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Ramkishor Azad
कुछ पल - पल भर में ही गुजर गए तो कुछ पल भर में ही निकल गए, वो पल गुजरे नहीं इस पल में कि अब हर एक पल गुजरे उनके संग में! तुम मुझे कुछ पल दो - दो पल भर जीने के लिए मेरे सनम कसम से,, मैं अपना सारा जीवन गुजार दूंगा तेरे संग मुझे एक ऐसा हमसफर चाहिए!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #कुछ_पल_तेरे_संग #गुजर_जाने_पर #पलभर #उनके_बिन_गुजरने_वाले_पल #शायरी #हमसफर💑 #जीवन #प्यार #Trading #viral –Varsha Shukla Anupriya Rama Goswami Neelam Modanwal Miss poojanshi
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read moreRaj
Raj
बहुत छिप कर बैठा था, पता नही किसना बताया था, मैं तो घर से भी चुपचाप आया था, इस एकांत सी जगह पर थोडा सुकून ढूंढने, कहीं तुमने तो नही... ©Raj rajpoot #सुकून_की_तलाश #तलाशजारीहै #सुकून_के_पल #सुकून_का_एहसास #कुछ_पल_दिल_के_पास #कुछ_पल_तेरे_संग
सौरभ अनिकेत शर्मा
जानती हो जिन्दगी..!! ये उन दिनों की बात है जब तुम और मैं एक दूसरे के करीब नहीं थे तब मैं अक्सर तुम्हे पढ़ा करता था। हां तब तुम्हे पढ़ते वक़्त ऐसा लगता था जैसे मैं तुम्हारे करीब आ रहा हूं। ठहरा हुआ सा मै था अपनी जिंदगी में किसी मजबूत साथ की तलाश में .. तुम्हे पढ़कर अक्सर ना जाने कितनी ही बार तुम्हारे साथ खुद को महूसस किया था उन मोहमदी के सड़को में .. तुम्हारे पीछे से तुम्हारे बगल तक का सफर बड़ा ही उतार-चढ़ाव भरा था.. कभी प्रेम की बातों में डूबी हुई वो रात जिसमें हम समय की परवाह किए बिना घंटों बतिया लिया करते थे, हां उन दिनों जब हम दोनों बात किया करते थे वो प्यार का ही तो एहसास था जो हम दोनों को करीब लेकर आया था ( मुझे आज भी नहीं पता तुम्हारे मेरे लिए वो एहसास झूठ थे या सच ? ) मेरे लिए प्रेम बस ठहराव है , और विस्तार भी.... मैं तुम्हारे साथ प्रेम के क्षणों में ठहर जाना चाहता था, यह जानते हुए भी कि निरंतर बहता पानी ठहर जाने पर बास मारने लगता है.. फिर भी बस मैं जीना चाहता था जिंदगी के कुछ लम्हों को तुम्हारे साथ के साथ... आज भी प्रेम का जिक्र आता है तो मेरे मन में तुम और तुम्हारी तस्वीर की लुभा देने वाली मुस्कान छा जाती है.. और कानों में तुम्हारे शब्दों की खनखनाहट मुझे तुमसे मिलने को अधीर बना देती है ...! तुम वो 'याद' और 'एहसास' हो जो मेरे लिए शायद कभी कोई औ र नहीं बन सकती. . हमारे बीच कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ हो गया था जैसे.. अभावों के बीच कटते हुए मेरे इस जीवन में तुम संभावना की तरह आई थी..। मेरे इस छोटी सी जिंदगी के बड़े हिस्से में तुमको महसूस करने लगा था मैं, मेरे साथ चलते हुए पर अपने रास्ते..! आखिर कहीं तो हमारे रास्ते एक होते.. शायद इसी एक होने की आश लगाए मस्ती में झुमता था मेरा ये मन.. तुम्हारे बगल में, तुम्हारा हाथ पकड़ मैं मुझे मेरे अकेलेपन से बाहर निकलने का जश्न मना रहा था.. जैसे ये 'हाथ' और 'साथ' मुझसे हमेशा के लिए मेरे साथ जूड़ने वाला था ... कल्पना के आरामदेह दुनिया में तुमको तुम्हारी मर्जी के बिना लेकर घूमने की आदत सी हो गया था.. जानती हो जिन्दगी ..!! आज भी जब देर रात नींद नहीं आती तो तुम्हारे साथ, तुम्हारा हाथ पकड़े, किसी नदी के किनारे, पर्वतों के बीच किसी कोने में, तुमसे बात करता हुआ अपने कांधे तुम्हारा सर टिकाए पाता हूँ। मैं, खुद के तलाश में भटकता रहता हूं और ये भटकना मुझे अच्छा लगता है आज भी वैसे ही जैसे तुम्हारे साथ कभी खाली समय में भटकना..!! #ज़िन्दगी #कुछ_पल_तेरे_संग ✍सौरभ अनिकेत शर्मा #HBDShastriJi
सौरभ अनिकेत शर्मा
जानती हो जिन्दगी..!! ये उन दिनों की बात है जब तुम और मैं एक दूसरे के करीब नहीं थे तब मैं अक्सर तुम्हे पढ़ा करता था। हां तब तुम्हे पढ़ते वक़्त ऐसा लगता था जैसे मैं तुम्हारे करीब आ रहा हूं। ठहरा हुआ सा मै था अपनी जिंदगी में किसी मजबूत साथ की तलाश में .. तुम्हे पढ़कर अक्सर ना जाने कितनी ही बार तुम्हारे साथ खुद को महूसस किया था उन मोहमदी के सड़को में .. तुम्हारे पीछे से तुम्हारे बगल तक का सफर बड़ा ही उतार-चढ़ाव भरा था.. कभी प्रेम की बातों में डूबी हुई वो रात जिसमें हम समय की परवाह किए बिना घंटों बतिया लिया करते थे, हां उन दिनों जब हम दोनों बात किया करते थे वो प्यार का ही तो एहसास था जो हम दोनों को करीब लेकर आया था ( मुझे आज भी नहीं पता तुम्हारे मेरे लिए वो एहसास झूठ थे या सच ? ) मेरे लिए प्रेम बस ठहराव है , और विस्तार भी.... मैं तुम्हारे साथ प्रेम के क्षणों में ठहर जाना चाहता था, यह जानते हुए भी कि निरंतर बहता पानी ठहर जाने पर बास मारने लगता है.. फिर भी बस मैं जीना चाहता था जिंदगी के कुछ लम्हों को तुम्हारे साथ के साथ... आज भी प्रेम का जिक्र आता है तो मेरे मन में तुम और तुम्हारी तस्वीर की लुभा देने वाली मुस्कान छा जाती है.. और कानों में तुम्हारे शब्दों की खनखनाहट मुझे तुमसे मिलने को अधीर बना देती है ...! तुम वो 'याद' और 'एहसास' हो जो मेरे लिए शायद कभी कोई औ र नहीं बन सकती. . हमारे बीच कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ हो गया था जैसे.. अभावों के बीच कटते हुए मेरे इस जीवन में तुम संभावना की तरह आई थी..। मेरे इस छोटी सी जिंदगी के बड़े हिस्से में तुमको महसूस करने लगा था मैं, मेरे साथ चलते हुए पर अपने रास्ते..! आखिर कहीं तो हमारे रास्ते एक होते.. शायद इसी एक होने की आश लगाए मस्ती में झुमता था मेरा ये मन.. तुम्हारे बगल में, तुम्हारा हाथ पकड़ मैं मुझे मेरे अकेलेपन से बाहर निकलने का जश्न मना रहा था.. जैसे ये 'हाथ' और 'साथ' मुझसे हमेशा के लिए मेरे साथ जूड़ने वाला था ... कल्पना के आरामदेह दुनिया में तुमको तुम्हारी मर्जी के बिना लेकर घूमने की आदत सी हो गया था.. जानती हो जिन्दगी ..!! आज भी जब देर रात नींद नहीं आती तो तुम्हारे साथ, तुम्हारा हाथ पकड़े, किसी नदी के किनारे, पर्वतों के बीच किसी कोने में, तुमसे बात करता हुआ अपने कांधे तुम्हारा सर टिकाए पाता हूँ। मैं, खुद के तलाश में भटकता रहता हूं और ये भटकना मुझे अच्छा लगता है आज भी वैसे ही जैसे तुम्हारे साथ कभी खाली समय में भटकना..!! #ज़िन्दगी #कुछ_पल_तेरे_संग ✍सौरभ अनिकेत शर्मा #HBDShastriJi
सौरभ अनिकेत शर्मा
जानती हो जिन्दगी..!! ये उन दिनों की बात है जब तुम और मैं एक दूसरे के करीब नहीं थे तब मैं अक्सर तुम्हे पढ़ा करता था। हां तब तुम्हे पढ़ते वक़्त ऐसा लगता था जैसे मैं तुम्हारे करीब आ रहा हूं। ठहरा हुआ सा मै था अपनी जिंदगी में किसी मजबूत साथ की तलाश में .. तुम्हे पढ़कर अक्सर ना जाने कितनी ही बार तुम्हारे साथ खुद को महूसस किया था उन जमशेदपुर के सड़को में .. तुम्हारे पीछे से तुम्हारे बगल तक का सफर बड़ा ही उतार-चढ़ाव भरा था.. कभी प्रेम की बातों में डूबी हुई वो रात जिसमें हम समय की परवाह किए बिना घंटों बतिया लिया करते थे, हां उन दिनों जब हम दोनों बात किया करते थे वो प्यार का ही तो एहसास था जो हम दोनों को करीब लेकर आया था ( मुझे आज भी नहीं पता तुम्हारे मेरे लिए वो एहसास झूठ थे या सच ? ) मेरे लिए प्रेम बस ठहराव है , और विस्तार भी.... मैं तुम्हारे साथ प्रेम के क्षणों में ठहर जाना चाहता था, यह जानते हुए भी कि निरंतर बहता पानी ठहर जाने पर बास मारने लगता है.. फिर भी बस मैं जीना चाहता था जिंदगी के कुछ लम्हों को तुम्हारे साथ के साथ... आज भी प्रेम का जिक्र आता है तो मेरे मन में तुम और तुम्हारी तस्वीर की लुभा देने वाली मुस्कान छा जाती है.. और कानों में तुम्हारे शब्दों की खनखनाहट मुझे तुमसे मिलने को अधीर बना देती है ...! तुम वो 'याद' और 'एहसास' हो जो मेरे लिए शायद कभी कोई औ र नहीं बन सकती. . हमारे बीच कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ हो गया था जैसे.. अभावों के बीच कटते हुए मेरे इस जीवन में तुम संभावना की तरह आई थी..। मेरे इस छोटी सी जिंदगी के बड़े हिस्से में तुमको महसूस करने लगा था मैं, मेरे साथ चलते हुए पर अपने रास्ते..! आखिर कहीं तो हमारे रास्ते एक होते.. शायद इसी एक होने की आश लगाए मस्ती में झुमता था मेरा ये मन.. तुम्हारे बगल में, तुम्हारा हाथ पकड़ मैं मुझे मेरे अकेलेपन से बाहर निकलने का जश्न मना रहा था.. जैसे ये 'हाथ' और 'साथ' मुझसे हमेशा के लिए मेरे साथ जूड़ने वाला था ... कल्पना के आरामदेह दुनिया में तुमको तुम्हारी मर्जी के बिना लेकर घूमने की आदत सी हो गया था.. जानती हो जिन्दगी ..!! आज भी जब देर रात नींद नहीं आती तो तुम्हारे साथ, तुम्हारा हाथ पकड़े, किसी नदी के किनारे, पर्वतों के बीच किसी कोने में, तुमसे बात करता हुआ अपने कांधे तुम्हारा सर टिकाए पाता हूँ। मैं, खुद के तलाश में भटकता रहता हूं और ये भटकना मुझे अच्छा लगता है आज भी वैसे ही जैसे तुम्हारे साथ कभी खाली समय में भटकना..!! #ज़िन्दगी #कुछ_पल_तेरे_संग ✍सौरभ अनिकेत शर्मा #HBDShastriJi
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