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अंकिता 'गीत '
bachpan ke shauk kab majboori me badal jaate h...pata nh chalta ©अंकिता 'गीत ' #bachapan #nojotohindi2020
Bharat Bhushan pathak
मनुज क्लांत यहाँ जब हो सुनो। 111 211 211 212 मुदित अंतस हो धुन वो चुनो।। 111 211 211 212 भजन कीर्तन स्तुति चलो करो। 111 211 211 212 जगत पीर अभी तुम जी हरो।। 111 211 211 212 ©Bharat Bhushan pathak #worldmusicday#drutvilambitchhand#chhandgyaan#द्रुतविलम्बितछंद#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#ripudamanjhapinaki#vijaybesharm द्रुतविलम्बित छंद विधान:-यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इस छंद के प्रत्येक चरण या पद में बारह वर्ण क्रमशः नगण,भगण-भगण एवं रगण के क्रम में होते हैं। नगण+भगण+भगण+रगण नगण=III भगण=SII भगण=SII रगण=SIS
#worldmusicday#drutvilambitchhand#chhandgyaan#द्रुतविलम्बितछंद#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#ripudamanjhapinaki#vijaybesharm द्रुतविलम्बित छंद विधान:-यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इस छंद के प्रत्येक चरण या पद में बारह वर्ण क्रमशः नगण,भगण-भगण एवं रगण के क्रम में होते हैं। नगण+भगण+भगण+रगण नगण=III भगण=SII भगण=SII रगण=SIS
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#शिखरिणीछंद#छंदज्ञान#chhandgyaan#nojotohindi#nojotopoetrynojotohindi2020s#nisheetpandey#Anshuwriter#MJhindushtani# * शिखरिणी छंद* *विधान -- * लक्षण- रसैः रुद्रैश्छिना, यमनसभला गः शिखरिणी अर्थात इस छंद में रस यानी ६वें वर्ण पर प्रथम यति और फिर रुद्र यानी ११ वें वर्ण पर
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तुम हो तो रोश्नी है, नहीं तो अँधियारा। संग तुम्हारा जीवन था, विछोह हुआ अजीवन। आज काया तो हूँ, पर तुम बिन निष्प्राण मैं! तलाशता हर वक्त अश्क तेरा हूँ, टटोल रहा संग तेरे सवेरा हूँ। ©Bharat Bhushan pathak #aashiqui #dilsediltak #sadpoetry#nojotohindi#nojotohindi2020#sadpoetrylovers#nojotoloveshayari तुम हो तो रोश्नी है, नहीं तो अँधियारा। संग तुम्हारा जीवन था, विछोह हुआ अजीवन। आज काया तो हूँ, पर तुम बिन निष्प्राण मैं! तलाशता हर वक्त अश्क तेरा हूँ,
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पकड़ छैनी,हथौड़ी वो,उदर वो रिक्त हैं भरते। कलम जब थामनी होती,दुलारे वेदना वरते। दया थोड़ा, करो लोगों,सुनो बचपन,नहीं खोए- चलो जी थाम लें इनको,अगर मेहनत वो करते। ©Bharat Bhushan pathak #stopchildlabour#saynotochildlabour#saynotoexploitation#nojotohindi2020#nojotopoetry पकड़ छैनी,हथौड़ी वो,उदर वो रिक्त हैं भरते। कलम जब थामनी होती,दुलारे वेदना वरते। दया थोड़ा, करो लोगों,सुनो बचपन,नहीं खोए- चलो जी थाम लें इनको,अगर मेहनत वो करते। भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏
#stopchildlabour#SayNoToChildLabour#saynotoexploitation#nojotohindi2020#nojotopoetry पकड़ छैनी,हथौड़ी वो,उदर वो रिक्त हैं भरते। कलम जब थामनी होती,दुलारे वेदना वरते। दया थोड़ा, करो लोगों,सुनो बचपन,नहीं खोए- चलो जी थाम लें इनको,अगर मेहनत वो करते। भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏
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उदासी घेरती काया,विकल होते ,गए नैना। पता चलता,नहीं मुझको,दिवस है या,अभी रैना। तुम्हारे बिन,कई बीते,यहाँ पे जी,सुनो सावन- लगे ना प्यास है मुझको,कहीं आए,नहीं चैना। ©Bharat Bhushan pathak #Problems #lovesad #lovesab#nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#nisheetpandey#sumitupadhyay#प्रेम_के_साईड- इफेक्ट्स#ripudamanjhapinaki
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महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप। समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१ अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व। रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२ सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र। ग्रहण सदा इसको करें,बड़ा यही बस मंत्र।।३ सफल यहाँ पे जो हुए,इससे था अपनत्व। नहीं व्यर्थ होता कभी, मूल्यवान यह तत्व।।४ विज्ञ मूढ़ इससे बनें,सब समझें दायित्व। अपना ले मानव इसे,चाह अगर ईशित्व।।५ सिद्ध यही वह कुंभ है, दिया सदा अमरत्व। सृजन यहाँ जो भी करें,मिले सृजन अस्तित्व।।६ ©Bharat Bhushan pathak महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप। समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१ अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व। रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२ सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र।
महत्व केवल शब्द है,नहीं जानिए आप। समझे इसका मूल्य जो,पाए ना संताप।।१ अर्थ बड़ा ही गूढ़ है,कहते जिसे महत्व। रोग विफलता ना मिले,नियमित लें यह सत्व।।२ सृजन सार इसमें निहित,तंत्रों का यह तंत्र।
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यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको, पूछते हैं लोग खाक हो जाने के बाद... जब आज हम हैं तो कोई चर्चा नहीं... पर कल यहाँ याद आएंगे बहुत , बस उस आखिरी पर्चा भर जाने के बाद... जन्म दिवस,मरण दिवस भी मनाएंगे वो, समोसे और मिठाइयाँ खिलाएंगे वो.. पहनाएंगे माला पुतले को मेरे.... यहाँ खूब जिन्दाबाद के नारे होंगे, कभी झाँके तक नहीं थे घर में मेरे जो, कल बाईट में घर केवल हमारे दिखाए जाएंगे। जब-जब तीथि यहाँ पर आएगी मेरी.. वो खूब मोमबत्तियाँ जलाएंगे। साल दो साल ,महीने दर महीने , खूब धूल भी यहाँ जमेगी मुझपर.. और तीथियों पर खूब नहलाए जाएंगे हम। कभी नेता,अभिनेता कभी आकर मेरे पुतले के पास.. यहाँ अपनी नायिका,पार्टी सदस्यों के साथ लंबे भाषण भी दे जाएंगे। और उस शून्य में बैठ हम यह सोचते रह जाएंगे, ओह !यहाँ कोई तो आया मेरे खा़क हो जाने के बाद ही सही... ©Bharat Bhushan pathak यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको,
यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको,
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मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१ मिले जब कष्ट भी इनको,कहे ये भाग्य में लिखा। अमीरी चाकरी करना ,गरीबी ने, यही सिखा।। नयनजल बेचके हरदम,गरीबी पेट भरती है- हमें आराम देते क्या,उन्हें हमने,कभी देखा।२ ©Bharat Bhushan pathak मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१
मुक्तक विधान-१,२ एवं ४ पंक्ति तुकांत तथा ३ पंक्ति अतुकांत सममात्राभार पर आधारित गरीबी गीत गाती है,अमीरी को, रिझाती है। सुखाकर कंठ ये अपना,इनके प्यास,बुझाती है।। गलाकर फेंक दे भोजन,अगर या छोड़ दें सड़ने- हुजूरी चल,रही इनकी,सुनो दुनिया,बताती है।१
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यहाँ है शौर्य की गाथा,लिखी शृंगार है जिसमें। दिखे है प्रेम का दर्शन,कभी मनुहार है इसमें। विकल भक्तिन,इसी में है,विरह के गीत का माला, दिखे अबला,दुखारी है,समाया कोप भी जिसमें। ©Bharat Bhushan pathak #nojotohindi#nojotopoetry#nojotohindi2020#NojotoHindiEmotional #hindikavya#nojotohindiquotestatus #hindi_quotes #hindi_shayari #hindi_poem #hindi_panktiyaan
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