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Amit Singhal "Aseemit"

isheka life

Manish bhati

attitudestatus #OneSeason

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#किसकी मज़ाल छेड़े जो #दिलेर को, गर्दिश में #घेर लेते है गीधड़ भी #शेर को।

©Manish bhati attitude#status

#OneSeason

Sufiyan khan

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*गली में #खेलते_बच्चों पर #तरस आता है*
,
*यार इनको भी #मोहब्बत ने #घेर लेना है..!*

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे! लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला! तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले! यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला! हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

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होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे!
लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला!
तो इसमे चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमे बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले!
यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी हीं हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला!
हां मै यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मै कोर्ट की प

Kanha Sharma

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●अतीत की खुदाई● 
★मुझे कारगिल याद है★ 
■छटा पन्ना■
वर्ष 1999... रेड़ियो पर पूरे दिन "हिन्दुस्तान .... हिन्दुस्तान ...", "ए वतन तेरे लिए", 'संदेशे आते हैं" आदि तराने बजना...रेड़ियो के चमड़े के कवर की गन्ध और धूल भरी आंधियां...ये सब याद करके मन अतीत में अपने आप खो जाता है....लगभग हर घण्टे बाद समाचार आना और उसमें अधिकतर युद्ध के समाचार... मेरा पन्द्रहवां साल और युद्ध की पेचीदा अवधारणा... गिली मिट्टी से टाइगर हिल, काराकोरम, द्रास सेक्टर, कारगिल बना कर सीमा के उस पार और इस पार फौजें खड़ी करता तो हर बार हिन्दुस्तान ही विजय होता... और मुझे यह बहुत आसान लगता... युद्ध का लम्बे चलना और कैप्टन मनोज पांडेय, कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन सौरभ कालिया... जैसे नोजवानों की शहादत पर बहुत गुस्सा आता और खून खोल उठता... फ़ौज रेंक और उनके कंधों पर लगने वाले तमगे मुझे अच्छी तरह याद हो गए थे... कोई बात के समझ में न आने पर माँ पापा से सवाल करता तो वो कमोबेश इकहत्तर के युद्ध की भूली बिसरी यादों के जरिए मेरी उत्सुकता को शांत करने का प्रयास करते... मसलन, पापा कहते थे कि उन्हें इकहत्तर में  अंधेरा होने के बाद...बीड़ी पीने से मना किया गया था और चूल्हा भी नही जलाना था ताकि दुश्मन के रडार में न आ जाएं... मैं स्कूल जाता तो आते वक्त बस स्टैंड पर पड़े समाचार पत्र को कभी मांग कर और कभी चोरी करके घर लाता था और उन्हें सहेज कर रखता था... कुछ समाचार पत्र आज भी मेरी अलमारी में सुरक्षित है... आज भी जब अलमारी खोलता हूँ तो मैं उन समाचार पत्रों को खोलकर उनमें से समझ न पाई बातों को दुबारा समझने का प्रयास करता हूँ... मुझे जवानों द्वारा दुश्मनों से लोहा लेने की कहानियां बहुत ही ज्यादा रोमांचित करती और देशप्रेम और साहस भर देती... कारगिल युद्ध के बाद से मैं अपना कैरियर फ़ौज को बनाने में लग गया था... लेकिन बहुत सी शारीरिक कमियों के आ जाने से मैं फ़ौज के लिए शारिरिक रूप फिट न हो सका... (और अध्यापक बना... और आपको बड़े फक्र से कह सकता हूँ कि मेरे तकरीबन पचास शिष्य राष्ट्र सेवा में लगे हुए है... जिनको देखकर यूँ लगता है कि मैं खुद सेना मैं हूँ... ) भारत की सेना दुश्मन को घेर घेर कर मार रही थी और मैं हर सफलता में साथ उछलकर खुशी मनाता रहता....आखिरकार 26 जुलाई 1999 को तकरीबन दो महीने के संघर्ष के बाद भारत की विजय का समाचार मिला तो मैं खुशी से उड़े जा रहा था... किसी न किसी को यह खबर देना मेरे लिए अत्यंत जरूरी था...अंततः खेत मे काम कर रहे एक मजदूर को जब मैंने कहा कि हमारी जीत हो गयी है तो उसके बाद उनके अबोध न्यूट्रल रिएक्शन को मैंने देशद्रोह से कम न समझा... अगले स्वतन्त्रता दिवस पर शहीदों की वीरांगनाओं के चित्र देख कर काफी भावुक हुआ था... 
◆◆©◆◆Kyahoo. . .

Abhishek Rajhans

मेरा घर #Nojoto #nojotohindi Satyaprem Tamanna Sharma Miss Zaidi

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ये घर मुझे अब बियाबान सा लगता है
अपना है फिर भी अनजान सा लगता है
जहां कभी जन्नत से नजारे थे
आज वही घर कब्रिस्तान सा लगता है
तारो वाली रात बीतती थी जिस छत पर
वो छत अब सुनसान सा लगता है
घर के बाहर की नेम प्लेट पर मेरा नाम
अब गुमनाम सा लगता है
मुझे मेरा घर अब किराये का मकान सा लगता है

झुर्रियों ने घेर रखा है मुझे
इसलिए आईने के सामने
अपना चेहरा भी अनजान सा लगता है
लोग कहते है भूतो ने घेर रखा है घर को
वो भूल गए है
इन भूतो के बीच इंसान ने अपना घरौंदा बना रखा है
लोग खामखाह बदनाम कर रहे हैं मेरे घर को
इसे तो मेरे घरवालो ने ही अनजान कर रखा है
मेरे मरने का इंतजार कर
मेरे घर को नीलाम करने का अरमान पाल रखा है—अभिषेक राजहंस #NojotoQuote मेरा घर
#nojoto #nojotohindi Satyaprem Tamanna Sharma Miss Zaidi

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 19 - चपल कन्हाई इतना चपल है कि कुछ मत पूछो। यह कब, क्या कर बैठेगा, इसका कुछ ठिकाना नहीं है। हिचकना, डरना तो इसे जैसे आता ही नहीं है। जब जो जी में आया, करके ही रहेगा। घर में मैया और रोहिणी माँ इसे सम्हालती हैं। गौष्ठ में चला जाय तो बाबा साथ लगे रहते हैं; किन्तु वन में आने पर तो यह स्वच्छन्द हो जाता है। श्याम दाऊ दादा का संकोच न करता हो ऐसी बात नहीं है। संकोच तो यह अपने से बड़ी आयु के सखा विशाल, वरूथप, ऋषभ, अर्जुन आदि का ही नहीं, समवयस्क भद्र तक का करता है; किन्तु बालक बडे-बूढे

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|| श्री हरि: ||
19 - चपल

कन्हाई इतना चपल है कि कुछ मत पूछो। यह कब, क्या कर बैठेगा, इसका कुछ ठिकाना नहीं है। हिचकना, डरना तो इसे जैसे आता ही नहीं है। जब जो जी में आया, करके ही रहेगा।

घर में मैया और रोहिणी माँ इसे सम्हालती हैं। गौष्ठ में चला जाय तो बाबा साथ लगे रहते हैं; किन्तु वन में आने पर तो यह स्वच्छन्द हो जाता है।

श्याम दाऊ दादा का संकोच न करता हो ऐसी बात नहीं है। संकोच तो यह अपने से बड़ी आयु के सखा  विशाल, वरूथप, ऋषभ, अर्जुन आदि का ही नहीं, समवयस्क भद्र तक का करता है; किन्तु बालक बडे-बूढे

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 77 - विश्राम 'कनूं, तू थक गया है। आ, तेरे पैर दबा दूं।' भद्र धीरे से श्याम के चरणों के समीप बैठ गया। 'तू थक गया हो तो तेरे पैर दबा दूं।' कृष्ण इस समय अपनी मौज में है। भद्र इसके पैर दबाने लगे तो कोई पत्ता लेकर वायु करने आ पहुंचेगा। यह सब इस समय इसे अभीष्ट नहीं। भद्र के पास से अपने चरण इसने एक ओर खिसका लिये। हरी-हरी कोमल दूर्वा है। कहीं-कहीं शंखपुष्पी के उज्जवल पुष्प हैं उसमें छोटे-छोटे। ऊपर मौलिश्री की घनी छाया है। दाऊ पालथी मारे बैठा है और बडे़ भाई के समीप ही श्याम पेट के बल घ

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|| श्री हरि: ||
77 - विश्राम

'कनूं, तू थक गया है। आ, तेरे पैर दबा दूं।' भद्र धीरे से श्याम के चरणों के समीप बैठ गया।

'तू थक गया हो तो तेरे पैर दबा दूं।' कृष्ण इस समय अपनी मौज में है। भद्र इसके पैर दबाने लगे तो कोई पत्ता लेकर वायु करने आ पहुंचेगा। यह सब इस समय इसे अभीष्ट नहीं। भद्र के पास से अपने चरण इसने एक ओर खिसका लिये।

हरी-हरी कोमल दूर्वा है। कहीं-कहीं शंखपुष्पी के उज्जवल पुष्प हैं उसमें छोटे-छोटे। ऊपर मौलिश्री की घनी छाया है। दाऊ पालथी मारे बैठा है और बडे़ भाई के समीप ही श्याम पेट के बल घ


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