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अंकिता 'गीत '

Bharat Bhushan pathak

#worldmusicday#drutvilambitchhand#chhandgyaan#द्रुतविलम्बितछंद#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#ripudamanjhapinaki#vijaybesharm द्रुतविलम्बित छंद विधान:-यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इस छंद के प्रत्येक चरण या पद में बारह वर्ण क्रमशः नगण,भगण-भगण एवं रगण के क्रम में होते हैं। नगण+भगण+भगण+रगण नगण=III भगण=SII भगण=SII रगण=SIS

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Bharat Bhushan pathak

#शिखरिणीछंद#छंदज्ञान#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetrynojotohindi2020s#nisheetpandey#Anshuwriter#MJhindushtani# * शिखरिणी छंद* *विधान -- * लक्षण- रसैः रुद्रैश्छिना, यमनसभला गः शिखरिणी अर्थात इस छंद में रस यानी ६वें वर्ण पर प्रथम यति और फिर रुद्र यानी ११ वें वर्ण पर

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Bharat Bhushan pathak

#aashiqui #dilsediltak #sadpoetry#nojotohindi#nojotohindi2020#sadpoetrylovers#nojotoloveshayari तुम हो तो रोश्नी है, नहीं तो अँधियारा। संग तुम्हारा जीवन था, विछोह हुआ अजीवन। आज काया तो हूँ, पर तुम बिन निष्प्राण मैं! तलाशता हर वक्त अश्क तेरा हूँ,

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Bharat Bhushan pathak

#stopchildlabour#SayNoToChildLabour#saynotoexploitation#nojotohindi2020#nojotopoetry पकड़ छैनी,हथौड़ी वो,उदर वो रिक्त हैं भरते। कलम जब थामनी होती,दुलारे वेदना वरते। दया थोड़ा, करो लोगों,सुनो बचपन,नहीं खोए- चलो जी थाम लें इनको,अगर मेहनत वो करते। भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏

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Bharat Bhushan pathak

उदासी घेरती काया,विकल होते ,गए नैना।
पता चलता,नहीं मुझको,दिवस है या,अभी रैना।
तुम्हारे बिन,कई बीते,यहाँ पे जी,सुनो सावन-
लगे ना प्यास है मुझको,कहीं आए,नहीं चैना।

©Bharat Bhushan pathak #Problems #lovesad #lovesab#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#sumitupadhyay#प्रेम_के_साईड- इफेक्ट्स#ripudamanjhapinaki

Bharat Bhushan pathak

महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप। समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१ अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व। रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२ सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र।

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महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप।
समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१

अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व।
रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२

सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र।
ग्रहण सदा इसको करें,बड़ा यही बस मंत्र।।३

सफल यहाँ पे जो हुए,इससे था अपनत्व।
नहीं व्यर्थ होता कभी, मूल्यवान यह तत्व।।४

विज्ञ मूढ़ इससे बनें,सब समझें दायित्व।
अपना ले मानव इसे,चाह अगर ईशित्व।।५

सिद्ध यही वह कुंभ है, दिया सदा अमरत्व।
सृजन यहाँ जो भी करें,मिले सृजन अस्तित्व।।६

©Bharat Bhushan pathak 
महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप।
समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१

अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व।
रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२

सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र।

Bharat Bhushan pathak

यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको,

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यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे...
           *त़हरीर मेरी भी*
       विधा-अतुकांत
आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं,
कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी।
कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर,
हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो,
उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको,
 पूछते हैं लोग खाक हो जाने के बाद...
  जब आज हम हैं तो कोई चर्चा नहीं...
  पर कल यहाँ याद आएंगे बहुत ,
   बस उस आखिरी पर्चा भर जाने के बाद...
   जन्म दिवस,मरण दिवस भी मनाएंगे वो,
    समोसे और मिठाइयाँ खिलाएंगे वो..
     पहनाएंगे माला पुतले को मेरे....
    यहाँ खूब जिन्दाबाद के नारे होंगे,
     कभी झाँके तक नहीं थे घर में मेरे जो,
    कल बाईट में घर केवल हमारे दिखाए जाएंगे।
    जब-जब तीथि यहाँ पर आएगी मेरी.. 
      वो खूब मोमबत्तियाँ जलाएंगे।
      साल दो साल ,महीने दर महीने ,
     खूब धूल भी यहाँ जमेगी मुझपर..
     और तीथियों पर खूब नहलाए जाएंगे हम।
 कभी नेता,अभिनेता कभी आकर मेरे पुतले के पास..
यहाँ अपनी नायिका,पार्टी सदस्यों के साथ लंबे भाषण भी दे जाएंगे।
और उस शून्य में बैठ हम यह सोचते रह जाएंगे,
ओह !यहाँ कोई तो आया मेरे खा़क हो जाने के बाद ही सही...

©Bharat Bhushan pathak यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे...
           *त़हरीर मेरी भी*
       विधा-अतुकांत
आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं,
कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी।
कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर,
हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो,
उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको,

Bharat Bhushan pathak

मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१

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Bharat Bhushan pathak

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