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Best असमर्थ Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dev Rishi

#असमर्थ शब्द सॉरी

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Aamir Qais AnZar

Thanks YourQuote Baba for liking my Quote..🙏 Rejection is always rough, but our ability to deal with failure and rejection would determine how successful and happy we are. Failure breeds success : You have to lose to win. Your greatest victory will only materialize after your worst loss. Collab with Democrats & Dissenters on this dndwow background and share your thoughts with us:) dndwow247 Collaborating with Democrats & Dissenters #EGOisThatRelative #TheTrueJOYinLifeIS #FearOfRejection F

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Worst failure is when people are
unable to handle success.

असफलता तब होती है जब लोग 
सफलता को संभालने में असमर्थ होते हैं। Thanks YourQuote Baba for liking my Quote..🙏
Rejection is always rough, but our ability to deal with failure and rejection would determine how successful and happy we are.

Failure breeds success :
You have to lose to win. Your greatest victory will only materialize after your worst loss.
Collab with Democrats & Dissenters on this dndwow background and share your thoughts with us:) dndwow247 
Collaborating with Democrats & Dissenters    
#EGOisThatRelative #TheTrueJOYinLifeIS #FEARofRejection #F

संजीव चाहर

#भगवान #अर्थ #असमर्थ #MahaKumbh2021 Nishi bansal komal sindhe. Shristi Yadav Tanu pal Anwesha Rath

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जिस भगवान को *संजू* इंसान ने बनाया उसके जितने मर्जी निकालो अर्थ।
जिस भगवान ने *संजू* हम सब जीव-जगत को बनाया 
"उनका अर्थ निकालने में हम सब असमर्थ"।।
🙄🤔🤫🤭🙏🔱🕉️🧘‍♂️

©संजू #भगवान #अर्थ #असमर्थ 

#MahaKumbh2021  Nishi bansal  komal sindhe. Shristi Yadav Tanu pal Anwesha Rath

MOHIT KUMAR BHATRA

|| असमर्थ में ||




हम लड़ नहीं पाते 
जब हमें कोई तड़पा रहे होते हैं
 हम फिर किसी को कहना भी चाहे 
लेकिन
 कहना नहीं चाहते ।

😓










*NOJOTO family






           writer 
               Mohit Bhatara #SushantSinghRajput #असमर्थ में... write Mohit Bhatara#विचार #बात #अनुभव #शायरी #Bollywood

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
5 - भक्ति-मूल-विश्वास

'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है।

'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

Atharva Devkar

देख रहा जो भी तू वो सब यहा नशवर है... देख न जहा पा रहा तू वही तो छुपा ईश्वर है... धुंड धूंड के थक गया मै वो दुनिया का परम सुख.. पर वो मिल ही नहीं रहा

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अस्सल मे वो सुख ही क्या
जो बार बार बुलाये
जो तत्वो को हिलाये
जो हर बार हार ही खिलाये
विवेक को गेहेरी निंद मे सुलाये
इंद्रियो को गुलामी दिलाये
जो असुर वृत्ती फुलाये
सोम का नशा तो पिलाये
पर अस्सिम आनंद से ना मिलाये...

 #NojotoQuote देख रहा जो भी तू
वो सब यहा नशवर है...
देख न जहा पा रहा तू
वही तो छुपा ईश्वर है...

धुंड धूंड के थक गया मै
वो दुनिया का परम सुख..
पर वो मिल ही नहीं रहा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 3 - मा ते संगोस्त्वकर्मणि 'जीवन का उद्देश्य क्या है?' जिज्ञासा सच्ची हो तो वह अतृप्त नहीं रहती। भगवान की सृष्टि का विधान है कि कोई भी अपने को जिसका अधिकारी बना लेता है, उसे पाने से वह वंचित नहीं रखा जाता। 'आत्मसाक्षात्कार या भगवत्प्राप्ति?' उत्तर तो एक ही है। यही उत्तर उसे भी मिलना था और मिला - 'यह तो तुम्हारे अधिकार एवं रुचिपर निर्भर करता है कि तुम किसको चुनोगे। यदि तुम मस्तिष्कप्रधान हो तो प्रथम ओर हृदयप्रधान हो तो द्वितीय।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
3 - मा ते संगोस्त्वकर्मणि

'जीवन का उद्देश्य क्या है?' जिज्ञासा सच्ची हो तो वह अतृप्त नहीं रहती। भगवान की सृष्टि का विधान है कि कोई भी अपने को जिसका अधिकारी बना लेता है, उसे पाने से वह वंचित नहीं रखा जाता।

'आत्मसाक्षात्कार या भगवत्प्राप्ति?' उत्तर तो एक ही है। यही उत्तर उसे भी मिलना था और मिला - 'यह तो तुम्हारे अधिकार एवं रुचिपर निर्भर करता है कि तुम किसको चुनोगे। यदि तुम मस्तिष्कप्रधान हो तो प्रथम ओर हृदयप्रधान हो तो द्वितीय।'


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