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Best हरयाणवी_रागनी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Vikash Arya

Anand Kumar Ashodhiya

देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी

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देश की बेटी म्हारी बेटी

तू किसके आगे हाथ जोड़ती, रो रो कर रही चीख पुकार 
लँगड़ा लूला पुलिस महकमा, आंधी बहरी है सरकार 

न्या मांगणिये बाड़े में बंद, आज भ्र्ष्टाचारी राज करैं  
जाँच कमेटी बिठा देइ न्या, करते करते आज करैं 
चौगिरदे कै पुलिस बिठया दी, ना क्याहे की ल्ह्याज करैं 
बब्बर शेर भी बेबस होग्ये, कित लग चिड़िया बाज मरैं 
देश की शान बढ़ावण आले, आज हो रहये सैं लाचार  

बिका हुआ दलाल मीडिया, चुपका सा तमाम होग्या 
आँख पे पट्टी मुँह पे टेप, सरकारी गुलाम होग्या 
यौन शोषण का दोषी आज, मीडिया का राम होग्या
दबंगई कर नेता बणग्या, न्यू समझे भगवान होग्या 
भाण और बेटी लगी दाँव पे, यो कौरव का दरबार 

कौम की बेटी इज्जत खातिर, रो रो कै नै डकराती    
जिगरे आले सत पुरुष ही, सच के बणैं हिमाती 
स्वाभिमान, ज़मीर की खातिर, हो वज्जर कैसी छाती
देश की बेटी, म्हारी धरोहर, इज्जत ही तो कहलाती 
ना जाति, ना प्रभुत्व भरो, इज्जत की हुंकार 

दागी नेता, भ्रष्ट प्रशासन, ना होती काररवाई 
न्या पावण की खातिर बेटी, भरती फिरें तवाई 
खरदूषण लाईलाज बीमारी, करणी पड़ै दवाई 
आनन्द शाहपुर उठ खड़या हो, क्यूँकर करै समाई 
दो हर्फी है माँग हमारी, हो खरदूषण गिरफ्तार    

रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया@कॉपीराइट

©Anand Kumar Ashodhiya देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी

Anand Kumar Ashodhiya

देश की बेटी म्हारी बेटी #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी

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Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा रसकपूर हरयाणवी रागनी 18 #रसकपूर #हरयाणवी_रागनी #हरयाणवी

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किस्सा रसकपूर - रागनी 18 हरयाणवी

बहाण मेरा रूस गया भरतार, जगतसिंह होग्या बेदर्दी
उन्ने के गरज मनावण की, उन्ने के गरज मनावण की हे।

मेरै ला ला झूठे दोष, जळे नै देइ आत्मा मोस
मेरे लिए सारे ओहदे खोस, ज़िन्दगी कैद में करदी
घड़ी इब बिफत उठावण की,घड़ी इब बिफत उठावण की हे।

वा फतेकँवर पटराणी, स्याहमी बोले मीठी बाणी
मन्ने कोन्या जात पिछाणी, दाग मेरे चरित्र पे धरगी
दशा इब आँसू बाहवण की, दशा इब आँसू बाहवण की हे।

प्यार मेरा शक ते हार गया, प्यार मन्ने जी ते मार गया
जगत सिंह कांटे डार गया, डगर में शूल फणी धरदी
समो गई फूल बिछावण की, समो गई फूल बिछावण की हे।

करूँ आनन्द शाहपुर विनती, होज्या म्हारी भी किते गिणती
रागणी  छन्द पे छन्द बणती, कथना लिख लख के धरदी
बाट सै गाण बजावण की, बाट सै गाण बजावण की हे।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिय

©Anand Kumar Ashodhiya किस्सा रसकपूर हरयाणवी रागनी 18

#रसकपूर #हरयाणवी_रागनी #हरयाणवी

Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा - भक्त पूर्णमल रागनी - 10
तर्ज - फूल तुम्हे भेजा है खत में

ओम नाम का जाप करे जा, शुध्द हो ज्यागी काया।
अंग प्रत्यंग हो स्वस्थ लाभ और दिन प्रतिदिन माया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

दो बे दिन में शाम सवेरी, मल मल के अस्नान करो।
सच्चे मन से अर्पित हो के, उस ईश्वर का ध्यान करो।
पहचान करो उस लीलाधर की, जिसने यो जगत रचाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

धूर्त लोभी लम्पट कपटी, काम क्रोधित नारी।
सबते बड्डी एक बीमारी, ठग्गी, चोरी, जारी।
नारी तै हो देव रूप भाई, फेर क्यूँ फिरे भकाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

मुँह में राम बगल में चाकू, नहीं निशानी सज्जनों की।
कड़वी बाणी, जुबाँ पे गाळी, फेर के जरूरत भजनों की।
गुरूजनों की जो कद्र ना करता, उने फेर के गाणा गाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

प्यार बड़ा बलवान जगत में, प्यार ही सबका है आधार।
प्यार का भूखा आनन्द डोले, हर नगरी, हर घर और द्वार।।
प्यार जिवा दे उस पाथर ने, जो हाल्ले, हिले ना हिलाया।।
ओम नाम का जाप करे जा......

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

#meltingdown

Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा - भगत पूर्णमल रागनी - 9
तर्ज - कजरा मोहब्बत वाला

सुंदरा : गोरा सै तेरा बाणा, दिखे सै बाबा स्याणा।
           मरज्याणे इसी घलगी मेरै घाल, हाय रे मै होग्यी बेहाल।
           
पूरण : मैं तो एक बाबा रै ठैहरया, तन्ने के कोन्या बेरा।
          मेरे संग कोन्या लागे ताल, क्यूँ कर रही सै अपणा जिया काल।।

सुंदरा : डेरे पै तेरे आऊँ, तेरे गुरु ने मनाऊँ
           बदले में दयूंगी धन और माल, सेवा करूँगी सालों साल।

पूरण : हम तो सै सच्चे रै साधु, तने देखे होंगे और स्वादु
          म्हारा तै सबतै यो सवाल, मुट्ठी भर भिक्षा जा नै डाल।।

पूरण : सांसारिक मोह और माया, औरत को रोग बताया
          गुरु गोरख की शिक्षा का कमाल, क्यूँ फेंके सै अपणा माया जाल।

सुंदरा : औरत से पैद कहाते, औरत को तुच्छ बतलाते
           मर्दों की कैसी ओळी चाल, ओढ़ें से झूठी थोथी खाल।।

सुंदरा : सुणले मैं तन्ने बरूँगी, ना तै बेमौत मरूँगी
          गिरूँगी कुँए, झेरै ताल, उठें सै सौ सौ मण की झाल।।

पूरण : आनन्द सच्चाई कहता, बाल ब्रह्मचारी रहता
          मेरा निकालो दिल से ख्याल, भोळा करेगा सब सँभाल।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

#meltingdown

Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा रसकपूर - रागनी 1
तर्ज : देशी

कुवदसिंह लग्या साज बजाणे, सरस्वती नै लग्या मनाणे
मस्ती में लग्या नाड़ हिलाणे, दे कै उँची तान
होsss, दे कै उँची तान

महफिल में रंग ऐसा छाया
पात्ता तक ना हिलै हिलाया
रसकपूर नै सूर जो ठाया, फेर छेड़ दिया इसा गान
होSSS, छेड़ दिया इसा गान

छम-छम छम-छम पायल बोल्लै
जैसे बण में कोयल बोल्लै
फिरकी की ज्यूँ धरा पै डोल्लै, किसी लय-सूर की पहचान
होSSS, लय सूर की पहचान

मन्दा उँचा मध्यम बजाया
कुवदसिंह ने जोर लगाया
फेर एकदम सप्तम पै आया, ना दिखे बचती आन
होSSS, ना दिखे बचती आन

आनन्द कुमार न्यूँ सोच मे पड़ग्या
इन नौसिखियाँ तै पाळा पड़ग्या
ईज्जतमन्द नै गाणा पड़ग्या, बख्श मन्ने भगवान
होsss, बख्श मन्ने भगवान
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

#meltingdown

Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा रसकपूर - रागनी 2
तर्ज : मैंने तुझको चाहा ये है मेरी मेहरबानी

होSS जगतसिंह राजा की राणी, मैं सूँ रसकपूर।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर ।।

मेरे पति गए, लड़ने लड़ाई।
पाछे तै आकै तनै, करदी चढ़ाई।
मानज्या नै भाई ना कर सेना का गरूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर ।।

मैं एक अबला, नार अकेली।
करकै चढ़ाई, तनै आग में धकेली।
संग में कोन्या मन का मेली, मेरी अँखियों का नूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

हुमायूँ बण्या था भाई, कर्मवती का।
फर्ज निभादे तू भी, मर्द जती का।
रसकपूर सती का धागा करले नै मंजूर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

प्रेम की राखी, ल्याई मैं बुणकै।
गुरुजनों की शिक्षा नै गुणकै।
आनन्द कुमार का गाणा सुणकै, चढग्या नया सरुर।।
मेरी मंजिल महफिल कोन्या, मनै जाणा सै धणी दूर।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

#meltingdown

Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा रसकपूर - रागनी 5

सुण कुन्दन प्यारी, तू कर तय्यारी, आज मिलण की रात।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मनै बान बिठादे, मेरै तेल चढ़ादे।
दो गीत गवादे, फेर मनै न्हवादे।
दो गीत गवादे, फेर मनै न्हवादे, चमकादे मेरा गाssत।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मनै सूंट परहादे, मनै बूंट परहादे।
मनै चून्नर उढ़ादे, घूघट करवादे।
मनै चून्नर उढ़ादे, घूघट करवादे, मिलै हाथ में हाथ।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

मेरा पलँग सजादे, गद्दे बिछवादे।
तकिए लगवादे, इत्र गिरवादे।
तकिए लगवादे, इत्र गिरवादे, महकण दे सारी रात।
बालम तै फेलूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

शाहपुरिया आनन्द, धरै छन्द पै छन्द।
कटें बिफता के फन्द, आज्या आनन्द।।
कटें बिफता के फन्द, आज्या आनन्द, तू मानले मेरी बात।
बालम तै फेदूंगीsssss, मेरी पहली से मुलाकात।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

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Anand Kumar Ashodhiya

किस्सा रसकपूर - रागनी 4
तर्ज : देशी

सूर्यवंश के कछवाहा गोत्र में, रजपूतों का उत्थान हुआ |
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ ।।
करकै ख्याल देशकाल का, उनै जयपुर शहर बसाया ।
अपणे सुख ते भी बढ़कै उनै, प्रजा का सुख चाहया ।
राजा का न्या हुया करै था पर, ना कोई गरीब सताया।
वो आँख मूंद के चला गया, ना फेर कदे लौट के आया।
राम- राम कर चला गया वो, जिसका वंशज राम हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ ।।

जयसिंह के बेट्याँ का मन, आपस के म्हाँ पाट गया ।
गद्दी का लालच भाईयाँ नै, आपस के म्हाँ बाँट गया।
माधोसिंह, ईश्वरसिंह ने, राजा मानण ते नाट गया।
करकै साँठ मराँठा तै वो, भाई के पत्ते काट गया।
जिन्दगी के दिन पुरे होगे, फिर उसका भी काम तमाम हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ ।।

पाँच साल का पृथ्वीसिंह था, छोटी राणी का जाया।
प्रतापसिंह था तीन साल का, उस महाराणी का जाया।
उम्र में बड़ा होण के कारण, पृथ्वीसिंह गद्दी पे छाया ।
बाल उम्र में महाराणी ने विष दे के नै मरवाया।
तख्त ऐ ताउस दिल्ली पै तब शाहआलम एक खान हुआ।
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ ।।

राजा बणकै प्रतापसिंह कै, दारु का चढ़ा नया सरूर ।
आकै मौत निगलगी उसनै, मौत का पंजा बड़ा क्रूर ।
आवागमन लग्या दुनिया में, यो कुदरत का है दस्तूर ।
जगतसिंह ईकलौता बेटा, जयपुर का बण्या नया हजूर ।
आनन्द कुमार कहै उम्र बीतगी, ना ईश्वर का ज्ञान हुआ |
एक शहर बसाया था जयसिंह ने जिसका जयपुर नाम हुआ ।।

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21 #हरयाणवी_रागनी 

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