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Best Friend
एक ऐसा भी प्यार जिसमे सिर्फ और सिर्फ इंतजार .. ©Best Friend #जीवन #का #सच #मगर #झूठ #मानिए
HaRsh SaiNi (haRshuu) 🇮🇳
जिंदगी में एक नई चीज सीखने को मिली है लोग आपको तभी याद करते हैं जब आपसे काम होता है लोग आपको तब याद करेंगे जब उनका कोई मतलब होगा ये मेने जाना है, देखा है, समझा है, पढ़ा है, महसूस किया है, जिंदगी में मुट्ठीभर लोग हैं जो सही मायनों में आपको चाहते हैं, आपसे मोहब्बत करते हैं आपको अपना संघी मानकर चलते है, वर्ना ये पूरी कायनात ही जालिम हो चुकी हैं, यहाँ किसी को आपके सुख-दुख से मतलब नही होता, ना होगा, यहाँ सिर्फ और सिर्फ अपने काम के लिए आपको याद किया जाएगा यकीन मानिए ये खेल है यहाँ अपने लक्ष्य पर पूर्ण फोकस करना होगा.! जीवन के अंतिम सांस तक मेहनत करनी होगी, इस दुनिया में मतलबी लोगों की कतार बड़ी दूर तलक फैली है, हालांकि कुछ लोग शालीनता के धनी होंगे वो आपसे बेपरवाह मोहब्बत करेंगे, पूरी कायनात एक-दूसरे को गिराने पर तुली है.. परवरिश, इल्म, तालीम, संस्कृति, सभ्यता, तहजीब, संस्कार, संस्कृति तब तड़फ रहे हैं क्योंकि उन्हें इस संसार में इंसानियत नही दिखती हैं मेने महसूस किया है कि पूरी कायनात मतलबी है। बहुत कम लोग होंगे जो आपके साथ है औऱ हमेशा रहेंगे अपनी इच्छाओं को मारकर इस संसार में चलना होगा यकीन मानिए एक दिन बहुत बड़े आदमी बनेंगे इस मतलबी दुनिया से थोड़ा बचके मुट्ठीभर लोग हमेशा जिंदगी के पटल पर रहेंगे। तड़फ शब्द का एक ही इलाज है अपनी नन्ही आंखों पर वो तकिया रखिये और अपनी संवेदनाओं के आँसुओ को बहा दीजिए। 💯 'शुक्रिया' @sainiharsh841
Suresh Bishnoi
“मैंने दहेज़ नहीं माँगा” साहब मैं थाने नहीं आउंगा, अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा, माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था, सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था, पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है, महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है। चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो, उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो। पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा, यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” परिवार के साथ रहना इसे पसंन्द नहीं है, कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही है, मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में, कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में, हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को, नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को, फिर शुरू हुआ वाद विवाद माँ बाप से अलग होने का, शायद समय आ गया था, चैन और सुकून खोने का, एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया, न रहूँगा माँ बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया। बस मुझसे लड़कर मोहतरमा मायके जा पहुंची, 2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची, माँ बाप से हो जा अलग, नहीं सबक सीखा देंगे , क्या होता है दहेज़ कानून तुझे इसका असर दिखा देगें। परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा, यकींन माँनिये साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” जो कहा था बीवी ने, आखिरकार वो कर दिखाया, झगड़ा किसी और बात पर था, पर उसने दहेज़ का नाटक रचाया। बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया, क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया। माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे, घर में सब हैरान, सब परेशान थे, अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी, मैंने भी तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी। आखिरकार तमका मिला हमें दहेज़ लोभी होने का, कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने संजोने का। बुलाने पर थाने आया हूँ, छुपकर कहीं नहीं भागा, लेकिन यकींन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” 😪झूठे दहेज के मुकदमों के कारण, पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति…🙏🙏 #Mrperfect2007
Ashish Pattlyan
मुबारक हो जन्मदिन तने तु हजारों साल जिवे ना फिकी पड़े मुस्कान तेरे चेहरे की तु हमेशा खुश रहवे ज कदे पड़े जरूरत मेरी तो बस एक ब बोल दे लिए अर पार्टी तो तनै देणी नही मेरे नाम का केक बी तु खा लिए सारी मोज करिये जिंदगी म कदे काल्ली ना मानिए हमेशा तेरी गेल खड़ा हू कदे खुद न अकेली ना मानिए Happy aala Birthday ji
Ashish Tantuway
*मर्यादा* मर्यादा तबसे तिराहों चौराहों पर नँगी खड़ी है.... निजता जबसे जारज चरणों में गिरवी पड़ी है।। चरितों में जबसे दोगलापन हावी हुआ है। चेहरों को पहचानना तत्क्षण भावी हुआ है।। अपशब्दों का प्रयोग जब जब ह्रदय को रौंधता है! सच मानिए स्वाभिमान मनमस्तिष्क को कौंधता है।। खैर छोड़िये अभी पाश गुलामी का हटा नहीं है। कुहरा है बेमौसमी जो अभी तक छँटा नहीं है।। मानवता को हितबद्धता ने जब जब छला है। तब तब द्वेष सच मानिए दुगनी गति से पला है।। हर शह जो उनकी देहरी की जमीं में गड़ा है। साया है ज़नाब जो वास्तिविक कद से बड़ा है।। इति.... कृते:-आशीष तंतुवाय"कबीर"दमोह मध्यप्रदेश #gif *मर्यादा*
*मर्यादा*
read moreअंकुश पाण्डेय "अंश"
तरक्की की फसल हम भी काट लेते थोड़े से तलवे अगर हम भी चाट लेते बस मेरे लहजे में जी हुजूर नहीं था और मेरा कोई कसूर नहीं था यदि पल भर के लिए मैं बेजमीर हो जाता यकीन मानिए मैं कब का अमीर हो जाता यकीन मानिए मै कब अमीर हो जाता #gif 🌹 थोड़ा डूबूँगा फिर तैर आऊँगा ऐ जिंदगी देख मैं जीत जाऊंगा 🌹
🌹 थोड़ा डूबूँगा फिर तैर आऊँगा ऐ जिंदगी देख मैं जीत जाऊंगा 🌹
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