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Prince BaBa
"एक नई शादीशुदा औरत कोक पी रही थी. उसमें एक मच्छर गिर गया. औरत ने उसे निकाला तो मच्छर बोला, “माँ!”. औरत: तूने मुझे माँ क्यों कहा? मच्छर: मैं तेरी कोक से निकला हूँ, माँ!. #NojotoQuote
Viraj Kashyap
अर्ज़ किया है: पेप्सी कोक पीने वालों; कभी लस्सी भी पिया करो; पेप्सी कोक पीने वालों; कभी लस्सी भी पिया करो; "फ़ोकट में पोस्ट पढ़ने वालों कभी लाइक (Like) भी किया करो।" 😒😒😂😂😂😂
ChittaranjanSahoo
मा तू चांद की सीतल किरण है में तो बस एक फूल हूँ तू मुझे परिपृष्ट करती है तेरे बिना मेरा अस्तित्व नहीं बस यही एक ख्वाइस है मेरी कि हर जन्म तेरी ही कोक में बढनेकी दुआ मिले भगवान से में जो भी हूँ सिर्फ तेरे आशीर्वाद से हूं तेरे प्यार ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है इस दुनिया में तूहितो है जो मुझे हर संकट से दूर रखती है तू तो मेरी ढाल बनकर सदैब मुझे सारी आपदाओं से सुरक्षित रखती है खुद बहुत तकलीफ में होते हुए भी मेरे साथ कुछ बुरा न हो इस लिए तू हमेशा ही मेरे पर आशीर्वाद की बारिश करती है सचमें मा तेरी जैसा ओर कोई कहाँ है तेरी चरणों मे मेरी स्वर्ग है तू तो भगवान से बढ़कर है तुहि मेरी संसार है तुहि मैरी जान है एक वादा आज करले मा तू की हर जन्म में तू मेरी ही मा होगी संसार की सबसे सुरक्षित स्थान जो तेरी कोक है उसमे बढ़ने देगी है मेरी प्यारी सी मा तेरे बिना कुछ भी अच्छा नहीं है दुनिया में संतान की सबसे बडे उपहार जो खुद भगवान ने रचे हैं वो तू ही है तू मेरी जान तू मेरी राम तू मेरी स्वर्ग तू मेरी संसार मेरी सबकुछ तू ही है माँ एक बार जो तू सरपे हाथ रखदे तो संसार मे कुछभी असंभव नही है माँ तू महान है माँ तू महान है चित्तरंजन साहू(c) #poetry #माँतूमहानहै #myfirstहिंदीpoetry #ontheoccassionofmothersday #loveyounojoto
Dharmaraj Uikey
सारे जमाने का दर्द हम औरतें ही तो सह रहे हैं कौन है वह चंद भेड़िए जो इस देश में ही पल रहे हैं छोटी सी उम्र मेरी जो गुड़ियों से खेल रही थी मैं मुझे गुड़िया समझ कर आज मुझसे ही वो खेल रहे हैं धूप सबको समान मिली सब ने पतझड़ के लुफ्त लिए जब भी बरसा सब में बरसा बरसात ने ना भेद किए खेल धर्म का सिर्फ इंसानों ने खेला है मेरे जिस्म को नोचने वाला तेरा ही तो चेला है उस मंदिर में बहती पवित्र हवाओ से पूछती हूं रोज कबूल होने वाली उन दुआआे से पूछती हूं तेरे दर पर तेरे ही आंखों के सामने नोचा गया मुझे क्या सच मे तु खुदा है या कोई पत्थर को पुजती हूं बस अब और बेटियों को खोना नहीं चाहती मां की उजड़ी कोक अब रोना नहीं चाहती अब समझा की क्यों दफन होती है बेटियां कोक में जहां ऐसे जल्लाद हैं वहा दोबारा मै जनम लेना नहीं चाहती
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