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Best सम Shayari, Status, Quotes, Stories

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Rohidas maharaj Sanap

#प्रेमानंद महाराज #सम शत्रोच मित्रोच तथा मानपमानयो #रोहिदास महाराज सानप #सानप महाराज बेजगाव #जितु बन्सवाल #स्वप्नील ससाने

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Yadav Gourav

मिजाज _HUM👦ारा भी #कुछ-कुछ HAI #समुंद्र के 👊 पानी जैसा.. #खारे #HAIं #मगर खरे #HAIं..

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Anand Dadhich

कोई तो हो, 
जो मुस्कान मे छुपा गम पहचाने
जो अरमान मे छुपा सम पहचाने
कोई तो हो, 
जो अभिमान मे छुपा अहं पहचाने
जो दरबान मे छुपा दम पहचाने
कोई तो हो, 
जो विज्ञान मे छुपा वहम पहचाने
जो ध्यान मे छुपा धर्म पहचाने
कोई तो हो, 
जो मुझमे छुपा हम पहचाने! #कोई #love #romantic #poetry #ananddadhich #dadhichanand #हम #गम #दम #सम #धर्म #वहम

Amar Singh

अच्छी बातें

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दोहा

मानव पशु सम हो गया,
करता पशु सम काज  ।।
फिर भी मानव कर रहा,
मानवता पर नाज ।।
         अमर'अरमान' अच्छी बातें

Tanjay Basumatary

#God

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May God जाइखौ नो‌ं फुजियो बेनो नोंनि इशोर।
गसाइखौ आनजाद दाखालाम।
इशोरखौ दाबासि मानोना इशोरा सासेयानो।नों जेराव थायो नोंनि इशोराबो बेवनो थायो।
सम आरो बोथोर लायालासेनो जों इशोरखौ जेब्लाइबो आरो जेरावबो मोन्नो हायो।
नोंनि थाखाइ इशोरहा अराइबो सम दं। #God

supriya singh

#Love

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सारी दुनियां में मानव भरे हैं मगर,
सच्चे साथी का मिलना है भगवत कृपा।
आते जाते हैं जीवनभर साथी मगर,
जीवनसाथी का मिलना है भगवत कृपा॥

सबको मिलते नहीं कितना कर लो जतन,
हैं मिले जिनको समझो है भगवत कृपा।
दो बदन हो भले, प्राण दोनों में सम,,
ऐसी जोड़ी का मिलना है भगवत कृपा॥

हर कदम हर घड़ी साथ हो यदि सहज,
स्वर्ग की कल्पना यह नहीं दूजा कुछ।
प्रेम बढ़ता रहे नित नये भाव में,,
अंत तक ऐसा चलना है भगवत कृपा॥

गिरा अरथ जल बीचि सम, कहिअत भिन्न न भिन्न। #Love

Prakash Shukla

प्रकाश

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पत्रकारिता का है ये बदलता स्वरूप
युग युगान्तर यूँ ही संग चलता रहे
सत्रधारिता विहीन विफलता का कूप
पथ पथान्तर होने से सम्भलता रहे

दृष्टि हो सम्यक् तो विस्थापित हो चूक
यदि मुद्दे हों विषयक पत्रकारी अचूक
फैलेगा सम भाव ज्यों सूरज की धूप
दीन दुखियों का लो पक्ष बैठो न मूक

सम समान्तर समय यूँ बदलता रहे
पख पक्षान्तर यूँही रोज टलता रहे
पत्रकारिता का है ये बदलता स्वरूप
युग युगान्तर यूँ ही संग चलता रहे

प्रकाश प्रकाश

Gokul Tapadiya

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#DearZindagi महादेवा .... शम्भू 
जय शंकर 

पापिया दे करे ओ  गोरा मेला जरे दी जी, मेला जरे दी... 
विच सम सना रेण्डा , भोलेनाथ जी ...... 
पापिया दे करे ओ  गोरा मेला जरे दी जी, मेला जरे दी... 
विच सम सना रेण्डा , भोलेनाथ जी ......
 काले ओ कुंडला वाला, मेरा भोले बाबा ... 
किधर कैलासा तेरा, डेरा हो जी 
सर पे ओ तेरे  गंगा, मैय्या बिराजे 
मुखट पे चंदा , मामा हो जी........  
 ॐ नमः शिवाय शम्भू ॐ नमः शिवाय
शम्भू  ॐ नमः शिवाय
भंग जो पीता ओ शिवजी तूने रे माँगा जी रे माँगा
बड़ा ही तपारी मेरा भोले अमली ..... 

भंग जो पीता ओ शिवजी तूने रे माँगा जी रे माँगा
 बड़ा ही तपारी मेरा भोले अमली .....   
 ओ मेरा भोला है भंडारी करता नंदी की सवारी 
ओ भोलेनाथ रे..... ओ शंकरनाथ रे  ...... 
ओ मेरा भोला है भंडारी करता नंदी की सवारी 
ओ भोलेनाथ रे...... ओ शंकरनाथ रे  ...... 
 ओ गोरा भांग रगड़ के बोली 
तेरे साथ हे भूतो की टोली 
ओ मेरे नाथ रे...... ओ शम्भुनाथ रे... 
 ओ भोलेबाबा जी , दर तेरे मैं आया जी 
झोली खली लाया जी खली झोली भरदो जी 
काळा आ सरपा वाला मेरा भोले बाबा..... 
शिखर कैलासा बीच रहदा हो जी 
  भोले भोले भोले भोले भोले भोले...........

कवि मनोज कुमार मंजू

पानी कहूँ या जिन्दगी, है जीवन का सार|
बूँद-बूँद में बंट गई, मोटी-मोटी धार||
सूखी पड़ी जमीन की, तुझसे बुझती प्यास|
अंकुर-अंकुर में जगे, फिर जीवन की आस||
तुझ बिन अन्न न उपजते, मिटे न जग की भूख|
बिन पानी इस जगत में, रहे सूख की सूख||
अमृत सम लगता यही, जब हो तीखी प्यास|
नर, खग हो या जानबर, सबको आये रास||
दिन प्रतिदिन ये घट रहा, है चिन्ता की बात|
मूरख जन अनजान बन, खुद ही करते घात||
पानी को न बहाइये, इसकी कीमत जान|
गन्दा करना छोड़ दो, छोड़ो तुम अज्ञान||
संचय जितना कर सको, करो जतन हर कोय|
बूँद-बूँद सों घट भरे, घट सागर सम होय||
'मँजू' पानी बूँद भी, व्यर्थ न बहने पाए|
सब जन मिलकर ठान लें, तो पानी बच जाए||
                  © मनोज कुमार "मँजू"
                       युवा कवि, मैनपुरी
                     📱९७१९४६९८९९ #manojkumarmanju
#manju
#hindipoems

Shubham "Sambhav"

जीवन की सीख.....

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जीवन की सीख, 
मांगे न मिलती भीख। कारवां! न बढ़े आगे
हो जाता है सूखा ईख! 

न रस होता है उसमें 
ईख सम जीवन हो जाता, 
बढ़ जाती है बैचेनी 
मन फिर जड़ हो आता। 
न आती फिर कोई सोच नीक 
जीवन की सीख........ 

कदम बढ़े आगे 
रुकने न पावे
मार्ग जो विषम हो, 
पुष्प ही आवे। 
सफलता की वही राह ठीक. 
जीवन की सीख........ 

चलने की बात क्या! 
कछुये सम चलेंगे। 
मंजिल दूर क्यों न हो,
 रेंगकर पहुंचेंगे। 
अपनी  यही राह ठीक। 
जीवन की सीख..... जीवन की सीख.....
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