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kumaarkikalamse
ख़ुद से बिछड़ कर मुझसे मिलने आ जाना, अपने लबों की रंगत मेरे अधरों पर छोड़ जाना, कोई पूछ ले तुमसे सबब तुम्हारे मुस्कुराने का, इश्क़ में हो पागल, यह तुम उसको बता जाना..! #kumaarromance #Kumaarlove #मुस्कुराना #लबों #अधरों #सबब
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read morevishwadeepak
#romance #My_inspirational_voice #अधरों पे धरा सी सोंधी-सोंधी, खुशबु का मैं रसपान करूँ, इस सुन्दर तन की काया का, मैं कैसे गुणगान करूँ, तुम ही बता दो प्रिये, कैसे पाया इस सुन्दर मन को,
read moreSunil itawadiya
शब्दों को अधरों पर रख कर मन का भेद ना खोलो मैं आंखों से सुन सकता हूं आंखों से बोलो❣️🤗 #शब्दों को #अधरों पर रख कर मन का #भेद ना खोलो मैं आंखों से सुन सकता हूं आंखों से बोलो❣️🤗 OPEN FOR COLLAB 🌿🌴 : No - 41 A challenge by प्रेम मंथन ✍️ 🌹 🙏 ( नज़र ने सब कह दिया ) Collob करके कॉमेंट्स में done लिखना ना भूलें अगर लिखने का हुनर है तो लिखें जरूर Collab with your heart feel words.
Anamika
न लिखूं कभी तो, कमी महसूस करते हो अल्फाजों की मेरे पर मजाल कभी दो शब्द तुम, अधरों से अपने बोल दो... #अल्फाज़_ए_कलम #अधरों #yqmissingyou #tulikagarg
#अल्फाज़_ए_कलम #अधरों #yqmissingyou #TulikaGarg
read moreAyesha Aarya Singh
#अधरों की बुझती नहीं,जीवन भर यह #प्यास । जिसको मिलता नेह का , अद्भुत कारावास ।। #flute_music shayari #Ayesha #ehsas #nojotohindiquotes #Savan #doha Pramodini mohapatra Anshu writer Dard "सीमा"अमन सिंह Monu Kumar R Ojha B Ravan MM Mumtaz sonu pareek Mirza raj Lalit Saxena Sadanand Kumar Yogendra Nath Yogi Suresh Gulia MR.KUMAR Satyajeet Roy R K Mishra " सूर्य " Asha...#anu SumitGaurav2005 Shahab anurag Dubey POOJA UDESHI rajeev Bhardwaj Muhammad Mushtaq Ahmad Adhury Hayat SIDDHARTH.SHENDE.sid
read moreआशुतोष विश्वकर्मा
तक़दीर बदल जाती है जब, उसके #जुल्फ़ों से लगके #हवा, मेरे साये से टकराती है... #अधरों पे #मुस्कान लिए, वो #कमल सी खिल जाती है... वो #चाय सी एक #घूंट बनकर, मेरे बाहों के #प्याले में आती है... #तक़दीर का पता नही पर, #माहौल जरूर बदल जाती है... #ashu
Athz Singh
‘यह अधिकार कहाँ से लाया?’ और न कुछ मैं कहने पाया - मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था! क्षण भर को क्यों प्यार किया था? ❤❤❤❤❤❤
❤❤❤❤❤❤
read moreNikhil Vairaagi
तुम भी चुप रहे, मैं भी मौन था आखिर बोलते भी क्या..? निःशब्द जो थे! अभी तो देखा था...उसे रही होगी उम्र चार-पांच की सनसनाती गर्म दुपहरी की हवाएं रुका था मैं भी किसी के इंतेजार में सहसा लगा यूँ..देख रहा हो कोई आस्तीन खिंचा किसी ने... नजर मिली, निस्तब्ध होगया देख दशा इस वर्तमान की सहसा कौंधी करुणा मन में, झबरे बाल, देंह श्यामल सी तन पर फटी कुचैली कुर्ती थी जूठी पत्तल हाथ में पकड़े देख रही इस भाव से मुझे भूखी आँखें उसकी, विह्वल सी हाथ दाहिना आगे कर मेरे अधरों पर उसने अपने एक कलापूर्ण मुस्कान धरी लाचारी बेबसी भूख का संगम उन अधरों पे दिखा शिक्षा का अभिमान टूटता उसके मंदित मुस्कान में दिखा भारत का कल आज डूबता उस मोहक मुस्कान में दिखा, लाचारी का तान छेड़ता बेबस एक इंसान दिखा क्या करता..? काले जीवन से उसके हमने भी मुँह मोड़ लिया जाते जाते नन्हे हाँथों पर उसके एक काला खोटा सिक्का छोड़ दिया..। #मैं_वो_और_मेरी_कलम✍️
मैं_वो_और_मेरी_कलम✍️
read morePnkj Dixit
काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सकती । भोली नादान अल्हड़ कमसिन है पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती । प्रिय प्रियतमा हृदय में स्पंदन एक साथ हुआ होकर आलिंगनबद्ध दोनों में प्रेम प्रकाश हुआ। प्रेम की अग्नि जीवन बड़वाग्नि नहीं हो सकती मन प्रीत की रीत ये शमशान नहीं हो सकती। छू कर अधरों ने अधरों का मधुर रसपान किया कोमल केंचुली अंगों ने काम का आह्वान किया । कामान्ध नव - कलिका का मर्दन नहीं हो सकता नवजीवन की सहचरी पथभ्रष्ट नहीं हो सकती । कामातुर होकर नयनों ने रति का गुणगान किया कपोल ,ग्रीवा ,कर्ण ,केश को नेह से पुष्ट किया। उच्च श्वेत धवल हिम शिखर धूमिल हो सकता है आत्मिक प्रेममय होकर मति भ्रष्ट नहीं हो सकती । युविका का नवयौवन कंवल-सा प्रस्फुटित हुआ प्रेम में आसक्त हो कर रोम-रोम पुलकित हुआ । निश्छल प्रेम पर आत्मविश्वास कम नहीं हो सकता नारित्व धर्म से प्रियतमा विमुख नहीं हो सकती । लतिका-से कर पकड़ ,अंजुरी पर चुंबन अंकित किया छूकर अधरों से नाभि प्रदेश अंग-अंग सारगर्भित किया। प्रिय के प्रेम में प्रियतमा , सर्वस्व समर्पित कर सकती है किन्तु काम-वेग में निर्लज्ज अमर्यादित नहीं हो सकती। स्वर्ग-धरा का सारा वैभव नगण्य हो जाता है नर-नारी हृदय जब प्रेम आसक्त हो जाता है । कंवल मन - हृदय भाव उजागर कर सकता है किन्तु, कमल चरित्र पर कालिख नहीं हो सकती । २४/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश । काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सकती । भोली नादान अल्हड़ कमसिन है पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।
काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सकती । भोली नादान अल्हड़ कमसिन है पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।
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