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Vijay Vidrohi
धर्म के नाम पर किसी की जान लेना या देना कितना? जायज है, क्योंकि कुछ धार्मिक लोग धर्म के नाम पर जान देना और लेना जायज ठहराते हैं। कमेंट करके बताओ क्या यह उचित है? ©Vijay Vidrohi #उचित
Juhi Grover
कुछ भावों को लिखना भी मजबूरी होता है, कुछ यादों को लिखना ज़रूरी ही होता है, कुछ घावों काे लिखना ज़रूरी तो होता है, पर उन काे न लिखना ही समुचित होता है, कि कुछ घावों का भरना ज़रूरी नहीं होता, बार बार याद कर सहना ही उचित होता है। #मजबूरी #समुचित #उचित #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqpoetry
CalmKrishna
ऐसा नहीं है कि चुनाव सही नहीं किया गया, बात ये है कि चयनकर्ता ही ठीक नहीं है। ©CalmKrishna चुनाव #चयन #चुनाव #सही #गलत #ठीक #उचित #philosophy #alone
Rakesh Srivastava
आत्मा तो हमेशा से जानती है, कि सही क्या है...! चुनौती तो.. मन को समझाने की होती है....!! मंजिल पाना तो दूर की बात है...! गुरुर में रहेंगे.. तो रास्ता भी भटक जायेंगे.......!! ©Rakesh Srivastava #उचित राह #YouNme
Ek villain
समान नागरिक संहिता के लिए सही समय शीर्षक से लेख में आलेख में ए सूर्य प्रकाश से समान नागरिक संहिता पर संविधान निर्माताओं की सोच को सामने लाया था विधानसभा में हुई बहस के आधार पर उन्होंने कहा है कि आजादी वित्त वर्ष में देश के काफी कुछ बदला गया लेकिन समान नागरिक संहिता के विषय में मुस्लिम नीतियों का चिंतन नहीं बदला यह बात उन्होंने संविधान सभा में मुस्लिम सदस्यों के तर्क के आधार पर का यह समान नागरिक संहिता के विरोध में जिस तरह की बातें तब कहीं गई थी वैसे ही आज मुस्लिम नेता कर रहे हैं यह भारत जैसे देश के लिए आज के समय उचित नहीं आ रही आपराधिक कानून के सब समान ही होता अगर विवाह पालन-पोषण दे तलाक उत्तराधिकारी आदि मामलों के लिए सभी के सभी लिए समान कानून लागू हो जाएंगे तभी देश में एकता की भावना बलवती होगी तभी सच्चे अर्थ में सभी नागरिक कानून के समक्ष समान होंगे अभी इन मामलों में हिंदुओं के अलग और मुस्लिम के लिए अलग-अलग कानून होने से समाज में भ्रम पैदा हो सकता है दोनों समुदाय के लोगों को लगता है कि वह एक दूसरे से भिन्न है यह भावना देश के लिए कठिन ठीक नहीं ©Ek villain #उचित सुझाव समान नागरिक संहिता में #patience
Ek villain
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का यह सुझाव की सभी सरकार जांच एजेंसी एक छात्र प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत सम्मिलित होने चाहिए बहुत तार्किक और महत्व है सरकार को इस जगह को तुरंत स्वीकार कर लेना चाहिए सुझाव जिस स्तर पर आया है वह देश की न्याय प्रणाली समाप्त होती है देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई प्रवर्तन निर्धारित सीरियस पेंडिंग इन्वेस्टिगेशन संगठन नोटिफिकेशन 138 प्रशासन व्यवस्था के अंतर्गत कराए गिर जाएगी जो समय पर निर्णय लेने में सक्षम होगी और सफलतापूर्वक तिरुपति से भ्रष्टाचार को समाप्त कर और दोषी को दंड दिलवाने में बेहतर संपर्क करें काम करेगी अभी तो उलझा हुआ सरकारी तंत्र भ्रष्ट तंत्र नहीं है अगर आप देश की जनता का बहुत नुकसान हो चुका है दोषी को दंडित होने तक का महत्व और सार्थक समाप्त हो जाती है ©Ek villain #उचित सुझाव उच्चतम न्यायालय का #VantinesDay
#उचित सुझाव उच्चतम न्यायालय का #VantinesDay
read moreCalmKrishna
................... ©CalmKrishna व्यर्थ कामों में व्यस्त हैं हम। #प्रश्न #उत्तर #उपलब्ध #उचित #सवाल #जवाब #philosophy #oneliner
Atul Sharma
*📝“सुविचार"*📝 🖋️*“18/12/2020”*🖋️ 🌟✨ *“शुक्रवार”*✨🌟 *“मनुष्य" में “ईर्ष्यापूर्ण" प्रवृत्ति “व्यक्तिगत" होती है* *वो केवल अपने “स्वार्थ", अपने “उधार" तक सीमित होती है* *“ईर्ष्या" ही वो “विष” है जो “व्यक्ति के मन” में न हारने की “महत्वाकांक्षाओं” को जन्म देती है* *“जीतने” की इस विवशता से ग्रसित मनुष्य “धर्म-अधर्म”,“न्याय-अन्याय,“उचित-अनुचित” का “ज्ञान” भुल जाता है,* *“संवेदना”,“करूणा” भुल जाता है* *उसे स्मरण रहता है केवल और केवल “जीतना”* *भले ही वो “छल कपट” के माध्यम से ही क्यों न हो...* *अतुल शर्मा🖋️📝📙* *📝“सुविचार"*📝 🖋️*“18/12/2020”*🖋️ 🌟✨ *“शुक्रवार”*✨🌟 #ईर्ष्यालु प्रवृत्ति #स्वार्थ
*📝“सुविचार"*📝 🖋️*“18/12/2020”*🖋️ 🌟✨ *“शुक्रवार”*✨🌟 #ईर्ष्यालु प्रवृत्ति #स्वार्थ
read moreAnjali Jain
ऐसा कार्य, जो करना उचित है किन्तु किसी को उसकी जानकारी देने से, उसे कष्ट होता हो तो उसे छुपाना ही श्रेयस्कर है, .....और छुपाना कतई अनुचित नहीं है! यह सत्य/असत्य से परे है!! ©अंजलि जैन #उचित/अनुचित#११.१२.२० #Morningvibes
#उचित/अनुचित११.१२.२० #Morningvibes
read moreAtul Sharma
*📝“सुविचार"*📝 🖋️*“6/12/2020”*🖋️ 🌟✨ *“रविवार”*✨🌟 *“माता पिता” को कभी अपनी “संतान” को कभी “विधाता” नहीं बनाना चाहिए,* *किन्तु “हर समय” सदैव “प्रयास” करना चाहिए कि उन्हें “उचित दिशा” दिखा पाओ,* *कभी “कोमलता” से,तो कभी “प्रेम” से,कभी “कठोरता” से उनके “जीवन” को, उनके “व्यक्तित्व” को “आकार” देने का “प्रयास” करना चाहिए,* *क्योंकि जिस प्रकार एक बार “घड़ा”(मटका) के पकने के पश्चात उसका “आकार” नहीं बदला जा सकता* *ठीक उसी प्रकार “आयु” बढ़ने के पश्चात “संतान” के “संस्कार” भी नहीं बदले जा सकते...* *अतुल शर्मा🖋️📝📙* *📝“सुविचार"📝* *🖋️“6/12/2020”🖋️* *🌟✨“रविवार”✨🌟* *#माता-पिता* *#संतान*