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#काव्यार्पण
White वचन सिंदूर मंगलसूत्र मंडप भी सजाया है तुम्हारे नाम का कुमकुम माथे पर लगाया है कन्यादान सातों फेरे सारे विधि विधानों से मिली थी कुंडली तब जा के तेरा साथ पाया है अधर हैं बेसुरे इतने तुम इनका राग बन जाओ मैं काया बन गई तेरी तुम मेरी लाज बन जाओ मेरे माथे की बिंदी स्वेद गंगा में नहाई है उतारो चूड़ियां मेरी खनक धड़कन की बन जाओ। पिघलकर मोम अग्नि में समाहित जैसे होता है कड़कती धूप में जैसे की चंदा हाथ धोता है बरस कर मिल रहा है यूं धरा में आज ये अंबर रति के मन में जैसे काम अपने बीज बोता है। धुला उजाला बदन उस पर मसक ये लाल कैसी है ? ठिठोली कर रही सखियां अधर मुस्कान कैसी है ? वो सोलह साल की लड़की शिकायत रोज करती थी शरारत हो गई इतनी मगर अनजान कैसी है। प्रज्ञा शुक्ला,सीतापुर ©#काव्यार्पण मिली थी कुंडली तब जाकर तेरा साथ पाया है कवयित्री: प्रज्ञा शुक्ला #kundali #लव #काव्यार्पण #kavyapoetry #Nojoto #pragyashukla #sitapur #love_shayari Er Aryan Tiwari शिवम् सिंह भूमि #शून्य राणा Anshu writer नंदी Yash Mehta Stranger Kumar Shaurya Niaz (Harf) Kajal Singh [ ज़िंदगी ] **Dipa** S ( Sirf tum ) Sircastic Saurabh बदनाम shivom upadhyay Singh hanny MuSaFiR Bhawna Mishra
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White लिखा था नाम जो दिल की जमीं पर पढ़ रही हूं मैं कि उनका रूप ही हर आईने में गढ़ रही हूं मैं मेरी हर शायरी में अब अलग ही मोजिजा सा है सुनाती हूं गज़ल यूं जैसे कलमा पढ़ रही हूं मै। हैं उनके नैन जैसे सीप में मोती चमकता हो रूप ऐसा कि काली रात में चंदा चमकता हो । श्यामल केश जब मस्तक को उनके चूम लेते हैं जैसे दूधिया पुष्पों पे भंवरे झूम लेते हैं । अधर जैसे गुलाबी पुष्प ने पाई हो तरुणाई तिमिर शय्या पे जा लेटा उगी पूरब से अरुणाई। वो मेरे साथ ना होकर भी यूं महसूस होते हैं जैसे चांद सूरज आसमां में साथ होते हैं । बुझी सुलगी मगर इस राख में अब भी है चिंगारी इसी कारण विरह के गीत भी लगते हैं श्रृंगारी। प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण श्रृंगारी by pragya Shukla #Kavyarpan #pragyapoetry #Nojoto #films #sitapur #Love #काव्यार्पण #love_shayari Niaz (Harf) hardik Mahajan Er Aryan Tiwari नंदी Singh hanny Sircastic Saurabh ꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂ Kajal Singh [ ज़िंदगी ] #शून्य राणा Anshu writer Kumar Shaurya बदनाम Yash Mehta shivom upadhyay Bhawna Mishra shivom upadhyay Yash Mehta
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सीतापुर का वो लड़का by pragya Shukla #Kavyarpan #sitapur #sitapurkawoladka #Sitapurpoetry #IPL #outoflove Anshu writer Niaz (Harf) शिवम् सिंह भूमि hardik Mahajan Kumar Shaurya Sircastic Saurabh Ravi Ranjan Kumar Kausik Yash Mehta #शून्य राणा ** दीपा साहू ** सिर्फ_तुम * #शून्य राणा ** दीपा साहू ** सिर्फ_तुम * एक Mohabbati विधार्थी shivom upadhyay बदनाम
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तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं दो बोल जो मीठे बोल दिये तू सर पर मेरे बैठ गया कैसे तूने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। मेरे झुमके के उद्दवेलन से ये पवन सुहानी चलती है एक पल को मैं मुस्काऊं तब ये कच्ची कलियां खिलती हैं जब केश मेरे लहराते हैं तब काली घटा छा जाती है मेरे यौवन से ले सुगंध रति में सुंदरता आती है तू पाप की गठरी जोड़ रहा मैं पुण्य की भागीदारी हूं तूने जब मन को सहलाया मैं उस पल की आभारी हूं तू शहर का शोर शराबा है मैं गांव की कोयल प्यारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 2.तुम वर्तमान की कालिख हो प्रारब्ध की मैं पुरवाई हूं तुम आभासी प्रतिबिंब सदा मैं अंतस की गहराई हूं तुम धूं धूं कर के जलते हो मैं सरिता जैसी बहती हूं तुम टोंका टांकी करते हो मैं पृथ्वी सा सब सहती हूं गर लगे हमारे मुंह तो अब हम दुर्गा ही बन जायेंगे है यू पी पुलिस में धाक बड़ी ऐंटी रोमियो बुलायेगे मैं पति प्राइवेट सेक्टर हूं ना मैं जनहित में जारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 3. ना बातचीत का ढंग तुझे मैं कितनी ही मृदुभाषी हूं तू नॉनस्टॉप-सा म्यूजिक है मैं मौन की बस अभिलाषी हूं है नई नई तेरी दौलत इसलिए तुझे अभिमान हुआ मेरा परिवार सदा से ही संस्कारों से धनवान हुआ है नशा तुझे दौलत का तो ये निश्चय क्षीण हो जायेगा अपनी मृत्यु पर क्या फिर तू पैसे से भीड़ जुटाएगा है ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है गर्व मुझे संस्कारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 4.तुम चाइनीज मोबाईल हो और मैं एप्पल का ब्रांड प्रिये तुम बेशक बादशाह होगे मैं हनी सिंह की फैन प्रिये तुम कपिल की बकबक सुनते हो और मैं बिग बॉस की दर्शक हूं तुम खुद को सलमान समझते हो मैं तुमसे भी आकर्षक हूं हम सीतापुर वाले साहब कट्टाधारी कहलाते हैं यदि बात हमारे प्रेम की हो तो नतमस्तक हो जाते हैं चिंदी चोर चांदनी चौक के तुम मैं नैमिषधाम दुलारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। कवयित्री - प्रज्ञा शुक्ला सीतापुर ©#काव्यार्पण #proposeday #kavyarpan #nojoto #sitapur #HappyRoseDay तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं
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गहरी थी रात मगर हम सोए नहीं #Kavyarpan #sitapur #Pragyashuklakikavita #ValentinesDay #MereKhayal
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मैं टूट जाऊंगी एक दिन वो इस उम्मीद में बैठा है देखना ये है कि उसकी अभिलाषा पूरी होती है या नहीं ...😊??? ©#काव्यार्पण #my_thoughts #Kavyarpan #nojoto #BoloDilSe #love #Pragyashuklakikavita #sitapur #myhappiness harsha mishra
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