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Ghumnam Gautam

Ajay Amitabh Suman

गेहूँ के दाने #kavita #poem #Poetry #farmer #कविता #गेहूँ #किसान

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

Eron (Neha Sharma)

माँ के हाथ की रोटी

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माँ गेहूँ की टँकी से गेहूँ निकाला करती थी।
फिर बोरे को उठाकर बाहर डाला करती थी।
गेहूं को फटककर छाज से
उसे छलनी में निकाला करती थी।
धोकर गेहूओं को तब माँ
छत पर डालकर सुखाया करती थी।
घर की चक्की में माँ
गेहूँ को पीसकर लाया करती थी।
फिर उसी गेहूं के आटे की
माँ गोल गोल रोटी बनाकर खिलाया करती थी।-नेहा शर्मा। माँ के हाथ की रोटी

Raj Yadav

फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली ! तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक, श्यामल भू तल पर झुका हुआ नभ का चिर निर्मल नील फलक।

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फैली खेतों में दूर तलक
 मख़मल की कोमल हरियाली,
लिपटीं जिससे रवि की किरणें
 चाँदी की सी उजली जाली !
तिनकों के हरे हरे तन पर
 हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
 नभ का चिर निर्मल नील फलक।


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