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Best खिलाने Shayari, Status, Quotes, Stories

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©Kalpana'खूबसूरत ख़याल'

नोंक-झोंक "हद है यार ये तुम छोटी छोटी बातों पर मुँह क्यों फुला लेती हो?" रितेश चिढ़कर बोला। अब बोलोगी भी या मैं जाऊं ऑफिस। "ऑफिस जाओ या भाड़ में जाओ" रितिका ने गुस्से से कहा। "यार एक तो कल से मुँह फुलाये हो और दूसरे सुबह सुबह गालियाँ दे रही हो, बताती भी नही अजीब लड़की हो।" रितेश फाइलें पटकते हुए बोला। "ओ हो हो शादी से पहले मैं तो तुम्हें अप्सरा लगती थी अब तुम्हें मैं अजीब लगती हूँ?" रितिका और ज्यादा चिढ़ते हुए बोली।

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नोक- झोंक
(अनुशीर्षक में पढ़ें) नोंक-झोंक

"हद है यार ये तुम छोटी छोटी बातों पर मुँह क्यों फुला लेती हो?" रितेश चिढ़कर बोला।
अब बोलोगी भी या मैं जाऊं ऑफिस।
"ऑफिस जाओ या भाड़ में जाओ" रितिका ने गुस्से से कहा।
"यार एक तो कल से मुँह फुलाये हो और दूसरे सुबह सुबह गालियाँ दे रही हो, बताती भी नही अजीब लड़की हो।" रितेश फाइलें पटकते हुए बोला। 

"ओ हो हो शादी से पहले मैं तो तुम्हें अप्सरा लगती थी अब तुम्हें मैं अजीब लगती हूँ?" रितिका और ज्यादा चिढ़ते हुए बोली।

Gudvin Barche

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जिंदगी का सबक

 सब कुछ सिखाना खिलाने के लिए 
बस एक बार छोड़ देना ''ठोकर" खाने के लिए
 उसकी जिंदगी भी बदल जाएगी 
आपके ठोकर खिलाने से
 उसकी जिंदगी भी संवर जाएगी
Gudvin.barche@g

Rajesh Raana

खिलौना इस #जीवित #खिलाने में भी #ईस्वर एक चाबी रख देता , जब भी #जी नही लगता मेरा तो #खुद को #बंद कर देता। #Hindi #hindinojoto #nojotohindi

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इस जीवित खिलाने में भी ईस्वर एक चाबी रख देता ,
जब भी जी नही लगता मेरा तो खुद को बंद कर देता।

- राणा © खिलौना
इस #जीवित #खिलाने में भी #ईस्वर एक चाबी रख देता ,
जब भी #जी नही लगता मेरा तो #खुद को #बंद कर देता।

#Nojoto #Hindi #Hindinojoto #Nojotohindi

Soniya Kumari

मेरे #बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं. बिस्तरों पर अब #सलवटें नहीं पड़ती ना ही #इधर #उधर छितराए हुए कपड़े हैं रिमोट के लिए भी अब झगड़ा नहीं होता ना ही #खाने की नई नई फरमाइशें हैं मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम #अकेले हो गए हैं.

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मेरे #बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं.
बिस्तरों पर अब #सलवटें नहीं पड़ती

ना ही #इधर #उधर छितराए हुए कपड़े हैं
रिमोट के लिए भी अब झगड़ा नहीं होता
ना ही #खाने की नई नई फरमाइशें हैं
मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम #अकेले हो गए हैं.

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 32 - क्या किया जाय? सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है। सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

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।।श्री हरिः।।
32 - क्या किया जाय?

सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के
साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है।

सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 70 - भूख 'दादा। मुझे भूख लगी है।' कन्हाई की भूख इसके उदर में नहीं रहती, पदार्थ में रहती है। जब कोई पदार्थ और उसे प्रस्तुत करने वाला श्याम को भोजन कराना चाहता है मोहन भूखा हो उठता है। 'मेरे छीके में अभी तेरे लिए भोजन बचा है।' दाऊ अपने छोटे भाई के लिए प्राय: अपने छीके में कुछ न कूछ बचा रखता है। सखाओं के साथ भोजन करते समय श्याम स्वयं तो कूछ खाता ही नहीं। यह तो दूसरों को खिलाने में ही रह जाता है। अब वन-भौजन के घण्टेभर पीछे ही इसे भूख लग गयी तो आश्चर्य की क्या बात है। 'मैं बासी नही

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|| श्री हरि: ||
70 - भूख

'दादा। मुझे भूख लगी है।' कन्हाई की भूख इसके उदर में नहीं रहती, पदार्थ में रहती है। जब कोई पदार्थ और उसे प्रस्तुत करने वाला श्याम को भोजन कराना चाहता है मोहन भूखा हो उठता है।

'मेरे छीके में अभी तेरे लिए भोजन बचा है।' दाऊ अपने छोटे भाई के लिए प्राय: अपने छीके में कुछ न कूछ बचा रखता है। सखाओं के साथ भोजन करते समय श्याम स्वयं तो कूछ खाता ही नहीं। यह तो दूसरों को खिलाने में ही रह जाता है। अब वन-भौजन के घण्टेभर पीछे ही इसे भूख लग गयी तो आश्चर्य की क्या बात है।

'मैं बासी नही


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