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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#उलझती रही जिन्दगी रिश्तों के तानों बानों में कभी वक्त अपना सा लगा तो कभी बेगाना सा बदलते मौसम से बदलते रहे लोग ओर उनकी भावनाएं भी ,, बस ठहरा सा था तो एक दुःख

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उलझती रही जिन्दगी
रिश्तों के तानों बानों में
कभी वक्त अपना सा लगा
तो कभी बेगाना सा 
बदलते मौसम से बदलते रहे लोग 
ओर उनकी भावनाएं भी ,,

बस ठहरा सा था तो एक दुःख
जो कभी कम होता तो कभी ज्यादा
उम्मीद की किरण कितनी कच्ची होती है
पल पल पहर पहर टूटी होती है,,

हास्य पर खड़ी जिंदगी
आंसूओं से भीगी होती है।।

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * #उलझती रही जिन्दगी
रिश्तों के तानों बानों में
कभी वक्त अपना सा लगा
तो कभी बेगाना सा 
बदलते मौसम से बदलते रहे लोग 
ओर उनकी भावनाएं भी ,,

बस ठहरा सा था तो एक दुःख

Sunita Sharma

शिवानन्द

समय के जाल में उलझती सुलझती रही जिंदगी।
गिरते लुढ़कते ही मगर ,,,,
बाजुओं में हौसला जुनून लेकर ,,,,
मंजिलों को क़ैद करने उड़ चलीं ये ज़िंदगी। #जिंदगी #जुनून #हौसला #उलझती #सुलझती #नदान_परिंदा #yqbaba #yqdidi

Jharna Mukherjee

#Path

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#बावला सा रहता है मन तेरे #इन्तज़ार में 
 न जाने कैसा नशा है #कम्बखत इस #प्यार में । 
     एक #डोर सी है ..तेरे मेरे #दरमियां  ,
 जो बनती है #उलझती है..#सुलझती है
मगर #टूटती कभी नहीं  !!
झरना

©Jharna Mukherjee #Path

S Ram Verma (इश्क)

 #उलझती #उलझने

satender_tiwari_brokenwords

उलझती है सुलझती है फिर उलझती है
ज़िन्दगी तो हर रोज़ बदलती है #ज़िन्दगी #

Anuradha saxena

2 तेरी ऒर #Hindi#erotic#poem#sayrinojoto

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#2
"तेरी ओर "

जितनी मेरी देह
उसकी देह से उलझती गई,
उतनी ही मैं खुद में उलझती चली गई।

अचानक सब साफ नजर आने लगा
वो तुम नहीं कोई और था।

ये रात दिल में यूँ चुभी थी कि ,
कई दिनों तक एक कोने में जा रोई थी।

ना तो तुमको कुछ समझा सकती थी
ना तो खुद को कुछ समझा पा रही थी।

।। #2
तेरी ऒर
#hindi#erotic#poem#sayri#nojoto

Poetrywithakanksha9

इंतज़ार कर रही हूँ 🍁🍁🍁 Internet Jockey Vinay Vinayak Haksh Pandey Kalyani Shukla Kanika Girdhari

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उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं
मैं चांद तले तेरा इन्तजार कर रही हुं

अन्धेरा है चारों ओर गजब ही सन्नाटा है
मैं चुपके से तेरी यादों को फिर बुन रही हुं
उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं इंतज़ार कर रही हूँ 🍁🍁🍁 Internet Jockey Vinay Vinayak Haksh Pandey Kalyani Shukla Kanika Girdhari

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 24 - सुलझाता ही है कन्हाई को अपनी मोटी सुनहली बिल्ली बहुत प्रिय है। यह भी श्माम के घर में आते ही 'म्याऊं-म्याऊं' करती कहीं न कहीं से कूद आती है और फिर मोहन के आगे-पीछे घूमती रहेगी। अपना शरीर पूंछ उठाये रगड़ती रहेगी। अत्यन्त सुकुमार रोमावली की यह बिल्ली स्वभाव में भी अपनी पूरी जाति से भिन्न है। कभी किसी गोरसभाण्ड में मूख नहीं डाला इसने और मूख डाले क्यों? इसे दूध-दही, माखन न मिलता हो तो मुख डाले। बालक ही इतना खिलाते हैं कि मैया अथवा दासियों को इसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता कम ही

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|| श्री हरि: ||
24 - सुलझाता ही है

कन्हाई को अपनी मोटी सुनहली बिल्ली बहुत प्रिय है। यह भी श्माम के घर में आते ही 'म्याऊं-म्याऊं' करती कहीं न कहीं से कूद आती है और फिर मोहन के आगे-पीछे घूमती रहेगी। अपना शरीर पूंछ उठाये रगड़ती रहेगी।

अत्यन्त सुकुमार रोमावली की यह बिल्ली स्वभाव में भी अपनी पूरी जाति से भिन्न है। कभी किसी गोरसभाण्ड में मूख नहीं डाला इसने और मूख डाले क्यों? इसे दूध-दही, माखन न मिलता हो तो मुख डाले। बालक ही इतना खिलाते हैं कि मैया अथवा दासियों को इसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता कम ही

poetry_from_school

जिंदगी समझती जा रही है। योगेश 'फक़ीर' मेरी जिंदगी एक उलझन है ,और उलझती जा रही है सूलझन का नाम नहीं , जूझती चली जा रही है । देखता हूं सबकी नजरों में वफा । दुनिया मुझे खफा समझती जा रही है। समझती जा रही है। रवैया है मेरा पूर्णिमा के चांद जैसा कायनात मुझे अमावस-ए-कमर समझती जा रही है।

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जिंदगी समझती जा रही है। 
                योगेश 'फक़ीर' 
मेरी जिंदगी एक उलझन है ,और उलझती जा रही है सूलझन का नाम नहीं , जूझती चली जा रही है ।
देखता हूं सबकी नजरों में वफा ।
दुनिया मुझे खफा समझती जा रही है।
                        समझती जा रही है।
रवैया है मेरा पूर्णिमा के चांद जैसा
 कायनात मुझे अमावस-ए-कमर समझती जा रही है।
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