Find the Best निकाले Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutमोलो की संख्या कैसे निकाले, अणुओं की संख्या कैसे निकाले, गीदड़ की आवाज निकाले, चेहरे से कील कैसे निकाले, गले से बलगम कैसे निकाले,
Md Hasnain Araryavi.
हिंदी दिवस आप सभी को हमारी तरफ से हिन्दी दिवस की " हार्दिक शुभकामनाएं " ------------#----------- अरबी निकाले चर्बी, फारसी निकाले तेल, उर्दू में कुछ कुछ, हिन्दी में खेल। -Md Hasnain Reza हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं M.H.Ŕ---ļòvé
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं M.H.Ŕ---ļòvé
read moreParnassian's Cafe
वो दबा हुआ है कोई निकाले उसे। मजबूरियों का बोझ है कोई संभाले उसे।। वो दबा हुआ है कोई निकाले उसे। मजबूरियों का बोझ है कोई संभाले उसे।। #वो #दबा #हुआ #है #कोई #निकाले #उसे। #मजबूरियों #का #बोझ #है #कोई #संभाले #उसे।। #lalitkumargautam #parnassianscafe #ललितकुमारगौतम
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read moreNaman Bharadwaj
#OpenPoetry जो निकला अपने गाँव से सोना खरा निकला मेरा हमसफर ग़मो खुशी का बहरूपिया निकला मैं पहुँचा दूसरे शहर में वहाँ उम्मीदों का मकबरा मिला फ़ूल चादर में ढका लाखो सपनों का मज़ार मिला लोग कहते मुझे पागल पर मैं सपनों को नहीं छोड़ना दरोगा करता बड़ा जुल्म पर मैं ज़िद नही छोड़ना दुनिया से अनदेखे तरीक़े मैंने काम के निकाले अब मेहनत की औलादें वो मेरे नाम से निकाले जोगी रूह का परिंदा पँख फैलाने लगा बादशाहों को अब मेरा ख़्याल सताने लगा साजिशों की दीवार वो मेरे आँगन में बनाते चले गए ईंट पर ईंट महाराज को रेत में धासाते चले गए हार का डर कहलों या जीत का जुनून कहो मैं अकेला काफ़ी हूँ दिलओ दिमाग से नहीं जिगर से कहो मेरा वक़्त क़िस्मत की जोरु बन अकड़ गया मैं पागल फ़िक्रना इतना था मैं क़िस्मत से भिड़ गया जीत को मज़बूर होना था आगे मेरे ज़िद्दी मैं इतना था जो कल बदकिस्मत थी लकीरें मेरी आज जाने मेरे हाथों में कितना था #OpenPoetry
Naman Bharadwaj
जो निकला अपने गाँव से सोना खरा निकला मेरा हमसफर ग़मो खुशी का बहरूपिया निकला मैं पहुँचा दूसरे शहर में वहाँ उम्मीदों का मकबरा मिला फ़ूल चादर में ढका लाखो सपनों का मज़ार मिला लोग कहते मुझे पागल पर मैं सपनों को नहीं छोड़ना दरोगा करता बड़ा जुल्म पर मैं ज़िद नही छोड़ना दुनिया से अनदेखे तरीक़े मैंने काम के निकाले अब मेहनत की औलादें वो मेरे नाम से निकाले जोगी रूह का परिंदा पँख फैलाने लगा बादशाहों को अब मेरा ख़्याल सताने लगा साजिशों की दीवार वो मेरे आँगन में बनाते चले गए ईंट पर ईंट महाराज को रेत में धासाते चले गए हार का डर कहलों या जीत का जुनून कहो मैं अकेला काफ़ी हूँ दिलओ दिमाग से नहीं जिगर से कहो मेरा वक़्त क़िस्मत की जोरु बन अकड़ गया मैं पागल फ़िक्रना इतना था मैं क़िस्मत से भिड़ गया जीत को मज़बूर होना था आगे मेरे ज़िद्दी मैं इतना था जो कल बदकिस्मत थी लकीरें मेरी आज जाने मेरे हाथों में कितना था #OpenPoetry
Rakesh Kumar Dogra
पहले दिल के गुबार निकाले फिर जेब से गुब्बारे निकाले घोंटकर उनको अरमान के धागों से हवा से हमने प्राण निकाले।
Prashant "sagar"
"अपने दिल के हाल को संभाले कैसे । उनकी यादो को जहन से निकाले कैसे।। प्यार है वफा है हम वही है बदले नही। जो है उन्हे वहम उसे निकाले कैसे ।।"
Ashwani Dixit
राम नहीं, मंदिर नहीं, नहीं अधिकार समान। धारा 370 हटी नहीं, तेल निकाले प्रान।। तेल निकाले प्राण, साहेब चोंच न खोलें। पहले हद वाचाल थे, अब मुंह से न बोलें।। जनसंख्या बिल नहीं, सदन चलें बिन काम। बाबा साहेब के साहेब हुए, तंबू में श्रीराम।। #dixitg #politics #BJPGovt
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