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Naumesh Pandey
रूद्र है प्रचंड आज भारत अखंड आज फिर भी सभ्यता का अपमान हो रहा यहाँ संस्कृती है गिर रही मान भी है गिर रहा स्वाभिमान देश का खंड खंड हो रहा रूद्र है...... भूमि -भूमि तप रही क्रूरता है दिख रही धर्म की अखंडता का आज खंड हो रहा देश द्रोहियो को आज मृत्यु की सजा नहीं छोटी बेटियों का आज अंग -अंग रो रहा देश रो रहा यहाँ रूद्र की प्रचंडता पे रूद्र की प्रचंडता का आज खंड हो रहा रूद्र है प्रचंड आज भारत अखंड आज फिर भी सभ्यता का अपमान हो रहा यहाँ...... ....... परशुराम नौमेश पाण्डेय
Pnkj Dixit
#DearZindagi 🌷मैं🌷 मैं खामोश समंदर हूं मुस्कान लहरें है । मैं सापेक्ष हंसता हूं अप्रत्यक्ष रोता हूं । तुम छुई-मुई सी नव युविका नव - उमंगों की तलैया । तुम सादगी की प्रतिमूर्ति सदा चंचल सजग हो। अगर अध्ययन करोगे मेरे जीवन का अंखियन नीर रोक ना पाओगे। अपना भविष्य , सफल जीवन खंड-खंड होकर बिखरा जाओगे। तुम नयी कविता की साक्षात अप्सरा अनगिनत ग्रंथों का अध्ययन संग्रह । मैं अनपढ़ अज्ञानी अल्प बुद्धिजीवी तुम्हें श्रंगारित नहीं कर पाऊंगा । हे सरस्वती पुत्री! क्षमा प्रार्थी कमल तुम्हें ज्ञान - प्रकाश कैसे दे पाऊंगा ? २५/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷मैं🌷 मैं खामोश समंदर हूं मुस्कान लहरें है । मैं सापेक्ष हंसता हूं अप्रत्यक्ष रोता हूं ।
🌷मैं🌷 मैं खामोश समंदर हूं मुस्कान लहरें है । मैं सापेक्ष हंसता हूं अप्रत्यक्ष रोता हूं ।
read moreVishnu Dutt Ji Maharj
मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ
मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ
read moreSoni Singh
सन्नी देओल बीजेपी जॉइन करने के बाद आशुतोष से :- उड़ जा काले कावा तेरे मुँह विच खंड पावा, 😂 😂 नोट:- कृपया *खंड को खंड* ही पढ़े,,
कैलाश नवहाल
प्रतिपल मिलती पराजय मन टूटा और कुंठित क्षय भरा हर क्षण हिम्मत हुई संकुचित पर खंड खंड साहस को फिर अखंड करना सुप्त कर्मण्य दहक को फिर से प्रचंड करना क्षुधा शिखर की और मैं विजय की पिपासा शिखर से भी उच्च होने की ये अमिट जिज्ञासा क्षय और विजय #hindi #hindilove #inspiration #indianwriters
क्षय और विजय #Hindi #hindilove #Inspiration #indianwriters
read moremukesh verma
अखंड भारत , बस किताबी बातें खंड-खंड भारत, व्यवहारीक बातें -कुमार मुकेश- #nojoto#quotes#मk
Rajesh Raana
एक जात हो , एक धर्म हो , एक राग हो , एक वर्ण हो , वो केवल हिंदुस्तानी । एक पंथ हो , एक ग्रन्थ हो , वो केवल हिंदुस्तानी , एक गीत हो, एक मीत हो , एक रीत हो , एक प्रीत हो , वो केवल हिंदुस्तानी । खंड खंड से अखंड होकर आज़ाद भारत का , सपना साकार करने हम बड़े चले। हम बड़े चले । जय हिंद , जय भारत । स्वंतंत्र दिवस की शुभ कामना आज़ाद #hindinojoto #nojotohindi #hindi #आज़ादी #भारत #स्वतंत्रता #दिवस #पर्व
आज़ाद #hindinojoto #nojotohindi #Hindi #आज़ादी #भारत #स्वतंत्रता #दिवस #पर्व
read moreRajesh Raana
आज़ादी के मायने (कैप्शन में पढ़े) आज़ादी के मायने मेरे देश का सबसे बड़ा रोग , आज़ाद देश के गुलाम लोग । हम साम्प्रदायिकता को पकड़े , हम पुरातन बेड़ियों में जकड़े । हम आधे आज़ाद , हम आधे गुलाम , हम खुशियो से आबाद , पर सोच से गुलाम। पूरी आज़ादी पे आधी गुलामी भारी पड़ती है , नौनिहालों की साँसे , सियासत से लड़ती है।
आज़ादी के मायने मेरे देश का सबसे बड़ा रोग , आज़ाद देश के गुलाम लोग । हम साम्प्रदायिकता को पकड़े , हम पुरातन बेड़ियों में जकड़े । हम आधे आज़ाद , हम आधे गुलाम , हम खुशियो से आबाद , पर सोच से गुलाम। पूरी आज़ादी पे आधी गुलामी भारी पड़ती है , नौनिहालों की साँसे , सियासत से लड़ती है।
read moreBhupendra Singh "bhuppi"
हर तरफ है धुँआ धुँआ, ज़िन्दगी सुलगती जाती है| देख मेरा हाल ऐसा मौत मंद मंद मुस्कराती है|| हर कश्मकश की कश में वो मुझमे समाती है, हौले हौले मुझे फिर जलाती है| ज़िन्दगी के इस पाषाण को, जाने क्यों वो खंड खंड बिखराती है|| देख मेरा हाल ऐसा मौत मंद मंद मुस्कराती है|| #canibreath
Mukesh Poonia
Story of Sanjay Sinha स्कूल में मास्टर साहब मुझे पढ़ाते थे कि सूरज की किरणें जो धरती पर पहुंचती हैं वो आठ मिनट पुरानी होती हैं। ऐसी बातों पर मुझे हैरान होना ही होता था। “आठ मिनट पुरानी? मतलब सूरज की जिस पहली किरण को हम यहां सुबह-सुबह देखते हैं, महसूस करते हैं, वो पहले घटी हुई घटना है?” “हां, पर तुम इतना चौंक क्यो रहे हो, संजय सिन्हा?”“सर, ये तो बहुत ही हैरान करने वाली जानकारी है। सूरज का अतीत हमारा वर्तमान है।”“बिल्कुल सही। इसे समय कहते हैं।” संजय सिन्हा थोड़ा समझते, थोड़ा उलझते। मैं अपन
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