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Swarima Tewari
कैसे सीख जाती हो तुम..? (full in caption) कैसे सीख जाती है वो लड़की आनन फानन में रसोई की बातें? वो लड़की जिसने होस्टल रूम में आधी ज़िन्दगी गुज़ारी लगभग आधे से थोड़ा ज़्यादा दिन गुज़ार देती है अब रसोई के रख रखाव में वो लड़की जिसने चम्पी भर तेल हाथ में लिया था
कैसे सीख जाती है वो लड़की आनन फानन में रसोई की बातें? वो लड़की जिसने होस्टल रूम में आधी ज़िन्दगी गुज़ारी लगभग आधे से थोड़ा ज़्यादा दिन गुज़ार देती है अब रसोई के रख रखाव में वो लड़की जिसने चम्पी भर तेल हाथ में लिया था
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पकवानों में "पूरी" का, रिश्तों में "दूरी" का, आँखों में "भूरी" का, रसोई में "छुरी" का, बड़ा महत्व है।... #पकवान #रिश्ते #आँख #रसोई #बड़ा #महत्व #tanishka #mehfil_e_100niG #mehfil_e_gulzar
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बारात में "दूल्हे" का, रसोई में "चूल्हे" का, बड़ा महत्व है।... #बारात #रसोई #बड़ा #महत्व #tanishka #mehfil_e_gulzar #mehfil_e_100niG
Deepak Raj
मेरे संघर्ष की कहानी जीवन एक संघर्ष है (कहानी) एक पिता अपनी बेटी के साथ उसके घर में रहता था। दोनों ही एक दूसरे को बहुत सम्मान व प्यार देते थे और बहुत मिलजुलकर साथ रहते थे। एक दिन बेटी अपने पिता से शिकायत करने लगी कि उसकी ज़िन्दगी बहुत ही उलझी हुई है। बेटी आगे कहने लगी “मैं जितना सुलझाने की कोशिश करती हूँ जीवन उतना ही और उलझ जाता है, पापा! सच में मैं बहुत थक गयी हूँ अपने जीवन से लड़ते-लड़ते। जैसे ही कोई एक समस्या खत्म होती है तो तुरंत दूसरी समस्या जीवन में दस्तक दे चुकी होती है। कब तक अपने आप से और इन समस्याओं से लड़ती रहूंगी।” बेटी की बातें सुनकर पिता को लगा वह काफी परेशान हो गई है। सारी बातें ध्यान से सुनकर पिता ने कहा मेरे साथ रसोई में आओ। पिता कि आज्ञानुसार बेटी अपने पिता के साथ रसोई में खड़ी हो गई। उसके पिता ने कुछ कहे बिना तीन बर्तनों को पानी सहित अलग-अलग चुल्हों पर उबालने रख दिया। एक बर्तन में आलू, एक में अण्डे और एक में कॉफी के दाने डाल दिए और चुपचाप बिना कुछ कहे बैठ के बरतनों को देखने लगे। 20-30 मिनट पश्चात पिता ने चुल्हे बंद कर दिए। अलग-अलग प्लेट में आलू व अण्डे और एक कप में कॉफ़ी निकालकर रख दी। फिर अपनी बेटी की ओर मुड़कर पूछा – बेटी तुमने क्या देखा? बेटी ने हंसकर जवाब दिया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी। पिता ने कहा – जरा नज़दीक से छूकर देखो फिर बताओ तुमने क्या देखा? बेटी ने आलू को छूकर देखा तो महसूस किया कि वो बहुत ही नरम हो चुके थे। पिता ने अपनी बात दोहराई और कहा – अब अंडे को छीलकर देखो। बेटी ने वैसा ही किया और देखा अंडे अंदर से सख्त हो चुके थे। अंत में पिता ने कॉफ़ी का कप पकड़ाते हुए कहा अब इसे पियो। कॉफ़ी की इतनी अच्छी महक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और वह कॉफी पीने लगी। फिर उसने बड़े उत्सुकता के साथ अपने पिता से पूछा – पापा इन सब चीज़ों का क्या मतलब है। आप मुझे क्या समझाना चाहते है? बेटी की उत्सुकता को शांत करने के लिए पिता ने समझाया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी तीनो एक ही अवस्था से गुजरे थे। तीनों को एक ही विधि से उबाला गया था। परन्तु जब इन चीज़ों को बाहर निकाला गया तो तीनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी। जब हमने आलू को उबालने रखा था तो वह बहुत सख्त था परन्तु उबालने के बाद वो नरम हो गया। जब अण्डे को उबलने रखा था तब वह अन्दर से पानी की तरह तरल था परन्तु उबालते ही सख्त हो गया। उसी तरह जब कॉफ़ी के दानों को उबालने रखा तब वह सारे दाने अलग-अलग थे मगर उबालते ही सब आपस में घुल-मिल गए और पानी को भी अपने रंग में रंग दिया। बेटी! ठीक इसी तरह जीवन में भी अलग-अलग परिस्थितियां आती रहती है। तब इंसान को खुद ही फैसला लेना होता है कि उसे किस परिस्थिति को कैसे सम्भालना है। कभी नरम होकर, तो कभी सख़्त होकर और कभी-कभी सब के साथ घुल-मिलकर। दोस्तों, समस्या किसके पास नही होती? दुनिया में ऐसा कोई मनुष्य नही जो परेशानी का सामना ना कर रहा हो। हर समस्या हमें कुछ ना कुछ सिखाकर ही जाती है। परेशानियाँ हमें अनुभवी बनाती है। बस एक बात हमेशा याद रखे अगर जीवन में समस्या है तो उसका समाधान भी है। वो समाधान क्या है इसका पता आपको स्वयं लगाना होगा। समस्याओं से हार ना माने बल्कि जीवन की हर चुनौती का हँसकर सामना करे और खुद के मनोबल को मजबूत बनाएं। समस्या से भागना या कतराना एक कमजोर व्यक्ति की पहचान है।
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नयी दुल्हन ससुराल पहुंची । सास ने कहा- "बहू, तुझे जो भी बनाना आता है और अच्छा लगता है रसोई में जाकर बना ले । मैं भी वही ले लूंगी । थोड़ी देर में रसोई से बहू की आवाज़ आयी - "माता जी, आप वाले में पानी डालूं या सोडा ?? 🍺🍻🥂 🤪😝😜😂🤣😅😅 @mk #desi jokes
#Desi jokes
read moreGeeta Panjwani
बचपन और पहला दोस्त मिट्टी की चार ईंटे ।। यंहा वंहा से चुनकर लाया हुआ पेपर कागज कचरे सा -);; ये थी मेरी रसोई घर । बहुतछोटी थी मैं बहुत ज्यादा 3 या 4 कक्षा में ।। एक खुला सा बडा मैदान था घर के सामने कुछ दिनो से बंजारे रहने आए थे यंहा ।। कुठ नया बन रहा था उसी के मजदूर थे ।। रोज देखती थी उनकी औरते और मर्द साथ काम पे निकल जाते थे ।। उनके बच्चे मिट्टी मे खेलते रहते थे ।।मौज से मजे से ।। ये सब रोज का था ईसलिए आम लगता था एक दिन बहुत मायूस दिखे वो बच्चे ।। खेल भी नही रहे थे ।। मुझे न बचपन से ही हर बात जान ने का बडा शौक रहता है ।। पुछ लिया मैने " ऑए तूम क्यु दुखी हो ।।खेलो न खेल क्यु नही रहे ?? गरीब बेचार चुप रहे ।।जवाब न दिया ।। "बाड में जाओ "कहकर मैं निकल गई ।।। पर मुझे चैन न आया ।।।क्यूकि रो रहे थे यार दो तीन छोटे छोटे बच्चे ।। अब मैं अपने असली रूप में आ गई और गुस्से से पुछा । "बताते हो के नही "??। नही तो कल ही तूम लोगो को भगा देंगे यंहा से देख लेना ।।मेरे प्पा सेकर्टरी है सोसायटी के हमारा ही राज चलता है ।।"" मेरी धमकी काम कर गई ।। " हमारी मां रोज हमारे लिए खाना बनाके जाती है रात को बारिश की वजह से सुबस चुला जला ही नही अब हमे बहौत भुख लगी है ।।।" है भगवान ।मैं भले कितनी भी शैतान थी बचपन में पर ईस तरह किसी को भुखा नही देख सकती थी ।। " कौन कौन क्या लाएगा" मेरी टोली से पुछा ?? आता जाता हम मे से किसी को कुछ नही था पर तैयार सारे हो गए थे।।। " मीना मैं आलू लेके आती हु ।तु पौंआ ले आ ।।सीमा राई और हरा धनिया ले आ तेल मसाले सब एक एक लाओ ।। मिट्टी की चार ईंट का चुल्हा ।। थोडा सा गासलेट ।बहुत सारा कचरा ।घर के पेपर ।।। मेरी अगवानी ।।। तेल मे राई डाली ।।जल गई " अरे ईसने तो जला दिया "" उसने कहा "हा तो तू मत खाना" बोल दिया मैने ।।मेरी हुशारी तो बचपन से ही सुबानअल्लाह है ।। मुजे आज भी याद है ।।पुरे कच्चे थे आलू नमक थोडा ज्यादा था और ।।। पौंआ नही ।।पुरे पौंआ का हलवा बनाया था मैने। मुझे कूया पता पानी नही डलता ?? खैर साथ मे आलु भी उभाले ।।मैं टीम लीडर थी तो घर के सारे आलू उठा लायी थी ।। हमने उनके साथ बैठकर थोडा थोडा खाया ।। वो सचमुच बहुत भूखे थे यार ।।। हाथ से भर भर के ईतना कच्चा पक्का खाना खा गए ।।।। उनहोने खाना खाया और हम सभने मार मम्मी की ।।। अरे हा ।। सच्ची में ।। हमारी सोसायटी "तारक महेता का उलटा चश्मा " जैसी थोडे ही थी ।।। ईसलिए सबको मार मिली ।। मुझे अपनी मम्मी की मार और बाकी सारी म्मियो की डांट ।। After all leader जो ठहरे अपुन ।। पहली रसोई पे हमेशा ।। पारितोषक ।।या खरची मिले ।एसा जरूरी नही कभी कभी मार डांट भी मिलता है ।। समझा ।।।
Sweety Mamta
घुँघरु कई सालों पहले अलमारी में रखे घुंघरू आज फिर अलमारी से झांकने लगे थे। इसलिए तो मौका पाते ही ,दोनों पैरों में पहनने वाले घुंघरू बाहर निकल आये, शायद मेरा सामान निकालना एक बहाना था। उनको तो बाहर आने का की मौका मिल गया। मैंने भी हड़बड़ी से उन घुंघरुओं को उठा कर युही अपने बिस्तर पर रख दिया , और सरपट रसोई में दौड़ी। और भिंडी की सब्जी काटते हुये सोचने लगी, ज्यो आज वो घुंघरू दिखी गए हैं तो मैं,, आज अपना कत्थक जरूर करूंगी। तब तक रवि ने आवाज लगाई ,, "अरे विद्या जरा तौलिया तो रख दो,, मुझे नहा कर निकलना
घुँघरु कई सालों पहले अलमारी में रखे घुंघरू आज फिर अलमारी से झांकने लगे थे। इसलिए तो मौका पाते ही ,दोनों पैरों में पहनने वाले घुंघरू बाहर निकल आये, शायद मेरा सामान निकालना एक बहाना था। उनको तो बाहर आने का की मौका मिल गया। मैंने भी हड़बड़ी से उन घुंघरुओं को उठा कर युही अपने बिस्तर पर रख दिया , और सरपट रसोई में दौड़ी। और भिंडी की सब्जी काटते हुये सोचने लगी, ज्यो आज वो घुंघरू दिखी गए हैं तो मैं,, आज अपना कत्थक जरूर करूंगी। तब तक रवि ने आवाज लगाई ,, "अरे विद्या जरा तौलिया तो रख दो,, मुझे नहा कर निकलना
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