। तेरे प्यार के नगमें गाता रहूं, तू लगे स्वर्ग से आयी उर्वशी सी, तान छेड़ी है मैने ,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
#खुलीआँखें कलतक खुली आँखें भी बंद थी मेरी, मंजिल तय थी मेरी और में सोया था। आगे बड़ना था मुझे लक्ष्य की चाह में, जाने क्यों? बेवजह ही कहीं खोया था। देखा गौर से खुद को, तो समझ आया, बहुत बहुमूल्य था वो एक-एक पल मेरा,
read moreMotivational_writer79 (शंकरदास)
तन मैला हो कोई बात नहीं, अंतर्मन को स्वच्छ रखो, हृदय ज्योत से करो वंदन, वर्चस्व स्वयं का उत्तम रखो..।। मधुर भाषी हो जीव्हा तुम्हारी, सौम्य-सरल स्वभाव रखो, प्रफुल्लित हो मन सबका, मिलें जो ऐसा व्यवहार रखो..।। कुसंगति का करो परित्याग, कटु भाव को दूर रखो, कर से अपने सतकर्म करो, क्रूर विचार विलुप्त रखो..।। बनो ना तुम पीड़ा किसीकी, हरपल इसका भान रखो, हो आपत्ति चाहे कैसी भी, संयम से स्वयं को समान रखो..।।
read more