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CalmKrishna

जानना ही जीना है...! #हम #लोग #मानना #जानना #मान्यता #पकड़

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CalmKrishna

आदमी के 'मान लेने' की कोई सीमा नहीं है। #स्वर्ग #नर्क #स्वर्गीय #नरकीय #आदमी #मान्यता #धारणा #philosophy

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©CalmKrishna आदमी के 'मान लेने' की कोई सीमा नहीं है।


#स्वर्ग #नर्क #स्वर्गीय #नरकीय #आदमी #मान्यता #धारणा #philosophy

काव्यात्मक अंकुर

#मान्यता #अंकुर काव्यात्मकअंकुर🌱 #Approval #Life #acceptance #yes #marathi #wordporn #wordgasm

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मान्यता

एखादी गोष्ट आपण स्वतः अवलंब करून 
जर वापरत असू आणि जर तेच दुसरं कोणी 
त्याप्रकारे अवलंब केला तर त्याला;
'मान्यता' ही द्यावीच लागते. 
नाहीतर आपला मूर्खपणा ठरतो.

©अंकुर
#काव्यात्मकअंकुर🌱 #मान्यता #अंकुर #काव्यात्मकअंकुर🌱  #Approval #Life #acceptance #yes #marathi #wordporn #wordgasm

gokul

#मान्यता अनुसार यहा सृष्टिकर्ता #ब्रह्मा जी सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद यहां प्रथम यज्ञ किया था। यही प्रथम 'प्र' और यज्ञ याग से #प्रयागराज नाम पड़ा।। #मौनी अमावस्या की हार्दिक सुभकामनाये

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 #मान्यता अनुसार यहा सृष्टिकर्ता #ब्रह्मा जी सृष्टि कार्य 
पूर्ण होने के बाद यहां प्रथम यज्ञ किया था।
यही प्रथम 'प्र' और यज्ञ याग से 
#प्रयागराज नाम पड़ा।।
#मौनी अमावस्या की हार्दिक सुभकामनाये

Manyu Manish

#ईश्वरीय विधान???

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मैं इस मान्यता को अस्वीकार करता हूँ कि दुनिया में जो कुछ भी होता है सब ईश्वर की मर्ज़ी से होता है, उसकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। अगर आप इसे मानते हैं तो आपको हत्यारों,लुटेरों, बलात्कारियों को ईश्वरीय इच्छा पूरी करने का माध्यम मात्र मानना पड़ेगा। अपनी अक्षमता,अरुचि, अनिच्छा, अपराध बोध, अपने कर्मों को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए इस मान्यता का फायदा कुछ लोग उठाते हैं। 
@मन्यु आत्रेय #ईश्वरीय विधान???

THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW

यदि आप किसी कठिन कार्य या चुनोती की मान्यता को गलत साबित करने के लिए प्रयास करते है और विजयी हो जाते है तो यह आपका अज्ञान या अहंकार कहला सकता है। इसके विपरीत यदि आप उसी कठिन कार्य या चुनोती की मान्यता के विरुद्ध स्वम् को सही साबित करते हुए, स्वम् के आत्मविश्वास से संघर्ष करते है और विजयी हो जाते है तो यह आपका ज्ञान या आत्मविश्वास कहला सकता है। विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित। 14/06/2019 at 12:42 join my blog site vikrantrajliwal.com & subscribe my youtube channel. https://www.youtube.com/channel

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यदि आप किसी कठिन कार्य या चुनोती की मान्यता को गलत साबित करने के लिए प्रयास करते है और विजयी हो जाते है तो यह आपका अज्ञान या अहंकार कहला सकता है।

इसके विपरीत यदि आप उसी कठिन कार्य या चुनोती की मान्यता के विरुद्ध स्वम् को सही साबित करते हुए, स्वम् के आत्मविश्वास से संघर्ष करते है और विजयी हो जाते है तो यह आपका ज्ञान या आत्मविश्वास कहला सकता है।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
14/06/2019 at 12:42
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इसके विपरीत यदि आप उसी कठिन कार्य या चुनोती की मान्यता के विरुद्ध स्वम् को सही साबित करते हुए, स्वम् के आत्मविश्वास से संघर्ष करते है और विजयी हो जाते है तो यह आपका ज्ञान या आत्मविश्वास कहला सकता है।
विक्रांत राजलीवाल द्वारा लिखित।
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डॉ जे सी सोनी

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 12 - तामसी श्रद्धा 'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढे-लिखे हैं, समझदार है। उनके चरित्र पर कभी किसी ने कोई शंका नहीं की है और सत्संग में उनकी रुचि है। वे मेरे पास अपने पुत्र की बात लेकर आये थे - 'वह किसी ओर की बात नहीं सुनता।' 'बात क्या है?' उनके पुत्र सुशील हैं, पितृभक्त हैं। उनके जैसे सच्चरित्र व्यक्ति मिलना कठिन है। वे कोई अयोग्य हठ करेंगे, यह बात सोचना भी कठिन था मेरे लिए।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
12 - तामसी श्रद्धा

'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढे-लिखे हैं, समझदार है। उनके चरित्र पर कभी किसी ने कोई शंका नहीं की है और सत्संग में उनकी रुचि है। वे मेरे पास अपने पुत्र की बात लेकर आये थे - 'वह किसी ओर की बात नहीं सुनता।'

'बात क्या है?' उनके पुत्र सुशील हैं, पितृभक्त हैं। उनके जैसे सच्चरित्र व्यक्ति मिलना कठिन है। वे कोई अयोग्य हठ करेंगे, यह बात सोचना भी कठिन था मेरे लिए।

chandrashekhar Rajput

या देशात मुस्लिम धार्जिणे म्हणून पंडित नेहरू व म. गांधी हे दोघेही फार बदनाम आहेत. या मुद्द्यावरच सरदार पटेल आणि नेहरु यांच्यातील फरक स्पष्ट केला जातो. पण हे खरे नाही. स्वतंत्र सिंधला मान्यता, विभक्त-मतदारसंघाला मान्यता आणि मुसलमानांना 'वेटेज' या क्रिया गांधी युगातील नसून 'टिळक' युगातील आहेत ! १९१६ साली मुसलमानांना टिळकांनी जे देऊ केले त्याहून दोन पावले अधिक जर नेहरूंनी टाकली असती तर पाकिस्तान अस्तित्वात आले नसते. गांधी-नेहरू युगाच्या मुस्लिमधार्जिणेपणामुळे पाकिस्तान अस्तित्वात आले हे सत्य नसून ल

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या देशात मुस्लिम धार्जिणे म्हणून पंडित नेहरू व म. गांधी हे दोघेही फार बदनाम आहेत. या मुद्द्यावरच सरदार पटेल आणि नेहरु यांच्यातील फरक स्पष्ट केला जातो. पण हे खरे नाही. स्वतंत्र सिंधला मान्यता, विभक्त-मतदारसंघाला मान्यता आणि मुसलमानांना 'वेटेज' या क्रिया गांधी युगातील नसून 'टिळक' युगातील आहेत ! १९१६ साली मुसलमानांना टिळकांनी जे देऊ केले त्याहून दोन पावले अधिक जर नेहरूंनी टाकली असती तर पाकिस्तान अस्तित्वात आले नसते. गांधी-नेहरू युगाच्या मुस्लिमधार्जिणेपणामुळे पाकिस्तान अस्तित्वात आले हे सत्य नसून लखनौ-कराराच्या पुढे जाण्याची गांधी-नेहरुंची तयारी नव्हती, म्हणून पाकिस्तान अस्तित्वात आले, असा इतिहास आहे.

- नरहर कुरुंदकर
'जागर' #NojotoQuote या देशात मुस्लिम धार्जिणे म्हणून पंडित नेहरू व म. गांधी हे दोघेही फार बदनाम आहेत. या मुद्द्यावरच सरदार पटेल आणि नेहरु यांच्यातील फरक स्पष्ट केला जातो. पण हे खरे नाही. स्वतंत्र सिंधला मान्यता, विभक्त-मतदारसंघाला मान्यता आणि मुसलमानांना 'वेटेज' या क्रिया गांधी युगातील नसून 'टिळक' युगातील आहेत ! १९१६ साली मुसलमानांना टिळकांनी जे देऊ केले त्याहून दोन पावले अधिक जर नेहरूंनी टाकली असती तर पाकिस्तान अस्तित्वात आले नसते. गांधी-नेहरू युगाच्या मुस्लिमधार्जिणेपणामुळे पाकिस्तान अस्तित्वात आले हे सत्य नसून ल

निशांत आर्य

आत्मा अल्पज्ञ है इसी लिए स्वयं की मान्यता भी अल्पज्ञ है, इसी लिए जो सर्वज्ञ है उसको आधार बना कर किसी चीज़ का निर्णय आदि करना चाहिए ।

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कोई व्यक्ति स्वयं की मान्यता के अनुसार ही कुछ विसवास करे क्यो की ये उनकी स्वयं की मान्यता है , तो निश्चित वो अंधकार मे है । और ये पैमाना उसको प्रकाश की ओर ले जाने से सर्वथा रोकता रहेगा । आत्मा अल्पज्ञ है इसी लिए स्वयं की मान्यता भी अल्पज्ञ है, इसी लिए जो सर्वज्ञ है उसको आधार बना कर किसी चीज़ का निर्णय आदि करना चाहिए ।
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