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kumaarkikalamse
बिखर जातें हैं ज़िन्दगी के पन्ने अक्सर पर ज़िन्दगी की परेशानियाँ कभी बेहिसाब नहीं होती। पा लेता है हर इंसान कोई ना कोई जहां यहां मंजिलें कभी रास्तों के खिलाफ नहीं होती। मुफलिसी मुख़्तसर कभी लंबी हो बेशक़ क्या डरना इस से किस्मत की लिखी लकीरें कभी छोटी नहीं होती। कोई ख़्वाब में कहानी लिखता है कोई जवाब में कहानी लिखता है पर कुछ कहानियाँ होती है ऐसी भी जिनके नसीब किताब नहीं होती। मुफलिसी - poverty /गरीबी मुख़्तसर - tiny /small /छोटा #YQBaba #Kumaarsthought #YQDidi #हिंदी #hindi #poem #ज़िन्दगी #मुफलिसी #बेहिसाब #किताब #खिलाफ़ Dedicated to Anuup Kamal Agrawal bhaiya P. S This is in reply to a post.. Posted by Anuup Kamal Agrawal bhaiya
Vishesh Pandey
बेइंतहा इश्क़ करने लगे हैं उनसे इक पल मिलना हमसे जिसे गवारा नहीं मै तुझसे , थोड़ा - सा नहीं ... बेइंतिहा प्यार करती हूं ... तेरी इज्ज़त के खातिर ... मै , अपने शब्दों को नीलाम ... करती हूं! महफ़िल में होती है , जब तेरे ख़िलाफ़ बातें तब मै , तेरी तारीफ़ ... सरेआम करती हूं!
मै तुझसे , थोड़ा - सा नहीं ... बेइंतिहा प्यार करती हूं ... तेरी इज्ज़त के खातिर ... मै , अपने शब्दों को नीलाम ... करती हूं! महफ़िल में होती है , जब तेरे ख़िलाफ़ बातें तब मै , तेरी तारीफ़ ... सरेआम करती हूं!
read moreGumnam Shayar Mahboob
ज़रा सा उनको समझा क्या दिया मेरे खिलाफ सब खड़े हो गए हैं जिन्हें उंगली पकड़कर चलना सिखाया लगता है अब वो बच्चे बड़े हो गए हैं #समझा #खिलाफ़ #खड़े #उंगली #चलना #बच्चे #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
Ankur Mishra
एक रोज जाएगी ये जान भी मेरी जाने क्यों वो ये समझता नहीं हर शख़्स खिलाफ़ है यहाँ मोहब्बत के और वो है की मेरा नाम ले ले के थकता नहीं #शायरांश ©Ankur Mishra #खिलाफ़ #lonely
Prince Kumar
#Happy__independence_Day🇮🇳🇮🇳 हर उस #छाती में #तिरंगा🇮🇳 गाड देंगे जिसमे साँसे #तिरंगे 🇮🇳के #खिलाफ़ हो
नीरा नंदन
Ejaz Ahmad
कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद? ईजाज़ अहमद "पागल" मेरी नयी रचना, कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
मेरी नयी रचना, कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
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