Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best खोलने Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best खोलने Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutरोजा खोलने की दुआ, माहवारी खोलने की दवा, डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया, खोलने के लिए, बन्द नाक खोलने के उपाय,

  • 8 Followers
  • 97 Stories

OMG INDIA WORLD

#OMGINDIAWORLD तुम क्या जानो #शराब कैसे पिलाई जाती है #खोलने से पहले #बोतल_हिलाई जाती है, फिर #आवाज़ लगाई जाती है..आ जाओ #टूटे_दिल वालो यहाँ #दर्द_ऐ_दिल की #दवाई पिलाई जाती है ।

read more
तुम क्या जानो #शराब कैसे पिलाई जाती है
#खोलने से पहले #बोतल_हिलाई जाती है,

फिर #आवाज़ लगाई जाती है..आ जाओ #टूटे_दिल वालो
यहाँ #दर्द_ऐ_दिल की #दवाई पिलाई जाती है ।

©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 
तुम क्या जानो #शराब कैसे पिलाई जाती है
#खोलने से पहले #बोतल_हिलाई जाती है,

फिर #आवाज़ लगाई जाती है..आ जाओ #टूटे_दिल वालो
यहाँ #दर्द_ऐ_दिल की #दवाई पिलाई जाती है ।

vkshhh

#Mypoem

read more
एक अरसे पहले 
दो शख्स मिले
तकरार हुई
इकरार हुआ
प्यार हुआ
दो दिल एक हुए
फिर कसमें
फिर वादे
फिर दो दिल
एक जान हुए
और अब वक्त के
लॉकर में बंद है
इनकी किस्मत
जिसकी चाबी दो है
एक खोलने को बेकरार है
दूजा खोलने को तैयार नहीं #mypoem

Rakesh Kumar Dogra

एक खिड़की दरवाज़े खोलने से फर्क पड़ता है दूसरा दिमाग के खिड़की दरवाज़े खोलने से भी फर्क नहीं पड़ता।

read more
ये दम घुटना क्या होता है,
वो कह रहा था "सांस लेने में दिक्कत है"
ये दोनो अलग-२ परिस्थितियां है
एक मेडिकल कंडिशन है,
दूसरा माहौल-ए-मुहावरा हो सकता है। एक खिड़की दरवाज़े खोलने से फर्क पड़ता है
दूसरा दिमाग के खिड़की दरवाज़े खोलने से भी फर्क नहीं पड़ता।

TARUN KUMAR VIMAL

लेख बड़ा जरूर है लेकिन कुछ समजनें को मिलता है।...............
दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड के एक लेखक ब्रायन ने भारत में व्यापक रूप से फैंलें भष्टाचार पर एक लेख लिखा है। ये लेख सोशल मीडि़या पर काफी वायरल हो रहा है। लेख की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए विनोद कुमार जी ने इसे हिन्दी भाषीय पाठ़कों के लिए अनुवादित किया है। –

न्यूजीलैंड से एक बेहद तल्ख आर्टिकिल।

भारतीय लोग  होब्स विचारधारा वाले है (सिर्फ अनियंत्रित असभ्य स्वार्थ की संस्कृति वाले)

भारत मे भ्रष्टाचार का एक कल्चरल पहलू है। भारतीय भ्रष्टाचार मे बिलकुल असहज नही होते, भ्रष्टाचार यहाँ बेहद व्यापक है। भारतीय भ्रष्ट व्यक्ति का विरोध करने के बजाय उसे सहन करते है। कोई भी नस्ल इतनी जन्मजात भ्रष्ट नही होती

ये जानने के लिये कि भारतीय इतने भ्रष्ट क्यो होते हैं उनके जीवनपद्धति और परम्पराये देखिये।

भारत मे धर्म लेनेदेन वाले व्यवसाय जैसा है। भारतीय लोग भगवान को भी पैसा देते हैं इस उम्मीद मे कि वो बदले मे दूसरे के तुलना मे इन्हे वरीयता देकर फल देंगे। ये तर्क इस बात को दिमाग मे बिठाते हैं कि अयोग्य लोग को इच्छित चीज पाने के लिये कुछ देना पडता है। मंदिर चहारदीवारी के बाहर हम इसी लेनदेन को भ्रष्टाचार कहते हैं। धनी भारतीय कैश के बजाय स्वर्ण और अन्य आभूषण आदि देता है। वो अपने गिफ्ट गरीब को नही देता, भगवान को देता है। वो सोचता है कि किसी जरूरतमंद को देने से धन बरबाद होता है।

जून 2009 मे द हिंदू ने कर्नाटक मंत्री जी जनार्दन रेड्डी द्वारा स्वर्ण और हीरो के 45 करोड मूल्य के आभूषण तिरुपति को चढाने की खबर छापी थी। भारत के मंदिर इतना ज्यादा धन प्राप्त कर लेते हैं कि वो ये भी नही जानते कि इसका करे क्या। अरबो की सम्पत्ति मंदिरो मे व्यर्थ पडी है।

जब यूरोपियन इंडिया आये तो उन्होने यहाँ स्कूल बनवाये। जब भारतीय यूरोप और अमेरिका जाते हैं तो वो वहाँ मंदिर बनाते हैं।

भारतीयो को लगता है कि अगर भगवान कुछ देने के लिये धन चाहते हैं तो फिर वही काम करने मे कुछ कुछ गलत नही है। इसीलिये भारतीय इतनी आसानी से भ्रष्ट बन जाते हैं।

भारतीय कल्चर इसीलिये इस तरह के व्यवहार को आसानी से आत्मसात कर लेती है, क्योंकि

1 नैतिक तौर पर इसमे कोई नैतिक दाग नही आता। एक अति भ्रष्ट नेता जयललिता दुबारा सत्ता मे आ जाती है, जो आप पश्चिमी देशो मे सोच भी नही सकते ।

2 भारतीयो की भ्रष्टाचार के प्रति संशयात्मक स्थिति इतिहास मे स्पष्ट है। भारतीय इतिहास बताता है कि कई शहर और राजधानियो को रक्षको को गेट खोलने के लिये और कमांडरो को सरेंडर करने के लिये घूस देकर जीता गया। ये सिर्फ भारत मे है

भारतीयो के भ्रष्ट चरित्र का परिणाम है कि भारतीय उपमहाद्वीप मे बेहद सीमित युद्ध हुये। ये चकित करने वाला है कि भारतीयो ने प्राचीन यूनान और माडर्न यूरोप की तुलना मे कितने कम युद्ध लडे। नादिरशाह का तुर्को से युद्ध तो बेहद तीव्र और अंतिम सांस तक लडा गया था। भारत मे तो युद्ध की जरूरत ही नही थी, घूस देना ही ही सेना को रास्ते से हटाने के लिये काफी था।  कोई भी आक्रमणकारी जो पैसे खर्च करना चाहे भारतीय राजा को, चाहे उसके सेना मे लाखो सैनिक हो, हटा सकता था।

प्लासी के युद्ध मे भी भारतीय सैनिको ने मुश्किल से कोई मुकाबला किया। क्लाइव ने मीर जाफर को पैसे दिये और पूरी बंगाल सेना 3000 मे सिमट गई। भारतीय किलो को जीतने मे हमेशा पैसो के लेनदेन का प्रयोग हुआ। गोलकुंडा का किला 1687 मे पीछे का गुप्त द्वार खुलवाकर जीता गया। मुगलो ने मराठो और राजपूतो को मूलतः रिश्वत से जीता श्रीनगर के राजा ने दारा के पुत्र सुलेमान को औरंगजेब को पैसे के बदले सौंप दिया। ऐसे कई केसेज हैं जहाँ भारतीयो ने सिर्फ रिश्वत के लिये बडे पैमाने पर गद्दारी की।

सवाल है कि भारतीयो मे सौदेबाजी का ऐसा कल्चर क्यो है जबकि जहाँ तमाम सभ्य देशो मे ये  सौदेबाजी का कल्चर नही है

3- भारतीय इस सिद्धांत मे विश्वास नही करते कि यदि वो सब नैतिक रूप से व्यवहार करेंगे तो सभी तरक्की करेंगे क्योंकि उनका “विश्वास/धर्म” ये शिक्षा नही देता।  उनका कास्ट सिस्टम उन्हे बांटता है। वो ये हरगिज नही मानते कि हर इंसान समान है। इसकी वजह से वो आपस मे बंटे और दूसरे धर्मो मे भी गये। कई हिंदुओ ने अपना अलग धर्म चलाया जैसे सिख, जैन बुद्ध, और कई लोग इसाई और इस्लाम अपनाये। परिणामतः भारतीय एक दूसरे पर विश्वास नही करते।  भारत मे कोई भारतीय नही है, वो हिंदू ईसाई मुस्लिम आदि हैं। भारतीय भूल चुके हैं कि 1400 साल पहले वो एक ही धर्म के थे। इस बंटवारे ने एक बीमार कल्चर को जन्म दिया। ये असमानता एक भ्रष्ट समाज मे परिणित हुई, जिसमे हर भारतीय दूसरे भारतीय के विरुद्ध है, सिवाय भगवान के जो उनके विश्वास मे खुद रिश्वतखोर है 

लेखक-ब्रायन,
गाडजोन न्यूजीलैंड

 ( समाज की बंद आँखों को खोलने के लिए इस मैसेज  को जितने लोगो तक भेज
#tarun_kumar_vimal सकते हैं भेजने का कष्ट करें ।) #indian #politics #tarun_kumar_vimal

Gohil Ajay

follow and like एक आम मृत्यु और एक बलिदान मे क्या फर्क है एक आर्मी वाला सहिद होता होगा तो अपनी माँ को जवाब देता होगा मे एक कविता में आर्मी वाले की बात रखता हूं।। पढ़िए आर्मी वाला क्या कहेता है। ना आस ही बची थी माँ ना सास ही बची थी माँ ना खून ही बचा था माँ ना जूनन ही बचा था माँ

read more
follow and like
एक आम मृत्यु और एक बलिदान मे क्या फर्क है एक आर्मी वाला सहिद होता होगा तो अपनी माँ को जवाब देता होगा मे एक कविता में आर्मी वाले की बात रखता हूं।।
पढ़िए आर्मी वाला क्या कहेता है।

ना आस ही बची  थी माँ
ना सास ही बची थी माँ
ना खून ही बचा था माँ
ना जूनन ही बचा था माँ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 27 - उपहार 'मेरी मुट्ठी में क्या है?' कन्हाई बहुत प्रसन्न है। दौड़ा-दौड़ा आया है और दाहिने हाथ की मुट्ठी बन्द किये भद्र के सम्मुख मटकता पूछ रहा है। 'हाऊ!' मधुमंगल ने समीप आकर कह दिया। 'उसे तू खा लेना।' श्यामसुन्दर हंसकर बोला। जब यह खुलकर हंसता है, कपोलो में नन्हे गड्ढे पड जाते हैं। कुन्दकली के समान उज्जवल, सटी पतले दातों की पंक्तियां चमक उठती हैं और पतले-कोमल अरुण अधर मानो दूध क धार से स्निग्ध हो जाते हैं।

read more
|| श्री हरि: || 
27 - उपहार

'मेरी मुट्ठी में क्या है?' कन्हाई बहुत प्रसन्न है। दौड़ा-दौड़ा आया है और दाहिने हाथ की मुट्ठी बन्द किये भद्र के सम्मुख मटकता पूछ रहा है।

'हाऊ!' मधुमंगल ने समीप आकर कह दिया।

'उसे तू खा लेना।' श्यामसुन्दर हंसकर बोला। जब यह खुलकर हंसता है, कपोलो में नन्हे गड्ढे पड जाते हैं। कुन्दकली के समान उज्जवल, सटी पतले दातों की पंक्तियां चमक उठती हैं और पतले-कोमल अरुण अधर मानो दूध क धार से स्निग्ध हो जाते हैं।

Dr.M.Knight_555

The responsibility of my #Love

read more
वो रहेश्य अभी भी बना हुआ है मगर कोई इस रहेश्य को खोलने की  साजिस कर रहा है,    

 'अर्ज़ क्या है'

ना रहेश्य खोलूगा और ना ही खोलने दूँगा अपनी पर अा गया तो  सब कुछ खत्म कर दुंगा! #The 
           responsibility 
of my 
                 #love

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha कल दिल्ली से गोवा की उड़ान में एक सरदारजी मिले। साथ में उनकी सरदारनी भी थीं। सरदारजी की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन सरदारनी भी 75 पार ही रही होंगी। उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों फिट थे। सरदारनी खिड़की की ओर बैठी थीं, सरदारजी बीच में और सबसे किनारे वाली सीट मेरी थी। उड़ान भरने के साथ ही सरदारनी ने कुछ खाने का सामान निकाला और सरदारजी की ओर किया। सरदार जी कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे। फिर फ्लाइट में जब भोजन सर्व होना शुरू

read more
Story of Sanjay Sinha 
 कल दिल्ली से गोवा की उड़ान में एक सरदारजी मिले। साथ में उनकी सरदारनी भी थीं। सरदारजी की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन सरदारनी भी 75 पार ही रही होंगी। उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों फिट थे। सरदारनी खिड़की की ओर बैठी थीं, सरदारजी बीच में और सबसे किनारे वाली सीट मेरी थी। उड़ान भरने के साथ ही सरदारनी ने कुछ खाने का सामान निकाला और सरदारजी की ओर किया। सरदार जी कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे। फिर फ्लाइट में जब भोजन सर्व होना शुरू


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile