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dimple
White ज़मीन पर चलने वालों के लिए आसमान हो गए l चार पैसे ज्यादा कमाकर समझते है भगवान हो गए ll बेटियों की तरह सिर्फ त्यौहारों पर ही घर आते है l शहर में नौकरी करने वाले बेटे अब मेहमान हो गए l मैं जरा सा पीछे क्या रह गया जिंदगी की दौड़ में, लोगों के ताने तीर जैसे तीखे, मुंह कमान हो गए l भाव बढ़ गए है आजकल दिखावे के, मक्कारी के, और बड़े सस्ते अब लोगों के ईमान हो गए l कंक्रीट बिछता जा रहा है खेती की जमीन पर, ऊँचें दरख्तों की जगह ऊँचें ऊँचें मकान हो गए l तुमसे ही आबाद थी दुनिया दिल -ए- गुलशन की, तुम क्या रूठे, दरीचें मेरे दिल के वीरान हो गए l अंग्रेजो के तलवे चाट कर जिन्होंने अपनों पे जुल्म ढाए, आगे चलकर वही राय साहब और दीवान हो गए l नेताओं के घर क्यों नही जलते कभी दंगों में, सिर्फ तेरे मेरे घर ही क्यूं जलकर श्मशान हो गए ll --------------------- August 2024 ©Dimple Kumar #डायरी_के_पन्ने #दिल #Bete #बेटियां #गुलशन #घर #वीरान #नेता #शमशान #त्योहार शायरी हिंदी में शेरो शायरी गम भरी शायरी शायरी attitude खूबसूरत दो लाइन शायरी
Dineshofficialjaipur1346
meri pyari Lado Beti #dineshofficialjaipur1346 #beti #Bete #Papa #nojato
read moreMeenakshi
BeHappy मजबूत उनके कंधे और बहुत समझदार होते हैं बेटे, गर घर की शान हैं बेटियां तो घर है की जान बेटे। प्यारी सी मुस्कान, लेकिन दिखने में लगे ये शैतान, चौंका देते मुश्किल समय में जब थामे घर की कमान बेटे। मां के दिल का टुकड़ा और पिता का सुकून होते हैं ये, बहनों का दोस्त और होता है सारे घर का नूर ये बेटे। बड़ों को देते हरदम मान, खुद खड़े रहते है हर बार, घर के त्योहारों में कभी भी थकते नहीं है ये बेटे। बेटे चाहे दूर हो या पास हर लोगों से जुड़ी इनकी आस, अपनी जिम्मेदारियों से खुद को आजाद नहीं करते ये बेटे। केवल बेटी ही नहीं बेटे भी करते हैं परिवार से प्यार, दौड़े चले आते हैं मां की सिर्फ एक पुकार पर ये बेटे। पिता-पुत्र में भले ही हो बोल कम पर प्रेम है बेहिसाब, जिम्मेदारियां निभाने में देते हैं हरदम साथ ये बेटे। ©Meenakshi #Bete
Ankur tiwari
पहुंचा जब नुक्कड़ पर तो यारों ने गले लगाया बैग उठाकर उसको स्टेशन तक था पहुंचाया बैठ ट्रेन में चला वो जब मन में दुखों का झोका था अपनी नम आंखों से उसने सबको रोता देखा था बेटियां तो एक बार मगर बेटे कई बार विदा होते हैं हां वो बात अलग हैं कि दिखाते नही मगर छुप छुप कर रोते है ©Ankur tiwari #bete
Ankur tiwari
रोक रखी थीं सबने निज नैनों में सावन की धारा पर प्रेम फूट ही पड़ा सबका बन असुंवन की धारा मगर खड़ा था मौन सा वह पर अंदर से था घबराया मगर ना किया दुःख जाहिर अपना मां को था समझाया रख हाथ पिता के कंधे पर उनको दिया भरोसा लांघा जब दहलीज था घर का उसने खुद को कोसा मां ने उसका हाथ पकड़ कई बार कहा मत जाओ यही करो कुछ काम मगर ना नज़रों से दूर को जाओ शख्त पिता की आंखे भी भर आई थी उस रोज जब बेटे ने किया था वादा कम करने को उनका बोझ ©Ankur tiwari #bete
Ankur tiwari
बचपन से ही था वो अव्वल पढ़ लिख नाम कमाया हर दर्जे में प्रथम आया मां बाप को फक्र दिलाया हुआ जब अठरह का और देखी उसने दुनियादारी घर के लाड़ले बेटे ने सोचा लेने को अपनी जिम्मेदारी दूर शहर जाना था उसको करने को कुछ काम तभी तो पिता के कर्ज़ चूकेंगे घर का होगा कल्यान बांध के वो सामान जब अपना पलटा ही था पीछे दिखी अंगने में छोटी बहना रोते हुए सर को कर नीचे हाथ पकड़ कर कहा तब उसने भैया जल्दी आना तुम बिन कौन चिढ़ाएगा मुझको देकर मीठा ताना खड़ा था भाई ओसारे में बांध कर मुट्ठी अपना भईया किसे सुनाऊंगा मैं दिनभर का किस्सा अपना .......................................to be continu ©Ankur tiwari #bete