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Vicky Tiwari
Narpat Ram
#हरित_प्रणाम 🌳🌍🌲 #पर्यावरण चेतना यात्रा प्रो. #श्यामसुंदर ज्यांणी जी, डूंगर कॉलेज बीकानेर हरित पाठशाला, पारिवारिक वानिकी अवधारणा को लेकर कई वर्षों से पर्यावरण #संरक्षण के कामों में लगे हुए है और पिछले दिनों इन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा "लैंड फ़ॉर लाइफ" #अवार्ड से सम्मानित किया गया जो हम सभी के लिए गर्व और गौरवशाली रहा है और सभी को अपार प्रसन्नता हुई ।। प्रो ज्यांणी जी ने 5 जून 22 को भगवान जसनाथजी की जन्मभूमि, डाबला तालाब धीरेरां स्टेशन, लूणकरणसर, #बीकानेर से "देव जसनाथ पारिवारिक वानिकी यात्रा" शुरू की है। जिसका उद्देश्य देवभूमि डाबला तालाब को पर्यावरण का विश्व स्तरीय तीर्थ बनाना है। कई जगह से गुजरती हुई यह #यात्रा 18 जून को बाड़मेर #जिले के अकदड़ा गांव में प्रवेश किया,यहां राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जोधानी हुड्डों की ढाणी(अकदड़ा) पर्यावरण संगोष्ठी रखी जिसमें प्रो. Shyam Sunder Jyani ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे,पर्यावरण को बचाने के लिए हमारे पास सिर्फ एक ही विकल्प है वो धरती को पेड़-पौधों से हरी भरी करना,हर व्यक्ति अपने हिस्सा का पर्यावरण के संरक्षण का जिम्मा उठाना चाहिए। उन्होंने बड़े-बुजुर्गों से आह्वान किया कि नशावृत्ति से दूर रहे तथा वर्तमान पीढ़ी को इससे दूर रखें। सामाजिक कार्यक्रम व अन्य किसी भी कार्यक्रम में मनुहार के रूप में नशा परोसते हो यह पीढियां बर्बाद कर देगा,इसलिए इससे दूर रहे औरों को भी इससे दूर रखें। उन्होंने आगे कहा कि डाबला तालाब विश्व स्तरीय तिर्थ बनेगा,इस महातीर्थ में हर व्यक्ति को तन मन धन से सहयोग देना चाहिए। जसनाथजी सम्प्रदाय के अनुनायियों से अपील की कि वे अपने कमाई के अंश का पांचवा हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए,प्रत्येक परिवार रोजाना एक रुपिया डाबला तालाब निमित्त करे। उन्होंने अकदड़ा के 600 बीघा ओरण भूमि को विदेशी किंकर(बबूल) की जगह देशी पौधे व धामन घास लगाकर पर्यावरण व पशु संरक्षण के लिए उपयोग लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि "जठे जाळ, बठे जसनाथ" इस धरती को बचाने के लिए जसनाथ जी के 36 नियमों की पालना करनी चाहिए। हर व्यक्ति को 36-36 जाळ व खेजड़ी के पेड़ लगाने चाहिए। इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo Jalam Jat सर ने अपने उद्बोधन में बताया कि जसनाथ जी के 36 नियमों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में ही बताया गया है, हर व्यक्ति को प्रत्येक साल कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। ज्याणी सर ने कार्यक्रम में पधारे सभी लोगों को पीलू व सहजन के बीज भेंट कर,अधिक से अधिक पौधारोपण को कहा। आज इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo जालमसिंह सारण, अकदड़ा सरपंच प्रतिनिधि Hemant Kumar , Gunesh Hudda ,मगाराम हुड्डा, Prem Singh Hudda ,देवाराम ,उदयराज, Kheta Ram Jangid , Moti Ram Jat , नरपतराम जाँगिड़ भारतीय पनावङा ,आसुराम,रामलाल हुड्डा,जसराज गोदारा,नरेश गोदारा,महेंद्र हुड्डा,तुलसाराम हुड्डा सहित अनेक लोग उपस्थित हुए। ©Narpat Ram #fullmoon
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
सिर साठै रुख रहे तो भी सस्तो जाण,, वृक्षादेवा वास्ते,दे दिया इमारती प्राण, विश्व पटल पर पर्यावरण सुरक्षा व पशु पक्षियो के प्रेम का बेजोड उदाहरण"""राजस्थान के जोधपुर जिले के ""खेजडली"गाँव के (इमारती बनाम,अमृता बाई)का नाम इतिहास मे स्वर्ण पंक्ति मे लिख्यो जावै,,,, राजस्थान के लोक देवता व पर्यावरण वैज्ञानिक"जाम्भोजी "ने बीस +नौ =बिश्नौई नियम बनाकर ""अपने अनुनायियो की टीम अर्थात् "बिश्नौई"समाज की स्थापना की ,,,जो इतिहास मे ,, पर्यावरण संरक्षण व वन्य जीवो के प्रति उदारवाद के लिये "प्रसिद्ध" है """
read moreNarendra Singh Yadav
तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा म
तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा म
read moreShrawan Kumar Yadav
जो हमारे भरोसे सब से बैर लिया जो हमारी खुशी के लिए खुशी छीनने वालों से भिड़ गया ऐसे क्षेत्रीय नेता श्री भालचंद्र यादव आज अकेला ना छोड़िए नीकलिये वोट करियेभाइयों हमारे जिले में एक अनमोल रत्न श्री भालचंद्र यादव जी हैं हम अपने जिले की ताकत को बाहरी लोगों के हाथों में नहीं दे सकते हैं हम अपने जिले की ताकत को श्री माननीय भालचंद्र यादव जी के रूप में देखना चाहते हैं जय श्री भालचंद्र यादव #NojotoQuote congrass ko vote kare bhalchandra ko support kare
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read moreअमित ओझा
भारत महापुरषों का देश है जहाँ एक से बढ़कर एक महापुरुष पैदा हुए, जिनमे वीर कुंवर सिंह भी एक थे. बिहार की माटी के लाल बाबू वीर कुंवर सिंह को बिहार का बच्चा बच्चा भी जानता है,क्योंकि उनकी आन बान शान और सम्मान में हम सब बचपन से होली और अन्य लोकगीतों में देश के लिए उनके त्याग और बलिदान की कथा सुनते आ रहे हैं. जिन्होंने 80 वर्ष की उम्र में भी ब्रिटिश हुकूमत से लड़कर उनके दांत खट्टे कर दिए थे. जी हां आज में 1857 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार का नेतृत्व करने वाले वीर सपूत वीर कुंवर सिंह जी की जीवनी के बारे में बताने जा रहा हूँ. जी हाँ जैसा की आप सभी अब जानने लगे है की आजादी के बाद कई दशकों तक एक शाजिश के तहत हमारे देश के विभिन्न राज्यों के स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा को दबाने और महज कुछ जो सत्ता के आस पास रहने वाले थे उनका नाम ऊपर लेन की साजिशें चली और उसका परिणाम ये हुआ की जो जीर शहीद वास्तव में स्मरणीय होना चाहिए उन्हें भुला दिया गया और उन्ही में से एक है हमारे वीर कुंवर सिंह जिनका शौर्य शहीदी दिवस23 अप्रैल को था. वीर कुंवर सिंह का जन्म सन 1777 में बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह और माता का नाम महारानी पंच रतन देवी था. इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे. बचपन से ही कुंवर सिंह अपने पूर्वजों की भांति कुशल यौद्धा थे. इनके पास बड़ी जागीर थी लेकिन एस्ट इंडिया कम्पनी ने जबरन कुंवर सिंह की जागीर को हड़प लिया था. जिससे कुंवर सिंह अंग्रेज और ईस्ट इंडिया कंपनी से खफा थे. वीर कुंवर सिंह की शादी राजा फ़तेह नारायण सिंह की बेटी से हुई जोकि मेवारी सिसोदिया राजपूत थे जो गया जिले के ज़मींदार थे. जागीरदार साहेबजादा सिंह के घर पैदा हुए कुंवर सिंह बचपन से ही वीरता एवं साहस का परिचय दे रहे थे. सन 1848-49 ई• डलहौजी की विलय नीति ने राजों- रजवाड़ो में भय पैदा कर दिया था, जिससे कुंवर सिंह अपनी वीरता दिखाने को आतुर हो उठे.रही- सही कसर नई इनफील्ड रायफलों ने पूरी कर दी, जिससे हिंदुओ एवं मुसलमानों दोनों की धामिॅक भावनाएं आहत हो रही थी. उस समय अंग्रेजों ने जो किसानों पर अत्याचार किया उससे किसान और आम जनता में अत्यंत ही रोष पैदा हो गया था जिसे वीर कुंवर सिंह ने नेतृत्व प्रदान किया,जिसकी तपिश ने सरकार की चूलें हिला दी. 1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया. मंगल पाण्डे की बहादुरी ने सारे देश में विप्लव मचा दिया. बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर और रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी. मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी और दिल्ली में भी आग भड़क उठी. ऐसे हालात में बाबू कुंवर सिंह ने भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया. 27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया. अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा. जब अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज और बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई. बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गए. आरा पर फिर से कब्जा जमाने के बाद अंग्रेजों ने जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया.।
Brajesh kumar
बचपन के दिन चार, ना आएंगे बार बार, जिले जिले मेरे यार, जेब खाली तो उधार। बचपना ।।।।😢😢😊😊😊 बचपन के वो दिन चार , याद आते हैं मुझे बार बार। दे जाते हैं नेत्रों में खुशियों की धार, बचपन के वो दिन चार।। वो खिड़कियों की सलाखों पर झूला, दीदी मुझे अभी तक न भूला। वो भईया के कंधे की सवारी,
बचपना ।।।।😢😢😊😊😊 बचपन के वो दिन चार , याद आते हैं मुझे बार बार। दे जाते हैं नेत्रों में खुशियों की धार, बचपन के वो दिन चार।। वो खिड़कियों की सलाखों पर झूला, दीदी मुझे अभी तक न भूला। वो भईया के कंधे की सवारी,
read moreDaily5news
UPSC: चाय वाले का बेटा बना IAS, ब्याज से पैसे लेकर की पढ़ाई पूरी डेली5न्यूज(इकबाल राजा) राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले देशलदान ने आईएएस में 82वीं रैंक हासिल कर अपने घर-परिवार, समाज और जिले का भी नाम रोशन किया है। देशलदान के पिता चाय बेचने का काम करते है। इस लड़के ने साबितकर दिया है कि भले ही वह संसाधन संपन्न नहीं है, लेकिन सफलता के लिए जुनून की जरूर होती है ना कि पैसों की। देशलदान की पढ़ाई के दौरान उसके पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर भी उसकी शिक्षा को लगातार जारी रखा और अब वह मेहनत सफल हो गई।
UPSC: चाय वाले का बेटा बना IAS, ब्याज से पैसे लेकर की पढ़ाई पूरी डेली5न्यूज(इकबाल राजा) राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले देशलदान ने आईएएस में 82वीं रैंक हासिल कर अपने घर-परिवार, समाज और जिले का भी नाम रोशन किया है। देशलदान के पिता चाय बेचने का काम करते है। इस लड़के ने साबितकर दिया है कि भले ही वह संसाधन संपन्न नहीं है, लेकिन सफलता के लिए जुनून की जरूर होती है ना कि पैसों की। देशलदान की पढ़ाई के दौरान उसके पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर भी उसकी शिक्षा को लगातार जारी रखा और अब वह मेहनत सफल हो गई।
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