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दीपक झा रुद्रा
तभी उल्फत भरी नज़रें मुझे भी रास आए थे। जो पहला हादसा था आपने मुझको बुलाए थे। मैं आंसू हूं बिछड़कर भी हमेशा इश्क़ फ़रमाता। बुझाता मैं रहा खत आपने जब जब जलाए थे। मुझे कोई शिक़ायत क्या आपसे भी कभी होगी। मुझे जब सब खबर है आप क्यों कल देर आए थे। तुम्हें क्या याद है कुछ भी कोई ख्वाहिश कोई अरमां। जिसे मैंने समेटा है उसे तुम छोड़ आए थे। बगावत से भरी पत्थर लगी है आज जो दिलपर। किसी पत्थर को हमने ही कभी ईश्वर बताए थे। सजाऊंगा तुम्हें ऐसे कि जैसे हूर जन्नत की। मगर इजहार मत करना लहू से हम सजाए थे। जो देखे आज तुमको हैं वही कायल वही घायल। पता क्या एक जुगनू को चांद कैसे बनाए थे। ©®Deepak Jha Rudra #हिंदी_गजल #टूटा_हुआ_दिल #इश्क़् #steps
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नहीं देखा कहीं तुझसा यहां पर हर जगह देखा। जमीं पर चांद आया हो तुझे बस इस तरह देखा। मेरे अरदास ओ पूजा की प्रतिफल तुम मिली मुझको। नज़र के पार नजरों में तुझे तो हर जगह देखा। तुम्हें तो मैं कहूं ईश्वर कि तुम उसके ही भांति हो। गिरा जब भी मेरा काया बचाते हर जगह देखा। कहा मैंने यहां पर जो उसे तुम ख़्वाब ही समझो। हुआ पागल न जाने क्या किया जबसे विरह देखा। अगर तुम साथ होते तो जहां को मैं झुका देता। झुका तेरे जिक्र पर महफिल यहां मैं इस जगह देखा। तुम्हें आलिंद में लाकर बना तुलसी सजाया है। ख़बर सुन लो तुम्हें देवी सरीखे हर सुबह देखा । जो पूछा हाल उसने जंग में क्या क्या हुआ दीपक। कहा सब ठीक है तुझसे हुआ जो था कलह देखा। ©®दीपक झा "रूद्रा" #हिंदी_गजल #नज़्म #हिंदीशायरी #हिंदी_कविता #CalmingNature
दीपक झा रुद्रा
नहीं मैं कोई दीवाना नहीं कोई फसाना है। यहां आया कि मुझको भी यहां से दूर जाना है। वो जो कल आखिरी खत में तेरा मैं नाम लिखकर के। यहां आया ख़बर था कि यहीं तेरा ठिकाना है। सितम अब मत करो मुझ पर मिरा यह सांस अंतिम है। निहारा एक टक तुमको कि तुमसे दूर जाना है। यहां के लोग को फिर से हकीकत को कहानी कर। बिठाकर नौजवानों को कहानी फिर सुनाना है। तेरे हाथों में खंजर क्यों दिखाई दे रहा मुझको। तेरे खातिर ही दुश्मन जब मेरा सारा जमाना है। उठाकर लोग ने पत्थर उछाला यार दीपक पर। खता हमने किया है जो सजा भी हमको पाना है। _दीपक झा रुद्रा #हिंदीशायरी #हिंदी_गजल #Dullness
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गजल ( उधर से दूसरा आए इधर इनकार होता है।) 1222 1222 1222 1222 इश्क के नाम पर दिल से यहां खिलवाड़ होता है। बता कुछ यार मुझको क्या सही में प्यार होता है। करारी है यहां लेकिन मोहब्बत में उधारी दिल। दिया जिसको उसी में अब कहां संसार होता है। मिटा देगी तुम्हें उल्फत कहा था याद भी है कुछ। नजर है जो लगा खंजर वो दिल के पार होता है। तेरा दिल पास है तो सुन सदा रख पास ही अपने। यहां दिल को बदलने का बड़ा व्यापार होता है। मेरी वो जान है समझो मोहब्बत है रूहानी बस। उधर से दूसरा आए इधर इनकार होता है। कहा दीपक गजल लेकिन नहीं है शब्द से मादक। लिखा जब भी हकीकत तो सदा हुंकार होता है। ©®दीपक झा "रुद्रा" #हिंदी_गजल #हिंदीशायरी #कविताएं #दर्द_भरा_दिल khushbu sharma
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