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Best हठ Shayari, Status, Quotes, Stories

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Amit Singhal "Aseemit"

#हठ

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Sarita Shreyasi

हठी है, हठ मेरा, उसे हर रोज तोड़ती हूँ, मैं तुम्हारे हठ के आगे नहीं हारती, अपने हठ को हराने के लिए झुकती हूँ। होगा अविजीत अहं तुम्हारा, मेरी लड़ाई उससे नहीं, मैं तो खुद से लड़ती हूँ,झुकती हूँ, झुक कर अपना ही अहं जीतती हूँ।

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हठी है, हठ मेरा,
उसे हर रोज तोड़ती हूँ,
मैं तुम्हारे हठ के आगे नहीं हारती,
अपने हठ को हराने के लिए झुकती हूँ।

होगा अविजीत अहं तुम्हारा,
मैं उससे नहीं उलझती,
मैं तो खुद से लड़ती हूँ,झुकती हूँ,
झुक कर अपना ही अहं जीतती हूँ। हठी है, हठ मेरा,
उसे हर रोज तोड़ती हूँ,
मैं तुम्हारे हठ के आगे नहीं हारती,
अपने हठ को हराने के लिए झुकती हूँ।
होगा अविजीत अहं तुम्हारा,
मेरी लड़ाई उससे नहीं,
मैं तो खुद से लड़ती हूँ,झुकती हूँ,
झुक कर अपना ही अहं जीतती हूँ।

#shiva_agrawal07

#walkingalone

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य़े #हठ भी कितनी अजीब चीज है-na 
 अपनी शुविधा के लिये दूसरो को 
     दुविधा मे डाल देती है
 
                   -shivaagrawal

©#shiva_agrawal07 #walkingalone

sanjana-jp

#चंद-अल्फ़ाज,#इसरो #चाँद का सफर

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#Chandrayaan2 एक ख़्वाब हैं वर्षों पुराना,
चाँद पर अपना आशियाना बनाना,
जब माँ की लोरियों में सुनते थे उस चाँद की तारीफ़े,
दिल हमेशा ज़िद करता था उस तक जाना,
एक ख़्वाब हैं वर्षों पुराना,
सोचते थे एक दिन तो जाएँगे मेरे भी पाँव उस पर,
ख्वाइश हैं उसे दिल से लगाना,
बढ़े थे मेरे पाँव उस तक जाने को,
कुछ फ़ासलों की बात थी, 
उसी छड़ एहसास हुआ चाँदनी को ,
विफल कर दी हमारे मिशन को, 
उसे ना मंजूर था मेरा यहाँ पर आना,
मैंने भी ज़िद की हैं तो ,
उस ज़िद को हैं पूरा कर जाना,
देखते हैं हम जीत पाते हैं या वो चाँदनी ,
जिसका हठ हैं मुझें हराना ,
और मेरा हठ हैं उसे जीत जाना।।।। #चंद-अल्फ़ाज,#इसरो #चाँद का सफर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 12 - तामसी श्रद्धा 'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढे-लिखे हैं, समझदार है। उनके चरित्र पर कभी किसी ने कोई शंका नहीं की है और सत्संग में उनकी रुचि है। वे मेरे पास अपने पुत्र की बात लेकर आये थे - 'वह किसी ओर की बात नहीं सुनता।' 'बात क्या है?' उनके पुत्र सुशील हैं, पितृभक्त हैं। उनके जैसे सच्चरित्र व्यक्ति मिलना कठिन है। वे कोई अयोग्य हठ करेंगे, यह बात सोचना भी कठिन था मेरे लिए।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
12 - तामसी श्रद्धा

'आपको वह मानता है। आप उसे समझा दीजिये।' वे मेरे सम्मान्य हैं, पढे-लिखे हैं, समझदार है। उनके चरित्र पर कभी किसी ने कोई शंका नहीं की है और सत्संग में उनकी रुचि है। वे मेरे पास अपने पुत्र की बात लेकर आये थे - 'वह किसी ओर की बात नहीं सुनता।'

'बात क्या है?' उनके पुत्र सुशील हैं, पितृभक्त हैं। उनके जैसे सच्चरित्र व्यक्ति मिलना कठिन है। वे कोई अयोग्य हठ करेंगे, यह बात सोचना भी कठिन था मेरे लिए।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
12 - प्रार्थना का प्रभाव

'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।'

इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 11 – पुनर्जन्म डा० ह्युम वॉन एरिच जीवाणु-वैज्ञानिक हैं मुख्य रूप से। वैसे आज विज्ञान की अनेक शाखाएँ परस्पर उलझ गयी हैं। रसायन-विज्ञान और परमाणु-विज्ञान के बिना आज जीवाणु-विज्ञान में प्रगति नहीं की जा सकती। स्वभावत: डा० एरिच ने इन विज्ञान की शाखाओं में भी अच्छा अध्ययन किया है। उनका प्रयोग चल रहा है और उन्हें लगता है कि मनुष्य में आनुवंशिकता अंकित करने वाली जो प्रकृति की लिपि है, उसमें परिवर्तन करने की कुंजी सैद्धान्तिक रूप में उनके हाथ आ गयी

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
11 – पुनर्जन्म

डा० ह्युम वॉन एरिच जीवाणु-वैज्ञानिक हैं मुख्य रूप से। वैसे आज विज्ञान की अनेक शाखाएँ परस्पर उलझ गयी हैं। रसायन-विज्ञान और परमाणु-विज्ञान के बिना आज जीवाणु-विज्ञान में प्रगति नहीं की जा सकती। स्वभावत: डा० एरिच ने इन विज्ञान की शाखाओं में भी अच्छा अध्ययन किया है। उनका प्रयोग चल रहा है और उन्हें लगता है कि मनुष्य में आनुवंशिकता अंकित करने वाली जो प्रकृति की लिपि है, उसमें परिवर्तन करने की कुंजी सैद्धान्तिक रूप में उनके हाथ आ गयी

Pranshul Gupta

Ramji Sita ma story राम लखन सगं गई थी सीता जीवन उनका वन मे वीता रावन को जव गुस्सा आया उसने मा सीता को उठाया कैद किया जव मा को उसने सारे जग मै सन्नाटा छाया देखा घर को सूना सूना

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Ramji Sita ma story
राम लखन सगं गई थी सीता 
जीवन उनका वन मे वीता
रावन को जव गुस्सा आया 
उसने मा सीता को उठाया
कैद किया जव मा को उसने 
सारे जग मै सन्नाटा छाया
देखा घर को सूना सूना

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 32 - क्या किया जाय? सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है। सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

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।।श्री हरिः।।
32 - क्या किया जाय?

सबका उपाय है, किन्तु इस कन्हाई का कोई उपाय नहीं। यह कब क्या करने लगेगा, कब क्या मान बेठेगा, कुछ ठिकाना नहीं है। अब इसका भी कोई उत्तर है कि यह किसी को कहने लगे - 'तू थक गया है,' अथवा किसी के
साथ उलझ जाय - 'तूझे भूख लगी है।' कोई कितना भी कहे कि वह थका नहीं है या भूखा नहीं है, किन्तु यह श्याम किसी की सुनता भी है। इसे तो जो धुन चढ गयी बस चढ गयी। फिर यह अपनी करके ही मानने वाला है।

सुकुमार कन्हाई शीघ्र थक जाता है। कितने नन्हे कोमल चरण हैं इसके और दौड़ता फुदकता फिरता

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 25 - रूठने की बात कन्हाई कभी-कभी हठ करने लगता है। कभी ऐसी हठ करता है कि किसी की सुनता ही नहीं। कोई इसके सुख की, इसके मन की बात हो तो इसकी हठ मान भी ली जाए, किन्तु यह भी कोई बात है कि यह आज हठ पर उतर आया है कि पुलिन पर खेलेगा। ग्रीष्म ऋतु है और यहाँ पुलिन पर छाया है नहीं। क्या हुआ कि मेघ आकाश में छत्र बने आतप को रोकते हैं, किन्तु क्या मेघ रहने से ही धूप की उष्णता पूरी रूक जाती है? क्या इसी से पुलिन रेणुका उष्ण नहीं होगी? गोचारण के लिए वन में आकर शीतल पुलिन पर क्रीडा हो चुकी। स्न

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|| श्री हरि: ||
25 - रूठने की बात

कन्हाई कभी-कभी हठ करने लगता है। कभी ऐसी हठ करता है कि किसी की सुनता ही नहीं। कोई इसके सुख की, इसके मन की बात हो तो इसकी हठ मान भी ली जाए, किन्तु यह भी कोई बात है कि यह आज हठ पर उतर आया है कि पुलिन पर खेलेगा। ग्रीष्म ऋतु है और यहाँ पुलिन पर छाया है नहीं। क्या हुआ कि मेघ आकाश में छत्र बने आतप को रोकते हैं, किन्तु क्या मेघ रहने से ही धूप की उष्णता पूरी रूक जाती है? क्या इसी से पुलिन रेणुका उष्ण नहीं होगी?

गोचारण के लिए वन में आकर शीतल पुलिन पर क्रीडा हो चुकी। स्न
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