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Best बचाता Shayari, Status, Quotes, Stories

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Bajrangautam

खुद को खुद से बचाता रहा हूं.... "बातें क्या सारी ठीक ही है, या फिर झूठ को छुपाता रहा हूं। डरता हूं बाहर से, या फिर खुद को खुद से बचाता रहा हूं। आग दिखती है जो बाहर, उससे भी भयंकर आग खुद में जलाता रहा हूं।

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 खुद को खुद से बचाता रहा हूं....

"बातें क्या सारी ठीक ही है,
या फिर झूठ को छुपाता रहा हूं।
डरता हूं बाहर से,
या फिर खुद को खुद से बचाता रहा हूं।
आग दिखती है जो बाहर,
उससे भी भयंकर आग खुद में जलाता रहा हूं।

#Pk_writes ✍

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जिस तरह बादलो की ,बारिश के वक़्त छाता हम लोगो को बचाता है ।
उसी तरह हमारा प्रिया ओज़ोन सूर्य से पृथ्वी पर जीवन को बचाता है ।।

ओज़ोन जो है आक्सीजन गैस से बनती है और आक्सीजन पेड़ पौधों से बनती है .....
तो आओ इस पृथ्वी को सुर्य की किराणो  से बचाने के लिये आओ हम सब मिल के इस ओज़ोन दिवस मे अपनी पृथ्वी माँ की जड़ो को सुरछित (safe) करते है ।

चलो आओ आज इस पावन दिन पर करते है एक संकल्प लगाये गे पेड़ ज्यादा से ज्यादा करे गे अपने पृथ्वी माँ के जड़ो को सुरछित।

पेड़ो और पौधों को ना काटे गे ना काटने देगे किसी को।
क्यूकि हम लोगो को अब पाता चल गया है की कैसे रखना है ओज़ोन परतो, अपनी जड़ो को सेफ़ ।
प्रतिदिन लगाना सब एक पेड़ वरन् ना रहोगे तुम सेफ़ ना रहेगे हम सेफ़।

अब अपने कलम को मै विराम देती ही और सभी को ...

 *विश्व ओज़ोन दिवस की ढेर सारी बधाई देती हूँ* 🌍

#pk_writes 
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Nisha Sharma

Respect all

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इस दुनिया मै अमीरों को सिर्फ पैसा बचाता है पर गरीबों को सिर्फ जुगाड बचाता है....... Respect all

Manisha Sharma

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घर,

घर ना बड़ा होता है, ना छोटा होता है, घर घर होता है।

घर गरीब का उसे वही छाँव देता है, जो अमीर का उसे देता है,
घर से जीवन उदय होता है, घर पर जीवन अस्त होता है,
इसी एक बात पर हर कोई एक मत होता है, घर घर होता है।

हो वो कुटिया या हो वो महल, घर का कोई धर्म नहीं होता है,
वो बारिश से भी बचाता है, वो धूप से भी बचाता है,
घर माँ बाबा का एक निर्जीव स्वरूप होता है, घर घर होता है।

जीवन की भाग दौड़ से थककर मानव को घर ही लौटना होता है
माँ के बाद जिसकी सबसे ज्यादा याद आती है, वो घर होता है,
घर ना बड़ा होता है, ना छोटा होता है, घर घर होता है।

- मनीषा

Nisha Gahlaut

#OpenPoetry 'ख़तरा '

तेज़ बरसता
 ज़मीन से टकराता बारिश का पानी ... 
हो जाता है  सबसे बड़ा खतरा 
जब सड़क किनारे  सफेद नमाज़ी टोपी और 
,दाढ़ी वाला व्यक्ति ओढ़ लेता है
 राष्ट्रीय  ध्वजों  और शिव की
 तस्वीरों को सीने से लगा .पारदर्शी पन्नी .. 
वह बचाता है तब एक हिन्दू ईश्वर को खतरे से..... और साथ ही 
वह भीगने से बचाता है शाम की रोटी को भी.... 
वही ईश्वर बन जाता है साधन  आजीविका का 
शिवरात्रि पर्व का इंतज़ार ज़रूर रहा होगा उसे भी 
ठीक वैसे ही जैसे रमजान के माह में
 किसी शिव पूजा  करने वाले 
हिन्दू को मिल जाता है फल ,और  मिठाइयां  बेचकर जिंदगी के
 एक और दिन से जीत जाने का  मौका 
दोनों ही जी रहे हैं खतरे में रोटी छिन जाने के 
दोनों  पर है खतरा। ..असल में  
 उनके अधिकारों को निगल सकता है शोषण  का अजगर 
दोनों पर है खतरा शिक्षा से वंचित रह जाने का  
और मैंने सुना है इस्लाम खतरे में हैं.. 
उसे बचना होगा 
और खतरें में हैं हिन्दू ....तब 
सड़कों पर उतरना होगा ... 
रक्षा मंचो और विस्फोटक के लिए करना होगा 
आर्थिक योगदान... उतना जितने में टाला जा सकता है 
 कुछ भूखे लोगो की भूख का खतरा .... 
दोनों का असली खतरों से  वाकिफ़ होना है ज़रूरी 
ताकि देखा जा सके राजनीति पर मंडराते खतरे को.... 
एक दिन...  
बुझ जाएेगी उन चूल्हो की आग और अधपकी रह 
जयएेंगी राजनीति की रोटियाँ .. 
हाँ खतरा है रोटी पर....   और
 यही है किसी मजदूर 
जो हिन्दू है न मुस्लिम .... 
  के जीवन  में सबसे बड़ा
 'खतरा' #OpenPoetry #zindgi #life #poetry

Kalapana Singh Foujdar

#बचाता हे तू

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रास्ता बचाता हे तू हर मोड पर मुज़्हे तू ही रास्ता दिखाता हे मुज़्हे पता हे ए खुदा तू मेरी कितनी फ़िकर कर्ता हे सम्भाला हे मुसीबतों में मुज़्हे जीने का जुनून भी तुने ही मेरि आत्मा मे डाला हे #बचाता हे तू

रजनीश "स्वच्छंद"

अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,

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अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।।

हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
बन कर शत्रु ललकारा है।
बिन लड़े शस्त्र तज दूँ कैसे,
अन्तर्मन ने धिक्कारा है।
है कवच नहीं, कुंडल भी नहीं,
छद्म इंद्र कहो क्या मांगेगा।
सखा हेतु एक धर्म निभाने,
कर्ण ये फिर से जागेगा।
भगवन भी जो बन शत्रु आये,
अभय-दान नहीं मांग रहा।
परिभाषित होता मनुज कर्म से,
हर बाधा जो है लांघ रहा।
कभी मैं बढ़ता, कभी मैं रुकता,
रुक अन्तर्विवेचना करता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

बेर लिए कहाँ सबरी बैठी,
केवट ने कब नाव उतारा था।
अग्निपरीक्षा सीता थी देती,
आ कब किसने उबारा था।
मैं बाल्मीक मैं राम भी हूँ,
मेरी ही अग्नि परीक्षा रही।
लक्ष्मण रेखा भी मैंने लांघी,
अनन्त मेरी ही इक्षा रही।
निज को पढ़ना, निज को लिखना,
निज में ही संसार समाहित था।
भले बुरे में फर्क करूँ क्या,
धमनी रक्त वही तो प्रवाहित था।
कभी बैठ एकांतवास में,
घाव मैं अपने भरता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

भीष्म कहो बन जाऊं कैसे,
कैसे शर-शय्या पड़ा रहूँ।
रहूँ मूक द्रष्टा बन कैसे,
हो पाषाण मैं खड़ा रहूँ।
मैं दुर्योधन जंघा नहीं न द्रोण-ग्रीवा,
जो तोड़ा और उतारा जाउँ।
अब रहा अभिमन्यु भी नहीं,
फंस चक्रव्यूह जो मारा जाउँ।
भुजा मेरी भुजबल भी मेरा,
बन प्रचंड रण में उतरा।
हुंकार लिए, प्रलय लिए,
इस अखण्ड वन में उतरा।
विक्रम भी मैं, बेताल भी मैं,
प्रश्न स्वयं से करता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।।

हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,

Amit Dwivedi

मेरी प्यारी बहना

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मेरी प्यारी बहना अगर,तू होती तो,
अपने भाई होने का हर फर्ज निभाता मैं,

तेरे हर गम को अपना बनाता मैं,
खुद रो कर भी तुझको हँसाता मैं,
तू भी रक्षाबन्धन पर मुझे बांधती राखी,
तुझे अच्छे-अच्छे उपहार दिलाता मैं।

हर दर्द से तुझको बचाता मैं,
दुनियाँ की हर खुशी तुझे दिलाता मैं,
हाँ थोड़ा बहुत तुझे तंग करता पर,
उससे ज्यादा तुझे प्यार भी करता मैं।

जब तू रूठती तुझे मनाता मैं,
तुझे हर बुरी नजर से बचाता मैं,
जितनें भी होते तेरे अरमान जहाँ में,
तेरे सारे अरमानों को पूरा करता मैं।

तेरे कमरे में जबरदस्ती हक जताता मैं,
तेरे मोबाइल फोन को अपना बताता मैं,
और जब तू मुझसे झगड़ा करती तो,
तुझे बन्दरिया बोल के चिढ़ाता मै।

मेरी प्यारी बहना अगर तू होती तो,
अपनें भाई होने का हर फर्ज निभाता मैं।

अमित द्विवेदी (राम) मेरी प्यारी बहना

𝒂𝒍𝒇𝒂𝒂𝒛_𝒆_𝒎𝒆𝒓𝒂𝒋

पिता की महानता इन पंक्तियों में कहाँ बयां हो पाती हैं , वो तो खुद में एक किताब हैं जो इन लाइनों में कहाँ समा पाती हैं , वो खुद को मिटाता सिर्फ अपने परिवार के लिए , खुद को बेच खुशियाँ खरीद लाता अपनी औलाद के लिए !

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Hindi shayari quotes पिता की महानता इन पंक्तियों में कहाँ बयां 
हो पाती हैं ,
वो तो खुद में एक किताब हैं जो इन लाइनों 
में कहाँ समा पाती हैं ,
वो खुद को मिटाता सिर्फ अपने परिवार के 
लिए ,
खुद को बेच खुशियाँ खरीद लाता अपनी 
औलाद के लिए !
हर वक़्त सिर्फ परिवार की चिंता में रहता हैं ,
हर तकलीफ सहता हैं मगर किसी से कुछ न 
कहता हैं ,
दुनिया के हर गम से अपने परिवार को 
बचाता हैं ,
खुद भूखा रहता हैं मगर अपने परिवार को 
खिलाता है ,
ये पिता नहीं भगवान हैं वो हर गम से 
बचाता हैं ,
खुद चाहे कितनी तकलीफ में क्यों न हो मगर 
हमारे लिए 
वो हँसता नज़र आता हैं ...!!
♥️Love you Abbu♥️ #NojotoQuote पिता की महानता इन पंक्तियों में कहाँ बयां 
हो पाती हैं ,
वो तो खुद में एक किताब हैं जो इन लाइनों 
में कहाँ समा पाती हैं ,
वो खुद को मिटाता सिर्फ अपने परिवार के 
लिए ,
खुद को बेच खुशियाँ खरीद लाता अपनी 
औलाद के लिए !

Nisar malik

#Soldierday

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हर पल मसगूल है वो हिफाजत करने में हमारी।
हर पल जान जोखिम में डालता है अपनी, जान बचाने को हमारी।।
हम तो लड़ पड़ते है तिलक-टोपी के नाम पर,
वो मंदिर भी बचाता है और बचाता मस्जिद भी है हमारी।। #Soldierday
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