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Ritu Nisha
उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, और उस पर उसका एतराज पसंद है। ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है। ©Ritu Nisha #Apocalypse
शिवानी त्रिपाठी
सूरज जब नाराज होता चन्द्रमा से तब आसमाँ में पूर्णिमा नहीं अमावस्या होती है..... ©शिवानी त्रिपाठी #Apocalypse
संजय श्रीवास्तव
क्या सचमुच हम चाहने लगते हैं बिना मिले ही किसी को शायद हां पहला प्रेम भी तो बिना मिले हुआ जब प्यासा की नायिका को देखकर पागलों की तरह बाहर निकला दिलों दिमाग पर जाने कब तक उसका नशा छाया रहा क्या पता मिलने के बाद भी उम्र के किसी दौर में किसी से प्रेम हुआ हो लेकिन याद नहीं अपूर्णता का अहसास ही ताउम्र जिंदा रखता है उस प्रेम को जिसमें सब कुछ सोच लेते हैं कल्पनाओं में ही सही क्यूंकि पता होता है यथार्थ की कड़वाहट शायद बर्दाश्त नहीं होता आखिर क्यूं या फिर क्या महसूस करते हैं चेहरा अल्फ़ाज़ या कोमल उंगलियों के पोर कुछ तो होता है वरना आज फिर से दूर होते चांद को नजदीक से देखने की चाहत उस पर फिर दिल ने कहा यही तो है तुम्हारी मुहब्बत ©संजय श्रीवास्तव #Apocalypse
Kamal Kant
सांस चल रही हैं हाल न पूछिए आप खुश तो हैं सवाल न पूछिए ©Kammal Kaant Joshii #Apocalypse #Shayari #2liners #alone #Broken #feelings #thought
NAZAR
बदल गईया ने रूहाँ , बंदे वी हूँन्न बदल गये ने,, धर्म,ईमान,शर्म दे हो क़त्ल गये ने,, सूटे लाए पंजाब मेरा, नशया च डूबया रावी, सतलुज,जेहलम,चनाव मेरा, हूँन्न ता हार गये ने माँ पे वी, हार सारे ही यत्न गये ने,,, रूख कित्ता सब परदेसा दा, ना पग सिर ते,ना रौब रेहा हूँन्न केसा दा, चीखा मारे ख़ाली वेड़ा, नस्ला दे हो हूँन्न पत्तन गये ने,, रिम्मी बेदी नज़र ©NAZAR #Apocalypse#nazarbyremmibedi #book#punjabi#merapunjab#badalgyene
Sonika pal
फिर से आज कलम उठाई फिरती हूँ मैं! वक्त पुराना आज लेकर चलती हूँ मैं! एक अनोखी खुशबू से नहाई हूँ मैं! मंजिल की तरफ पंख फैलाए हूँ मैं! उम्मीद की पटोली भरी रहती हूँ मैं! मन में गोते लगाए फिरती हूँ मैं! अलग अहसास में रहती हूँ मैं! अपने वजूद को मेहसूस करती हूँ मैं! फिर कलम उठाती हूँ मैं! कविता के जरीये अपनी कहानी बताती हूँ मैं! कुछ करने की ख़ुशी महसूस करती हूँ मैं! अपनी सोच को घंटों आयाम देती हूँ मैं! नये सफ़र पर चलती हूँ मैं! खुद लिखकर नदिया बहती हूँ मैं! मुसिबतो से लड़कर खुद ही मुस्कुराती रहती हूँ। ©Sonika pal #Apocalypse #Life #Life_experience #poem #story
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read moreSubhash Lakhnavi
हिज्र पागल बना रहा था मुझे वस्ल के इज़्तिराब ने मारा ©Subhash Lakhnavi #Apocalypse
Mr. Eram
واؤ کی قسمیں واؤ کی تین قسمیں ہیں ١. واؤ معروف ٢. واؤ مجہول ٣. واؤ معدولہ ١. واؤ معروف سے مراد وہ واؤ ہیں جسے خوب کھل کر پڑھا جائے مثلا دور، مونچھ، خوب، خلوص، نور، وغیرہ ٢. واؤ مجہول سے ایسی واو مراد ہے جسے خوب کھل کر نہ پڑھا جائے یعنی بہت واضح نہ ہو جیسے زور، شور، روز، وغیرہ ٣. واؤ معدولہ یہ وہ واؤ ہیں جو لکھا جاتا ہے مگر پڑھا نہیں جاتا مثلا خود، خواہش،خواب، یہ واؤ حرف (خ) کے بعد آتی ہے اور اس کے نیچے چھوٹا سا خط عرضی(زیر) کھینچ دیا جاتا ہے... .. ©Mr. Eram #Apocalypse #BooksBestFriends #Dailyknowledge #urduGrammar #viral #poetry #status #shorts
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read moreVaishnavi Pardakhe
गरीबी में मैंने जनाब, सब कुछ खो दिया, ये ग़रीबीने ना खाने दिया, ना ही जीने दिया। स्वाभिमान की बात कहाँ करूँ जनाब , जब हो साथ भूख। आज खाली पेट सोना ना पड़े, इसीमें है हमारा सुख। ❤️❤️Vaish-New❤️❤️ ©Vaishnavi Pardakhe #Apocalypse
NAZAR
इतना पढ़ा है मेरे लफ़्ज़ों को तो आज अल्फाजों की ख़ामोशी भी समझ लेना,,,,,, नज़र ©NAZAR #Apocalypse#book#shayri#najar#khamoshi
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