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kumaarkikalamse
काश, लेकिन, किन्तु, परन्तु में ज़िन्दगी उलझ कर रह गयी, सुख की चादर औढ़ी भी ना थी कि ग़म की नदियाँ बह गयी..! आशाओं के खेल में, उम्मीदों ने खाई हर बार मात, जीत तरसी, कमजोर थी झूठी कसमों की दीवार, ना चाहते भी ढह गयी..!! #Kumaarsthought #kumaaronzindagi #ढह #आँखों #दीवार
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read moreAkshit Ojha
तुम घर आए मेरे, हम बड़ी खामोशी से, सह गए , हमने तो अभी तेरे शहर में पांव रखी है, मियाँ तुम तो अभी से ढ़ह गए ।। #हमनेमाना #तुम #ढह #गये #हो #oneliner #thoughts
Death_Lover
अगर आपको कोई नई शुरुआत करनी है तो पहले सब कुछ पूरी तरह ढह जाने दो॥ ©Himanshu Tomar #Mic #ढह #नई_शुरुआत
Diwana Pushp
बड़ी #शिद्द्त से #संवारा था किसी ने , #चाहत की #मिटटी_पानी से अब #ढह रहा हूँ मैं ...😔😔 अपने ही #आंखों के पानी से...!! ©P.k.insan #lostinthoughts
Bambhu Kumar (बम्भू)
2. थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में
PuRuShOtAm PaReEk
हमारे बचपन की यादो की आखिरी इमारत ढह गयी इमारत के हर पत्थर के साथ वो खुशिया बह गयी वो खुशियों का महल ढह गया बस यादें जहन में रह गयी जिस इमारत ने कई जीवन संजोए थे खुशियो से भरे वो अपने आखिरी पलों में देखो कितने दर्द सह गयी। #इमारत
Deepika Kashyap
वाह! क्या कयामत ढह रही हैं नींद यहा आ रही हैं और आंखें उनकी चड रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं अजीब इततिफ़ाक हैं ना.... सपना हम देख रहे हैं और हकिकत वो समझ रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं रोज मुलाकात की बात हम करते थे उसे ही वो मुलाकात समझ रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं पर्दानशी जो ठहरे वो क्यों निगाहो को हमसे मिलायेंगे हम तो सिर्फ़ उनकी नजरों मे आवारा हैं वो क्यों हमको दिल से लगायेंगे अजीब हाल-ए-दिल हैं हमारा केसे उन्हें बतलाये उनके इश्क़ मे फ़ना होने को कब तक टकटकी लगाये वाह जी वाह क्या कयामत ढह रही हैं. वाह! क्या कयामत ढह रही हैं नींद यहा आ रही हैं और आंखें उनकी चड रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं अजीब इततिफ़ाक हैं ना.... सपना हम देख रहे हैं और हकिकत वो समझ रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं रोज मुलाकात की बात हम करते थे
वाह! क्या कयामत ढह रही हैं नींद यहा आ रही हैं और आंखें उनकी चड रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं अजीब इततिफ़ाक हैं ना.... सपना हम देख रहे हैं और हकिकत वो समझ रही हैं वाह क्या कयामत ढह रही हैं रोज मुलाकात की बात हम करते थे
read moreJiten rawat
सब मिट्टी हो जाता है भूख दफ़न हो जाता है,खून पानी हो जाता है। सब खत्म हो जाता है,सब मिट्टी हो जाता है। शरीर साथ छोड़ जाता है,आत्मा अमर हो जाता है। सब खत्म हो जाता है,सब मिट्टी हो जाता है। जो पाया तूने यहाँ,वो यहीं रह जाता है। सब खत्म हो जाता है,सब मिट्टी हो जाता है। तू कुछ भी बचा न पायेगा,घर तक ढह जाता है। सब खत्म हो जाता है,सब मिट्टी हो जाता है। मोह माया छोड़ दे तू,पाँच तत्वों का शरीर भी सब खत्म हो जाता है,सब मिट्टी हो जाता है। सच तो यही है, एक दिन सब मिट्टी में मिल जाता है। Jitendra Kumar Rawat #nojotoqiute #nojotothought #nojotowriter #Distroy #AtoZ #भूख #दफ़न #खून #पानी #सबखत्म #मिट्टी #शरीर #आत्मा #अमर #मिट्टी #पाया #यहाँ, #घर #ढह #मोह #माया #छोड़ #पाँचतत्वों #शरीर
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