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Best रुनझुन Shayari, Status, Quotes, Stories

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Anjali Raj

रुनझुन नन्हें  पाँवों की अब बदली घोर दुदुम्भी में
नन्ही चिड़िया उड़ी ले अनंत आकाश को अपनी मुट्ठी में
बहुत हुए दिन चुगते चुगते दाना माँ के आंचल में
अब बदलेगी स्वयं को इक अन्नपूर्णा स्वावलंबी में

 #अंजलिउवाच #YQdidi #मेरीबिटिया #रुनझुन #आकाश #मुट्ठी #अन्नपूर्णा

shayar_dillwala

तेरा रूप निहारने के लिए #आईना मै बन जाऊं। तेरी आंखो में बसने के लिए #काजल मै बन जाऊं। तू नाचती रहे अपनी ही धुन में गोरी... तेरी #धुन से #ताल मिलाने के लिए, पैरों में बंधी #पायल की #रुनझुन मै बन जाऊं।

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तेरा रूप निहारने के लिए
आईना मै बन जाऊं।
तेरी आंखो में बसने के लिए
काजल मै बन जाऊं।
तू नाचती रहे अपनी ही धुन में गोरी...
तेरी धुन से ताल मिलाने के लिए,
पैरों में बंधी पायल की
रुनझुन मै बन जाऊं। तेरा रूप निहारने के लिए
#आईना मै बन जाऊं।
तेरी आंखो में बसने के लिए
#काजल मै बन जाऊं।
तू नाचती रहे अपनी ही धुन में गोरी...
तेरी #धुन से #ताल मिलाने के लिए,
पैरों में बंधी #पायल की
#रुनझुन मै बन जाऊं।

Satya Prakash Upadhyay

क्यों होतीं हैं #बेटियां ख़ास? जब #समाज #प्रश्न ये करता है,तब #समझो उनकी #स्थिति #दयनीय है। है #अवतार जो #सरस्वती #लक्ष्मी #शक्ति की वो तो बस #वन्दनीय हैं।। बेटियों से आता #संस्कार,#संस्कृति की वो #जननी है। जिस #घर मे हों बेटियां #शुभता #अवश्य हीं होनी है।।

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#DaughtersDay   क्यों होतीं हैं बेटियां ख़ास?
जब समाज प्रश्न ये करता है,तब समझो उनकी स्थिति दयनीय है।
 है अवतार जो सरस्वती लक्ष्मी शक्ति की वो तो बस वन्दनीय हैं।।

बेटियों से आता संस्कार,संस्कृति की वो जननी है।
जिस घर मे हों बेटियां शुभता अवश्य हीं होनी है।।

पायलों की रुनझुन बोली हो या मीठी तोतली बोली हो।
माँ के आंचल की भोली हो या भाई के सर की रोली हो।।
 बचपन की प्यारी होली हो या परिवार के साथ दीवाली हो।
सब की आंखे नम हो जाती जब आंगन से उठती डोली हो।

सब खुशियों की झोली है,रौनक की मानो टोली है।
पिता के आंगन की लाडली वो,सब तनाव हटाने की गोली है।।

बड़ी बेटी होती जिस घर में,छोटों को होता दूसरी माँ का एहसास।
कितना भी कर लूं वर्णन नहीं बता सकता क्यों बेटियाँ होतीं हैं ख़ास।। क्यों होतीं हैं #बेटियां ख़ास?

जब #समाज #प्रश्न ये करता है,तब #समझो उनकी #स्थिति #दयनीय है।
 है #अवतार जो #सरस्वती #लक्ष्मी #शक्ति की वो तो बस #वन्दनीय हैं।।

बेटियों से आता #संस्कार,#संस्कृति की वो #जननी है।
जिस #घर मे हों बेटियां #शुभता #अवश्य हीं होनी है।।

Rashmi Kumari

#payal #रुनझुन#मिलने को आतुरदिल की शोर# #रश्मि आनंद

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पैरों की पायल  पायल की  रुनझुन नहीं पिया,
ये मेरे दिल का शोर है........
      जैसे मिलने को आतुर इक़ दूजे से,
दोनों पैरों की पाजेब हैं....... #payal #रुनझुन#मिलने को आतुर#दिल की शोर# #रश्मि आनंद

Abhishek Rajhans

वो नन्ही परी hindi #Nojoto Satyaprem

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वो भी तो एक परी थी
अभी खिलना बांकी था उसका
वो तो एक नन्ही कली थी
छोटे-छोटे रुनझुन करते पायल
और छोटी कलाई में रंगबिरंगी चूड़ियाँ
कितना सलोना था मुखड़ा उसका
वो जो बिटिया थी
जादू की पूड़िया थी
अब ना आएगी,आँगन में
ना ही गूँजेगी उसकी किलकारी
ख़ुदा भी डरेगा
उसे जन्म देने को
उस ख़ुदा को क्या पता था
उसका ही बनाया आदमजात
उसकी बिटिया को ही डंसेगा
ए जालिम बता ना
क्या उसमें तुम्हे
अपनी बेटी की शक्ल नहीं दिखी थी
क्या तुम्हारा जन्म उसका दिया उधार नही था
फिर तुमने उसका ऋण ऐसे चुकाया था
उसकी त्रासदी में तुम्हे सुकून मिला था
कुछ पलों के मजे के लिए
तूने तोड़ डाली रंगीन चूड़ियां
आखिर
क्यों नोच डाले उसकी माथे की बिंदियां
और क्यों उसकी चीखों के बीच
खो गयी उसकी पायल की रुनझुन
और खो गयी
वो नन्ही परी -अभिषेक राजहंस वो नन्ही परी #Nojotohindi #Nojoto Satyaprem

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 40 - बतंगा 'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया। नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों का, कपियों का, श्वानों का, पक्षियों का, कौओं तक का बडे प्यार से नामकरण करता है, लेकिन कन्हाई अभी है ही कितना बड़ा कि इतने सारे नामों को स्मरण रख सके। कल जिसका नाम इसने उज्जवल रखा, आज उसी को सुबोध कहने लगेगा। अटपटे नाम तो गोपियों के - अपने को खिझाने वाली गोपियों के रखता है - नित्य नये नाम। अब आज इस गोपी का नाम इसने बतंगा रख दिया।

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।।श्री हरिः।।
40 - बतंगा

'यह तो बतंगा है।' कन्हाई ने कहा और सखाओं की ओर दौड़ गया।

नन्हें से नन्द-नन्दन को नाम रखना बड़ा अच्छा आता है। यह गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों का, कपियों का, श्वानों का, पक्षियों का, कौओं तक का बडे प्यार से नामकरण करता है, लेकिन कन्हाई अभी है ही कितना बड़ा कि इतने सारे नामों को स्मरण रख सके। कल जिसका नाम इसने उज्जवल रखा, आज उसी को सुबोध कहने लगेगा। अटपटे नाम तो गोपियों के - अपने को खिझाने वाली गोपियों के रखता है - नित्य नये नाम। अब आज इस गोपी का नाम इसने बतंगा रख दिया।


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