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Ansh Jalandra

aman6.1

शायर होना हर किसी के बस की बात नही शायर सिर्फ अपनी क़लम से प्यार करता है 80 percent nojoto पे सिर्फ flirting चल रही जब मैं join किया था तब लड़कियां comment k थैंक्स का भी जवाब नही देती थी और आजकल चाहे पूरा दिन उनके comment box मे बैठे रहो, लड़के भी पहले जो अच्छा लिखते थे आधे से ज्यादा अब इसी भेड़चाल में पड़े है में भी पड़ा था नो doubt but में निकल गया इन sabse। एक बात सबको में conferm kardu nojoto सिर्फ आपके हुनर आपकी lekhni ko तरासने के लिए है,में persnoly आधे लड़के लड़कियों के बारे जानता हूं ek ek लड़क

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लिखने से ज्यादा लोगो को लिखने वालियों से प्यार हो रहा है,बिना पढ़े शायरियों का कारोबार हो रहा हैं.
हो रही है झूठी वाहवाही यहाँ दर्द लिखने के बहाने दूसरों की खुशियों का शिकार हो रहा है.
बंट रहे है नंबर प्रसाद की तरह फ्री डाटा का ये  कैसा अत्याचार हो रहा है.
लड़कियां भी कहाँ कम है लाइक के लिए उनका दिल भी सबके आगे लाचार हो रहा है.
दिया था जो तौफा नोजोटो ने हुनरमंदों को हुनर आजमाने को उसी तौफे का अब बंटाधार हो रहा है.
चले गए वो हुनरमंद बेबस होकर जो अपनी लेखनी से दिल मोहा करते थे,अब तो बस नासमझी के लैला मजनुओं का तैयोहार हो रहा है.
अपने नाम के साथ चिपका चिपका आते है मोबाइल नंबर यहाँ के ग़ालिब,नाजाने इनको कोनसे इश्क़ का इंतज़ार हो रहा है।
लिखने को भी नहीं रहा अब अमन की क़लम में जोश,ये पगला भी अब इसी भीड़ में शुमार हो रहा है। शायर होना हर किसी के बस की बात नही शायर सिर्फ अपनी क़लम से प्यार करता है 80 percent nojoto पे सिर्फ flirting चल रही जब मैं join किया था तब लड़कियां comment k थैंक्स का भी जवाब नही देती थी और आजकल चाहे पूरा दिन उनके comment box मे बैठे रहो, लड़के भी पहले जो अच्छा लिखते थे आधे से ज्यादा अब इसी भेड़चाल में पड़े है में भी पड़ा था नो doubt but में निकल गया इन sabse। एक बात सबको में conferm kardu nojoto सिर्फ आपके हुनर आपकी lekhni ko तरासने के लिए है,में persnoly आधे लड़के लड़कियों के बारे जानता हूं ek ek लड़क

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 12 - स्नेह जलता है 'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया। 'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
12 - स्नेह जलता है

'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया।

'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

Sagar Verma

😍😍

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🙃 #पगली 👰 अब इतनी भी #मुझ 🙋‍♂ से  मत ❌ #चिपका 💑 करो यार 😅 
आज 🌅 कल #मम्मी 👵को मेरे 😄 #शर्ट 👔 से #लेडीज़ 👩 परफ़्यूम ☺ की #खुशबू 😌 कुछ ज़्यादा 🤨 ही आने लगी हैं 😅 😍😍

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 19 - चपल कन्हाई इतना चपल है कि कुछ मत पूछो। यह कब, क्या कर बैठेगा, इसका कुछ ठिकाना नहीं है। हिचकना, डरना तो इसे जैसे आता ही नहीं है। जब जो जी में आया, करके ही रहेगा। घर में मैया और रोहिणी माँ इसे सम्हालती हैं। गौष्ठ में चला जाय तो बाबा साथ लगे रहते हैं; किन्तु वन में आने पर तो यह स्वच्छन्द हो जाता है। श्याम दाऊ दादा का संकोच न करता हो ऐसी बात नहीं है। संकोच तो यह अपने से बड़ी आयु के सखा विशाल, वरूथप, ऋषभ, अर्जुन आदि का ही नहीं, समवयस्क भद्र तक का करता है; किन्तु बालक बडे-बूढे

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|| श्री हरि: ||
19 - चपल

कन्हाई इतना चपल है कि कुछ मत पूछो। यह कब, क्या कर बैठेगा, इसका कुछ ठिकाना नहीं है। हिचकना, डरना तो इसे जैसे आता ही नहीं है। जब जो जी में आया, करके ही रहेगा।

घर में मैया और रोहिणी माँ इसे सम्हालती हैं। गौष्ठ में चला जाय तो बाबा साथ लगे रहते हैं; किन्तु वन में आने पर तो यह स्वच्छन्द हो जाता है।

श्याम दाऊ दादा का संकोच न करता हो ऐसी बात नहीं है। संकोच तो यह अपने से बड़ी आयु के सखा  विशाल, वरूथप, ऋषभ, अर्जुन आदि का ही नहीं, समवयस्क भद्र तक का करता है; किन्तु बालक बडे-बूढे


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