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Ghumnam Gautam
मेरे आतुर कलेजे से लिपट जाती है जब बेटू यक़ीं होता है तब मुझको जहाँ ये ख़ूबसूरत है ©Ghumnam Gautam #Daughter #आतुर #कलेजा #ghumnamgautam
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read moreGovind Singh
पार हर कठिन मार्ग करने को आतुर है मन मेरा तुम साथ हो बस इसीलिए व्याकुल है मन मेरा ©Govind Singh #WoSadak #व्याकुल #आतुर
Rabindra Kumar Ram
" पुछ ना मेरी आवारगी का सबब , इस सबब में तेरा नाम मंसूब भी आयेगा , उलझनें इश्क की आतुर होती रहेगी ऐसे में , कमबख्त तु यूं ही नागवार बनी रहेगी . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " पुछ ना मेरी आवारगी का सबब , इस सबब में तेरा नाम मंसूब भी आयेगा , उलझनें इश्क की आतुर होती रहेगी ऐसे में , कमबख्त तु यूं ही नागवार बनी रहेगी . " --- रबिन्द्र राम #आवारगी #सबब #मंसूब #इश्क #आतुर #नागवार
Amit Verma (Ambar)
मातृभूमि के स्वर्ण ताज को गड़ने को आतुर है ,वह पर्वत के तुंग शिखर पर चढ़ने को आतुर है, वह वीर सिपाही हिम् की चट्टानों पर चलने को आतुर है वह वीर सिपाही तपते रेगिस्तानों में जलने को आतुर है वह वीर सिपाही राष्ट्रध्वज को नीलगगन में लहराने को आतुर है वह वीर सिपाही सीमा की रक्षा हेतु मर जाने को आतुर है।
Mangal Pratap Chauhan
बेदाग चांद........अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप चौहान आज पूर्णिमा की रात में मुझे दो चांद दिख रहे हैं, एक दाग वाला और दूसरा बेदाग वाला। दाग वाला तो दूर लेकिन बेदाग वाला मेरे पास है, उससे मिलने को मेरे दिल में अभी भी थोड़ी आस है। यदि मिल गया तो मेरे दिल का दर्पण मिल जाएगा,, नहीं मिला तो यह जिस्म भी कण-कण में मिल जाएगा। मैं आतुर हूं उससे मिलने को,वह आतुर है मुझसे मिलने को, मिलन की इस बेला को भी तर्पण मिल जाएगा। मेरे चांद से आसमानी चांद भी शरमा रहा है, इतनी खूबसूरत क्यों बना दी,खुदा पर भी गरमा रहा है, बेदाग चांद....... मंगल प्रताप चौहान
बेदाग चांद....... मंगल प्रताप चौहान
read moreShiv Kumar Nigam
@आज हम घूमेंगे घर में आज हम घूमेंगे घर में , बैठेंगे बारी बारी, हर कमरे में, यादों को दोहरायेंगे,
read moreRajesh Raana
सड़क तुम मेरे पथगामी , मै तुम्हारी मंजिल की साक्षी, तुमने मुझे कुचला , अपने पैरों तले , मैंने कभी आह तक न की । तुम चले मुझ पर , निरतंर , आतुर हो , चूमने अपनी मंजिल , मैंने कभी प्रशंसा की चाह तक न की । वजह मैं बनी , तुम्हारी मंजिल को पाने की , पर तुमने कभी मेरी वाह तक न की । स्वहित अपना साधने , निरन्तर चले तुम मुझ पर , मैं सड़क , तुम अनुगामी । - राणा सड़क सड़क #तुम मेरे #पथगामी , मै तुम्हारी #मंजिल की #साक्षी, तुमने मुझे #कुचला , अपने पैरों तले , मैंने कभी #आह तक न की ।
Devansh Parashar
जो गुजर गया सो गुजर गया । गुजरे पल पर क्या आतुर रहना ।। नव निर्माण, सर्जन जीवन का बीते कल पर क्या व्याकुल रहना ।। माना ह्दय पीड़ा से हर पल युद्ध करता है । पंरतु जो घाव सजक हुआ उस पर क्या भावुक होना ।। जो गुजर गया सो गुजर गया । गुजरे पल पर क्या आतुर रहना ।। सांसो की अपनी रुचिका निरन्तर प्रवाह बंधन है। नव प्रात की बेला है नव रात्री का प्रबंधन है ।। जो गुजर गया सो गुजर गया । गुजरे पल पर क्या आतुर रहना ।। #devanshparashar#nojoto#google#youruntoldeords
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