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पूर्वार्थ
इन कल्पनाओंके सहारे अपने अभागें जिवन में कितनी रिक्तियों को भर सकता हूं तुम्हारे बिना माँ .... तुम्हारें अनुपस्थितीयों के जिवन सार में कितने दिन , कितने क्षण मैंने बितायें है हर वक्त तुम्हारे विलाप में .. तुम्हारें न होने का यह क्षण मेरी स्मृतियों में विलक्षणोका अभिश्राप हैं .. में दे सकता हूँ बस इतना ही तुम्हें माँ .. मेरी कल्पनाओंसे बनी कुछ कवितायें इन में भी कुछ रिक्तियाँ है जो में भर नही सकता क्योंकी यह तुम्हारे अनुपस्थितियों का ही आक्रोष है .. इस वक्त तुम्हारें न होने में भी तुम्हारा होना है ... तुम्हारें अनुपस्थितियों की रिक्तियों में तुमको ही पुकारना - यह दृढ विश्वास है ... ! ©purvarth #॥ अनुपस्थितीयों की रिक्तियाँ ॥
#॥ अनुपस्थितीयों की रिक्तियाँ ॥
read moreP.k. Sharma
मीराबाई सा अंदाज़...⊙ तेरे इश्क़ की मुझे... आदत सी हो गयी है... तुझे चाहना मेरी... #चाहत_सी_हो_गयी_है ॥ तेरी बाँहों में गुज़र जाए... ये रात और दिन... तुझ संग ज़िन्दगी... #इबादत_सी_हो_गयी_है ॥ मीराबाई सा अंदाज़...⊙ तेरे इश्क़ की मुझे... आदत सी हो गयी है... तुझे चाहना मेरी... #चाहत_सी_हो_गयी_है ॥ तेरी बाँहों में गुज़र जाए... ये रात और दिन... तुझ संग ज़िन्दगी... #इबादत_सी_हो_गयी_है ॥
मीराबाई सा अंदाज़...⊙ तेरे इश्क़ की मुझे... आदत सी हो गयी है... तुझे चाहना मेरी... #चाहत_सी_हो_गयी_है ॥ तेरी बाँहों में गुज़र जाए... ये रात और दिन... तुझ संग ज़िन्दगी... #इबादत_सी_हो_गयी_है ॥
read moreArvind kejriwal
गम का अंधेरा हें जल्दी ढल जायेगा ! मन मे भरोसा हें मेरी मैया आयेगी ॥ सिंग चढ़ आयेगी मेरी लाज बचायेगी ! मैया मेरी सुने ना ये हो नहीं सकता हें ॥ बस भगतों क़े ये भाव परखती हें ! ये सारे संकट हर लेती हें ॥ जो भाव अटल हें तॊ ये रुक नहीं सकती ! ये दौड़ी दौड़ी आती हें प्यार से गले लगाती हें ॥
ठाकुर नीलमणि
मैं हिन्दू नहीं ना ही मुसलमान हूँ, मैं बूढ़ा नहीं ना ही जवान हूँ, मैं इंजीनियर नही ना कोई किसान हूँ, मैं गीता नहीं ना ही कुरान हूँ। मैं तो बस इंसान हु ॥ और मैं तो बस इंसान हु॥ क्यों बाँट दिया तुमने हमें मजहब के नाम पर, क्यों बाँट दिया तुमने हमें जात-पात के नाम पर, क्यों बाँट दिया तुमने हमें राम और रहीम के नाम पर, अरे क्यों बाँट दिया तुमने हमे आमिर- गरीब के नाम पर॥ इंसानियत मेरा मजहब था ,इंसानियत ही धर्म , इंसानियत के साथ ही करता था सारे कर्म, फिर क्यों इंसान भी इंसान से बांटा गया , इंसानियत के दामन को है तार-तार छांटा गया॥ हिन्दू ने भी बांटा मुझे मुसलमाँ ने भी बांटा, मंदिर ने भी बांटा मुझे मस्जिद ने भी बांटा , रंग में बांटा मुझे हर रूप में बांटा , पर किसी ने आज तक है मेरा दर्द ना बांटा ॥ बांटा तो सब बांटो की कुछ भी साथ न रहने दो, इंसानियत का कोई भी सौगात ना रहने दो धरती तो बाँट ली क्यों आकाश न बांटा , हथियार बाँट ली क्यों खून न बांटा, है धर्म बाँट ली पर विश्वास न बांटा, शमशान बाँट ली पर मौत न बांटा, है फूल बाँट ली क्यों सुगंध न बांटा, पोशाक बाँट ली क्यों देह न बांटा, भाषा तो बाँट ली पर आवाज न बांटा , है गीत बाँट ली पर सुर तो न बांटा , अक्षर तो बाँट दी पर स्याही कहाँ बांटा। खुदां को भी बाँट दी पर खुद को नहीं बांटा ॥ बांटा है क्यों बस मुझको दोस्त, क्यों इनको नहीं बांटा, क्या मैं ही था तेरे रास्ते का चुभता हुआ काँटा, है ईद बाँट ली करवाचौथ भी बांटा , पर दोनों ने मिलकर ॰ कभी क्यों चाँद ना बांटा ॥ आओ मेरे दोस्त फिर से हम इंसान बनते है , दुश्मनी को भूलकर एक साथ रहते हैं , इंसानियत का नन्हा सा हम पौधा लगाएंगे, हम भी खाएंगे फल हमारे बच्चे भी खाएंगे ॥ #इंसानियत
P.k. Sharma
कुछ उनके लिये...⊙ दिल यहाँ छोड़... कर चले जाते... तन्हा तुम अपने... #घर_चले_जाते ॥ आस तो रहती... फिर से मिलने की... अलविदा बोलकर... #चले_जाते ॥
कुछ उनके लिये...⊙ दिल यहाँ छोड़... कर चले जाते... तन्हा तुम अपने... #घर_चले_जाते ॥ आस तो रहती... फिर से मिलने की... अलविदा बोलकर... #चले_जाते ॥
read morepandeysatyam999
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
read moreDr. Reetesh Rajsthani
तेरा इंतज़ार मुझे तुझ सा देखने को इंतजार अभी और करना था, मेरे किये हुये वादोंं पर एतबार अभी और करना था, यूँ ही खत्म नहीं होती किसी रिश्ते की दास्तां, तुम्हे इस हमसफर के साथ सफर अभी और करना था ॥ किस्मत का लिखा कहकर हम भी यह मान ही लेते, तुम्हे अपनी लकीरों पर विश्वास अभी और करना था, कि कहते है इस दुनिया में सब कुछ मुमकिन है, ये दो दिल भी मिल जाते तुम्हे इंतजार अभी और करना था ॥ #intezar #nojoto #love #poem #latest #popular Ram Murti Vaishnav maroof ahmad Sachin Kumar Joye Khan Gopal Derasari
cute sankey 👼
*नवरात्रिच्या* तुम्हाला व तुमच्या *कुटुंबियांना हार्दिक शुभेच्छा*. ॥ *जय भवानी* ॥ 🙏
🙏
read morePrakash Singh
ज़िन्दगी का सफर ये पोएम आप सभी दोस्तों को समर्पित...॥ ये जिंदगी.. हताश ना होना.. नाराज ना होना.. कैसी भी हालात हो.. अपनी पहचान ना खोना..। आसान नहीं होता सफर जिंदगी का..। मुश्किलों से पार लगाना होता है । लड़ना पड़ता है खुद को हालातों से...। दर दर पे कांटे बीछे पड़े है.। सम्भल कर चलना पड़ता है..॥ कोई नहीं तेरा यहां...। ये जिंदगी...। ये हुजूम ये भीड़ सब बेरंग है..। बस तेरी मंजिल ही तेरे संग है..। मंजिल यू ही मुक़म्मल नहीं होती..। कठनाईयों से जूझना पड़ता है..। अपनों की जलनशीलता की तपिश से..। सम्भल कर चलना होता है। मंजिल पे चलते चलते...। थक जाये अगर तू...। गिर जाये अगर तू..। फिर से उठ खड़े होना..। अपने लक्ष्य को निरंतर आगे बढ़ते जाना..। ये जिंदगी...। अपने हौसलों को उड़ान देना..। अपने मंजिल को एक अलग पहचान देना..। हुजूम का इक्का तू मत बनना..। हुजूम को तू अपना इक्का बना.....। ये जिन्दगी....। बुलंद हौसलों से आगे बढ़...। अपने मंजिल की और.कदम बढ़ा..। विफलता के तमाम बेड़ियों को तोड़..। सफलता की एक नयी कहानियां लिख ।। प्रकाश सिंह भूमिहार...। #Life प्रकाश सिंह
#Life प्रकाश सिंह
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